मध्यप्रदेश के शहडोल ज़िले के एक सरकारी हाई स्कूल की दीवारों की पुताई इन दिनों पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है। वजह है, एक ऐसा बिल जो देखने में जितना साधारण है, उतना ही चौंकाने वाला भी। सिर्फ 4 लीटर पेंट से हुई इस पुताई के लिए 168 मजदूर, 65 मिस्त्री और 1.06 लाख रुपये का खर्च बताया गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बिल
यह बिल हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जहां लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए कि आखिर 4 लीटर पेंट से क्या वाकई कोई स्कूल की दीवारें चमक सकती हैं? और क्या इसके लिए 233 लोगों की ज़रूरत थी? पोस्ट में साफ़ लिखा था कि इस पूरे काम के लिए कुल 168 मजदूर और 65 मिस्त्री लगाए गए थे। यह जानकारी सामने आते ही लोग हैरान रह गए और पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया।
जिला शिक्षा अधिकारी ने दी मंजूरी
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस भारी-भरकम बिल को शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) फूल सिंह मारपाची ने मंजूरी दे दी थी। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी सोशल मीडिया के ज़रिए मिली और उन्होंने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं।
दीवारें चमकी या घोटाला छिपा?
इस पूरे मामले में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या वाकई इतनी बड़ी संख्या में मज़दूरों और मिस्त्रियों की जरूरत थी? या फिर आंकड़ों के खेल में कुछ और ही रंग चढ़ाया गया है? स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूज़र्स का कहना है कि यह मामूली लापरवाही नहीं, बल्कि योजनाबद्ध गड़बड़ी की ओर इशारा करता है।
जांच से खुलेगा राज
फिलहाल, यह मामला जांच के अधीन है। शिक्षा विभाग ने आश्वासन दिया है कि अगर इसमें कोई अनियमितता पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह “चार लीटर पेंट” शहडोल की गलियों से लेकर सोशल मीडिया की दीवारों तक अपनी रंगत बिखेरता रहेगा।
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