Himachal News : शिमला। दीपों का पर्व दीपावली पूरे भारतवर्ष में जहां बड़े धूमधाम व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं, हिमाचल के हमीरपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां ग्रामीण इस पर्व को मनाने से घबराते हैं। क्योंकि यदि कोई इस गांव में दीपावली मनाने की कोशिश करता है, तो घर में आग लग जाती है। इस डर से ग्रामीण इस उत्सव को मनाने से कतराते हैं। कहा जाता है कि बेटे सहित चिता पर सती हुई महिला के श्राप से ग्रामीण आज तक मुक्त नहीं हो पाए हैं।
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जनश्रुतियों के अनुसार 103 साल पहले भोरंज उपमंडल के सम्मू गांव की महिला पति के विरह में सती हो गई थी। बताते हैं कि महिला का पति राजाओं की फौज में नौकरी करता था और कई वर्षों से घर नहीं आया था। महिला हर साल दीपावली के मौके पर अपनी सास से मायके जाने की गुहार लगाती थी, ताकि वहां जाकर दीवाली मना सके, लेकिन सास उसे मायके नहीं भेजती थी। काफी वर्षों बाद जब दीवाली आई, तो सास महिला को मायके भेजने के लिए राजी हो गई।
कहते हैं कि जब महिला अपने बेटे के साथ घासियां गांव अपने मायके की ओर जा रही थी, तो रास्ते में उसे कुछ सैनिक सामान सहित आते हुए दिखे। उन्होंने महिला से सम्मू गांव का पता पूछा और बताया कि उस गांव के व्यक्ति की लड़ाई के दौरान मौत हो गई है। महिला ने सैनिकों से कहा कि आप सामान को यहीं छोड जाओ, क्योंकि वो मेरे पति थे। सैनिक सामान छोड़कर चले गए। वहां बैठकर पहले महिला बहुत रोई, फिर लकड़ियों की चिता सजाकर बेटे और सामान सहित चिता पर बैठ गई और आग लगा ली। जलते-जलते महिला ने शम्मू गांव के लोगों को श्राप दिया कि उनकी पीढ़ियां भविष्य में दीपावली का त्यौहार नहीं मना सकेंगी। अगर कोई त्यौहार मनाएगा, तो उसका सब कुछ जलकर राख हो जाएगा। कहते हैं कि उसके बाद ग्रामीणों ने कई बार दीपावली मनाने का प्रयास किया, लेकिन सचमुच ही घरों में आग लगती ही गई, जिसके डर से ग्रामीणों ने उत्सव मनाना छोड़ दिया।
गांव से बाहर रहने वालों पर भी है श्राप की काली छाया:
बताया जाता है कि शम्मू गांव के जो लोग अन्य जगहों पर जाकर भी बसे हैं, वे भी दीपावली नहीं मनाते। क्योंकि कइयों ने प्रयास किया भी, तो उनके घर और क्वाटर भी जल उठे। इसलिए बाहर रहने वाले ग्रामीण भी त्यौहार मनाने से डरते हैं।
लगभग 400 की आबादी वाले सम्मू गांव में वर्षों से दीपावली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि गांव पर सती का श्राप है। हालांकि दीपावली के अगले दिन ग्रामीण पकवाने इत्यादि बनाते हैं। घासियां में सती माता का मंदिर बनाया गया है, जहां लोग मन्नतें लेकर आते हैं, जोकि पूरी होती हैं।