Tuesday, 20 May 2025

ऑपरेशन सिंदूर के दिन जन्मी बच्ची बनी देशभक्ति की मिसाल, जानिए क्यों हो रही है हर जगह चर्चा

कटिहार (बिहार)।भारतीय सेना के साहसिक ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दिन जब देश भर में आतंक के खिलाफ वीरता की नई इबारत…

ऑपरेशन सिंदूर के दिन जन्मी बच्ची बनी देशभक्ति की मिसाल, जानिए क्यों हो रही है हर जगह चर्चा

कटिहार (बिहार)।भारतीय सेना के साहसिक ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दिन जब देश भर में आतंक के खिलाफ वीरता की नई इबारत लिखी जा रही थी, उसी दिन बिहार के कटिहार जिले में एक बच्ची ने जन्म लिया। इस नवजात का नाम कुछ ऐसा रखा गया’—जो आज देशभक्ति की एक नई मिसाल बन चुकी है।

7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।

ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इस हमले में कई महिलाएं विधवा हो गईं—उनका सिंदूर छिन गया। सेना ने यह ऑपरेशन उनके सम्मान और वीरगति को समर्पित किया।

ऑपरेशन सिंदूर के दिन जन्मी बच्ची का स्पेशल नाम

उसी ऐतिहासिक दिन, कटिहार सेवा सदन अस्पताल में संतोष मंडल और राखी कुमारी के घर एक बेटी का जन्म हुआ। परिजनों ने जब टीवी और सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर की खबर देखी, तो उन्हें इस दिन को यादगार बनाने का ख्याल आया। उन्होंने अपनी नवजात बेटी का नाम रखा—‘सिंदूरी’।

परिवार की भावनाएं

सिंदूरी के ताऊ कुंदन कुमार ने बताया, “जब देश में कुछ ऐतिहासिक होता है, तो उससे जुड़ना गर्व की बात होती है। हमारी बिटिया को हम उसी भावना से बड़ा करेंगे।” माता-पिता का सपना है कि सिंदूरी आगे चलकर भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करे।

सिंदूरी नाम पर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

सिंदूरी का नामकरण क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। स्थानीय लोग बच्ची के नाम को भारतीय सेना के प्रति सम्मान का प्रतीक मान रहे हैं। कटिहार जिले के कई नागरिकों ने सोशल मीडिया पर परिवार की सराहना करते हुए लिखा कि यह एक प्रेरणादायक फैसला है।

सिंदूरी सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक कहानी

‘सिंदूरी’ अब सिर्फ एक नाम नहीं रहा, बल्कि यह उस भावना का प्रतीक बन गया है जिसमें शौर्य, बलिदान और देशप्रेम समाहित हैं। जिस दिन देश ने अपने वीरों को श्रद्धांजलि दी, उसी दिन एक नई उम्मीद ने जन्म लिया—’सिंदूरी’ के रूप में।

अब यह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नहीं छिड़ गया है पूरा युद्ध, आई 1971 की याद

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