Monday, 17 February 2025

Sindhutai Sapkal: सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का निधन – 2022

Sindhutai Sapkal: पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का निधन (Padmashri Sindhutai Sapkal passed away) ‘अनाथ की मां‘ (Orphan’s Mother) के नाम से मशहूर विरष्ठ…

Sindhutai Sapkal: सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का निधन – 2022

Sindhutai Sapkal: पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का निधन (Padmashri Sindhutai Sapkal passed away)

अनाथ की मां‘ (Orphan’s Mother) के नाम से मशहूर विरष्ठ सामाजिक कारकर्ता, पद्मश्री सिंधुताई सपकाल (Padmashri Sindhutai Sapkal) का मंगलवार को दिल का दौरा (heart attack) पड़ने से निधन हो गया। उनका पुणे के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था।

सिंधुताई सपकाल के निकटवर्त से पता चला है की, सिंधुताई सपकाल की एक महीने पहले से तबीयत खराब होने के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

हाल ही में सामजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल की हर्निया की सर्जरी भी हुई थी। सिंधुताई सपकाल (Sindhutai Sapkal) को जनवरी 2021 में भारत सरकार (Government of India) के द्वारा उनके सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार (Padmashri Award) से नवाजा गया था। उनके निधन की खबर आते ही, पुरे महाराष्ट्र में शौक का माहौल बन गया है।

74 वर्षीय पद्मश्री सिंधुताई सपकाल ने आज याने मंगलवार को पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें एक महीने से अधिक समय पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज रात 8.10 बजे दिल का दौरा पड़ने से पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का निधन हो गया।

सिंधुताई सपकाल का प्रारंभिक जीवन (Early life of Sindhutai Sapkal)

सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में एक मवेशी चराने वाले परिवार में हुआ था। एक अवांछित बच्ची होने के कारण, सिंधुताई को “चिन्धि ” (याने, कपड़े का फटा हुआ टुकड़ा) कहा जाता था।

घोर गरीबी, पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ और कम उम्र में शादी ने उन्हें औपचारिक शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर किया, जब उन्होंने सफलतापूर्वक चौथी कक्षा पास कर ली थी।

12 साल की उम्र में सिंधुताई की शादी उनसे बीस साल बड़े एक व्यक्ति से करा दी गई। अपने नए घर में, उन्होंने वन विभाग और जमींदारों द्वारा गोबर एकत्र करने वाली स्थानीय महिलाओं के शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

जब वह बीस वर्ष की हुई तब तक उनके तीन बेटे थे। 20 साल की छोटी उम्र में ही, जब सिंधुताई नौ महीने की गर्भवती हुई, तब उनके पती ने उन्हें खूब पीटा और मरने के लिए रास्ते पर छोड़ दिया।

उन्होंने 14 अक्टूबर 1973 की रात को उनके घर के बाहर एक गौशाला में अर्धचेतन अवस्था (semi-conscious condition) में एक बच्ची को जन्म दिया। सिंधुताई ने जीवित रहने के लिए सड़कों और रेलवे प्लेटफार्म पर भीख माँगना शुरू कर दिया।

सिंधुताई (Sindhutai) अक्सर कब्रिस्तानों में रात बिताया करती थी। उनकी हालत ऐसी थी कि, लोग उन्हें भूत-प्रेत कहकर बुलाते थे, क्योंकि वह रात में कब्रिस्तान में रहे कर रात बिताया करती थी।

>> यह भी पढ़े- भारत के इन 13 शहरों को 2022 में मिल सकता है 5G नेटवर्क

सिंधुताई के ‘अनाथालय’ (SindhuTai Orphanage)

कड़ी मेहनत करने के बाद सिंधुताई सपकाल ने खुद को अनाथों के लिए समर्पित कर दिया। नतीजतन, उन्हें प्यार से “माई” कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है “माँ (Mother)“।

उन्होंने 1,500 से अधिक अनाथ बच्चों का पालन-पोषण किया है। उनका 382 दामादों, 49 बहुओं और एक हजार से अधिक पोते-पोतियों का भव्य परिवार है।

जिन बच्चों को उन्होंने गोद लिया उनमें से कई बच्चे आगे पढ़-लिख कर वकील और डॉक्टर बने हैं। उनके कुछ दत्तक बच्चे – जिनमें उनकी बेटी भी शामिल है – अपने स्वयं के स्वतंत्र अनाथालय चला रहे हैं। उनका एक बच्चा उनकी जिंदगी में पीएचडी कर रहा है।

उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए 900 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सिंधुताई पुरस्कार की राशि का उपयोग अनाथ बच्चों के लिए घर बनाने के लिए जमीन खरीदने के लिए किया करते थे।

The President, Shri Ram Nath Kovind presenting the Nari Shakti Puruskar for the year 2017 to Dr. Sindhutai Sapkal
The President, Shri Ram Nath Kovind presenting the Nari Shakti Puruskar for the year 2017 to Dr. Sindhutai Sapkal

सिंधुताई युवाओं की आइडियल बने (Sindhutai Sapkal became the Idol of youth)

अपने जीवन में शुन्य से अपना सफर शुरू कर समाज में एक सर्वोच्च स्थान पाने तक का सफर काफी मुश्किलों से भरा हुआ था।

पद्मश्री सिंधुताई सपकाल (Padmashree Sindhutai Sapkal) आज काफी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए है, विशेष कर महिलाओं के लिए।

>> यह भी पढ़े- Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस

सिंधुताई सपकाल को मिले हुए पुरस्कार (Sindhutai Sapkal Awards)

2021- सामाजिक कार्य श्रेणी में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार (Padmashree Award)

2017 – भारत के राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार

2016 – डॉक्टर डी.वाई. पाटिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे द्वारा मानद डॉक्टरेट

2016 – वॉकहार्ट फाउंडेशन की ओर से वर्ष का सामाजिक कार्यकर्ता पुरस्कार

2014 – अहमदिया मुस्लिम शांति पुरस्कार

2014 – बसव सेवा संघ पुणे द्वारा “बसव भूषण पुरस्कार-2014” प्रदान किया गया

2013 – सामाजिक न्याय के लिए मदर टेरेसा पुरस्कार

2013 – प्रतिष्ठित मां के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (National Award for Iconic Mother)

2012 – CNN-IBN और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा दिए गए रियल हीरोज अवार्ड्स (Real Heroes Awards)

2012 – “COEP गौरव पुरस्कार”, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे द्वारा दिया गया

2010 – महाराष्ट्र सरकार द्वारा महिला एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ताओं को दिया जाने वाला अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार (Ahilyabai Holkar Award)

2008 – दैनिक मराठी समाचार पत्र लोकसत्ता द्वारा दिए गए वर्ष की महिला पुरस्कार

1996 – दत्तक माता पुरस्कार, गैर-लाभकारी संगठन सुनीता कलानिकेतन ट्रस्ट द्वारा दिया गया

1992 – अग्रणी सामाजिक योगदानकर्ता पुरस्कार

सह्याद्री हिरकानी पुरस्कार

राजाई पुरस्कार (Rajai Award)

>> यह भी पढ़े- PM Modi’s New Car: Mercedes-Maybach जो गोलियां, बम धमाकेा को आसानीसे झेल सकती है

Related Post