शुक्रवार को अमेरिका की ओर से लोकतंत्र पर आयोजित सम्मेलन में वर्चुवली भाग लेते हुए मोदी ने कहाकि सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरेंसी से लोकतंत्र को मजबूती मिलनी चाहिए,न कि इससे लोकतंत्र कमजोर होना चाहिए। इसके बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि सरकार जल्द ही इसको लेकर सख्त कानून बनाने जा रही है।वैसे भी सीएए,दिल्ली दंगा और कृषि कानूनों पर भड़काऊ बयानबाजी करके जिस तरह लोगों को हिंसा के लिए उकसाया गया, इसके चलते सोशल मीडिया के नियमन के दायरे मे लाने की आवश्यकता महसूस होने लगी है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही मोदी सरकार को कह चुका है कि सोशल मीडिया के नियमन के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। अब प्रधानमंत्री के बयान से साफ हो गया है कि सरकार कानून बनाने के बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। वहीं क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी ने सिडनी डायलॉग में आशंका जताते हुए कहा था कि इसके विज्ञापनों से युवा वर्ग भरमा रहा है। उन्होंने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर नियमन न होने से इसका इस्तेमाल आतंकवाद को फंडिंग करने में भी हो सकता है। अब माना जा रहा है कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र मे ही इसके लिए कानून ला सकती है।चर्चा है कि कानून कठोर होगा और अवैध तरीके से क्रिप्टोकरेंसी के लेनेदेन करने वालों को बिना वारंट गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकेगा।