Special Story :
आर.पी. रघुवंशी
Special Story : नई दिल्ली। मिशन -2024 को कामयाब बनाने की कवायद हालांकि काफी पहले ही हो गई थी, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत ने विपक्षी एकजुटता की कोशिशों में जुटे नेताओं को नई ऊर्जा से भर दिया। अप्रैल के महीने में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के लिए काफी सक्रिय हैं। सोमवार को एक बार फिर खरगे और राहुल से मुलाकात के बाद इस बात की अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता के सूत्रधार हो सकते हैं।
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चुनाव में भाजपा को हराना मुश्किल नहीं
अब से कोई 12 महीने के भीतर देश में आम चुनाव प्रस्तावित है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 37 फीसदी वोट शेयर के साथ 300 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी। अब चुनावी राजनीति पर करीबी नजर रखने वालों का मानना है कि चुनाव में भाजपा को हराना मुश्किल नहीं है, क्योंकि 63 फीसदी मतदाता तो पहले ही उसके खिलाफ है। लेकिन, इसके लिए विपक्षी दलों की एकजुटता जरूरी है।
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भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को मिली संजीवनी
बीते साल सितंबर से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी असर देखने को मिल रहा है। कभी गर्दिश में रही कांग्रेस को उस यात्रा ने संजीवनी का काम किया। देश के कई क्षत्रप प्रधानमंत्री बनने की खुशफहमी भी पालने लगे थे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, एनसीपी चीफ शरद पवार, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, तेलंगाना के के. चंद्रशेखर राव सरीखे नेता भी पीएम की दौड़ में शामिल होने का इशारा कर चुके थे। विपक्षी दलों की निगाह में कांग्रेस का कोई वजूद नहीं बचा था। सभी की चाहत यही थी कि तीसरे मोर्चे का गठन हो और उसमें कांग्रेस शामिल हो। लेकिन, सियासी वक्त को कुछ और ही मंजूर था।
गंभीर और परिपक्व नेता बनकर उभरे राहुल गांधी
इसमें कोई शक नहीं कि भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी को एक गंभीर और परिपक्व राजनेता के तौर पर स्थापित कर दिया। उसके बाद हिमाचल और फिर कर्नाटक में शानदार जीत ने विपक्षी दलों को यह साफ संदेश दे दिया कि विपक्षी एकता की धुरी कांग्रेस ही होगी। उसके बिना विपक्षी एकजुटता संभव नहीं है। और विपक्षी एकता के बिना भाजपा को पराजित करना भी लगभग नामुमकिन है। कांग्रेस की इस कामयाबी के बाद नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव ने यह मान लिया कि कांग्रेस को आगे किए बिना बीजेपी को पटकनी देना दिवास्वप्न जैसा ही होगा।
अधिकतर विपक्षी दल एकजुटता के पक्षधर
इस बात को समझने के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने अप्रैल के महीने में नई दिल्ली में मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की। उस मुलाकात के बाद राहुल ने यह बयान देकर यह संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी अब विपक्षी एकता का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। उन्होंने उस मुलाकात को ऐतिहासिक बताया था। उस बैठक के बाद से नीतीश कुमार पूरी तरह सक्रिय हैं। वह ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर चुके हैं। इनमें से अधिकतर नेताओं ने साझा बयान जारी किया कि वे भी मजबूत विपक्षी एकता के हामी हैं।
यूपीए-3 के कोआर्डिनेटर हो सकते हैं नीतीश
आज एक बार फिर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने नई दिल्ली में मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात का पूरा ब्योरा तो अभी सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि यूपीए—2 की तर्ज पर यूपीए—3 की कवायद की जा रही है। यह भी माना जा रहा है कि इस बार कोआर्डिनेटर की भूमिका में नीतीश कुमार हो सकते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो नीतीश की सक्रियता से यह संदेश छन—छनकर बाहर आने लगा है कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता के सूत्रधार हो सकते हैं।