Monday, 7 October 2024

डेटिंग एप के बाद अब बढ़ रहा है स्पीड डेटिंग का क्रेज, जनिए क्या है स्पीड डेटिंग

Speed Dating : डेटिंग एप तथा डेटिगं वेबसाइट का नाम आपने जरुर सुना होगा। अब हमारी युवा पीढ़ी डेटिंग एप से…

डेटिंग एप के बाद अब बढ़ रहा है स्पीड डेटिंग का क्रेज, जनिए क्या है स्पीड डेटिंग

Speed Dating : डेटिंग एप तथा डेटिगं वेबसाइट का नाम आपने जरुर सुना होगा। अब हमारी युवा पीढ़ी डेटिंग एप से आगे बढ़ रही है। अब डेटिंग एप का स्थान स्पीड डेटिंग ने ले लिया है। हम आप को बता रहे है कि क्या होता है स्पीड डेटिंग तथा इसके फायदे साथ आपको यह भी बता रहे हैं कि स्पीड डेटिंग के कितने नुकसान है?

Speed Dating

स्पीड डेटिंग का बढ़ता हुआ क्रेज

कुछ वर्षों से दुनिया में और अपने देश में भी डेटिंग साइटस और डेटिंग ऐप का बोलबाला दिख रहा है। युवा वर्ग इन पर रहना अपना स्टेटस सिंबल समझता है और जो लोग इन पर नहीं हैं, उन्हें पिछड़ा और ओल्ड स्कूल का माना जाता है। हालांकि कई बार इन वर्चुअल जगहों पर काफी धोखे भी होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पिछले दिनों एक लड़की ने बताया कि वह एक लड़के से डेटिंग साइट पर मिली थी। दोनों कई साल से रिलेशनशिप में थे। लड़की ने उसे अपने घर बुलाकर माता-पिता से मिलवाया। जाहिर है कि लड़की ने इसके बाद शादी की बात चलाई। लड़का पहले तो कहता रहा कि वह अपने माता-पिता से बात करेगा। फिर उसने एक दिन लड़की से कहा कि तुम मुझे डेटिंग साइट पर मिली थीं। और तुम क्या समझती हो कि डेटिंग साइट्स पर तुम इकलौती लड़की हो। मै ना जाने कितनी लड़कियों से मिलता हूं। और मुझे तुमसे शादी नहीं करनी है। ऐसी अनेक घटनाएं होती हैं।

लेकिन अब युवाओं की दुनिया में यह भी कहा जा रहा है कि वे इन वेबसाइटों और मोबाइल ऐप से ऊब चुके हैं। अमेरिका में दशकों से स्पीड डेटिंग का भी चलन है, जहां थोड़ी देर के लिए युवा मिलते हैं। इस दौरान वे कितने नंबर एक-दूसरे को दे सकते हैं। जो चार नंबर लड़की और लड़के की लिस्ट में हों, उन्हें कंपनियां फोन करती हैं और युवा अपने साथी का चुनाव करते हैं। युवा अपने आप भी चुनाव कर सकते है।  पर ऐसे तमाम मिलन समारोह कंपनियां ही आयोजित कराती है, और खूब पैसे कमाती है।

यानी कि युवा अब एक-दूसरे से ऑनलाइन संपर्क करने के मुकाबले आमने-सामने मिलना चाहते हैं, चाहे यह थोड़ी देर के लिए ही क्यों न हो। स्पीड डेटिंग का यह चलन भारत के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, बंगलूरू एवं हैदराबाद तक जा पहुंचा है। अक्सर सप्ताह के अंत में युवा इन जगहों पर आते है। जाहिर है कि ये युवा वह है जो अपने पैरों पर खड़े है। ये युवा खूब पैसे कमाते है। उसमें से कुछ पैसा वह इस तरह मिलने जुलने पर खर्च भी कर दें तो उन्हे बुरा नहीं लगता है। कंपनियों को औऱ चाहिए क्या?

स्पीड डेटिंग में यह भी है कि किसी बार या कैफि बैठे लड़के या लड़कियां एक-दूसरे से संपर्क करते हैं। फिर वे लड़के या लड़कियां आयोजकों को बताते है कि वे किससे मिलना चाहेंगे। बहुरत बार लडकियां लड़कों से संपर्क करती हैं। महिलाएं इस तरह के आयोजनों को खूब पसंद कर रही है।

एडिनबर्ग में स्पीड डेटिंग पर एक शोध हुआ था। उसमें बताया गया था कि अगर कोई लड़का या पुरुष 22 बार अलग अलग डेट पर जाता है तो वह पांच स्त्रियों से फिर से मिलना चाहेगा। जबकि स्त्रियां सिर्फ 2 पुरुषों से ही मिलाना चाहेगी। इस शोध में 84 स्पीड डेटिंग घटनाओं में शामिल 3600 लोगों को शामिल किया गया था। यह भी विचार किया गया कि आखिर पुरुष क्यूं अधिक स्त्रियों से दोबारा मिलना चाहते हैं, जबकि औरतें नहीं। इसका कारण बताया गया कि महिलाएं कम रिस्क लेना चाहती हैं। अमेरिका में स्पीड डेटिंग पर हुए एक शोध में यह भी पाया गया कि महिलाएं लंबे पुरुषों को और पुरुष पतली स्त्रियों को ज्यादा पसंद करते हैं। इसके अलावा पढ़ाई-लिखाई का भी ध्यान रखा जाता है।

खतरें भी मौजूद हैं

यह भी देखा गया कि अमीर लोग अमीरों को जीवन साथी बनाते हैं और गरीब लोग गरीबों को। स्पीड डेटिंग को आधुनिक युवाओं का चुनाव बताया जा रहा है। लेकिन ऐसा लगता है कि जैसे उसी पुराने जमाने की बात हो रही है, जहां माता-पिता लड़के- लड़कियों को मिलवाते थे। उनसे बातचीत करने के लिए कहते थे। एक-दूसरे की पढ़ाई-लिखाई, रोजगार और पारिवारिक वातावरण की बात की जाती थी। लगता है कि वह दौर लौट रहा है, लेकिन अब माता-पिता की भूमिका में कंपनियां आ गई हैं। आखिर पारिवारिक लोग क्या बुरे थे? कम से कम वे अपने बच्चों की जेबों से पैसा तो नहीं निकाल रहे थे। इसके अलावा उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता था। दरअसल बात यह है कि आज के युवा नौकरियों तथा दूसरे काम-काज में इतने व्यस्त हैं कि वे सप्ताह भर काम करने के बाद ऐसे आयोजनों का इंतजार करते हैं। मगर इस तरह एक-दूसरे से मिलने में बहुत से खतरे भी छिपे रहते हैं। बहुत बार लोग तरह-तरह के अपराधों के शिकार हो जाते हैं। हालांकि आयोजनकर्ता इस तरह के आयोजनों को पूरी तरह से सुरक्षित बताते हैं।

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