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क्रिकेटर बनने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ने वाले सौरभ कुमार के सघंर्ष की कहानी

Uttar Pradesh News

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Cricketer Saurabh Kumar : 2 फरवरी से भारतीय क्रिकेट टीम का मुकाबला इंग्लैंड के साथ होने वाला है। लेकिन इससे पहले ही भारतीय ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा और बल्लेबाज के एल राहुल किन्हीं कारणों के चलते इस मैच का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। वहीं अब उनकी जगह उत्तर प्रदेश के स्पिनर सौरभ कुमार को भारतीय टीम में शामिल किया गया है। सौरभ के अलावा टीम में दो और खिलाड़ियों को शामिल किया गया है। जिनमें सरफराज खान और वॉशिंगटन सुंदर के नाम शामिल हैं। जानकारी के अनुसार जडेजा की जगह सौरभ का खेलना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि वह गेंदबाजी के साथ-साथ लोअर ऑर्डर में अच्छी बल्लेबाजी भी कर लेते हैं।

कौन हैं जडेजा की जगह खेलने वाले सौरभ कुमार?

इससे पहले भारतीय क्रिकेट फैन्स ने वॉशिंगटन सुंदर और सरफराज खान को खेलते हुए देखा है, लेकिन सौरभ कुमार का नाम सभी के लिए नया है क्योंकि उन्होंने अभी तक आईपीएल तक का भी मैच नहीं खेला है। आपको बता दें सौरभ कुमार बाएं हाथ के स्पिनर है और यूपी के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हैं। 30 साल के सौरभ कुमार ने 68 फर्स्ट क्लास मैचों में 27 की औसत से 2061 रन बनाए हैं। जिसमें 133 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा है। वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दो शतक और 12 अर्धशतक भी लगा चुके हैं। इसके अलावा उनके नाम 290 विकेट भी हैं।

सपने पूरा करने के लिए किया कड़ा संघर्ष

आपको बता दें सौरभ कुमार उत्तर प्रदेश के  बागपत के रहने वाले हैं। जब वह 10 साल के थे तब उन्होंने दिल्ली में अपने क्रिकेट के सपनों को पूरा करने के लिए बागपत के बड़ौत स्थित अपने घर को छोड़ दिया। उन्हें ट्रेनिंग के लिए 60 किलोमीटर की दूरी को ट्रेन से तय करना पड़ता था। पहले तो उनके पिता रमेश चंद उन्हें स्टेडियम तक छोड़ देते थे। लेकिन बाद में सौरभ खुद से ही आने-जाने लगे। जानकारी के अनुसार सौरभ के पिता ऑल इंडिया रेडियो के आकाशवाणी भवन में एक जूनियर इंजीनियर थे। सौरभ को रोजाना स्टेडियम आने में ट्रेन से तीन-साढ़े तीन घंटे का समय लगता था। जिसके बाद उन्हें स्टेडियम पहुंचने में आधा घंटे का और समय लगता। फिर वापस लौटने में भी इतना ही समय लगता। लेकिन यह संघर्ष उनके सपने के आगे कुछ भी नहीं था।

Saurabh Kumar

15 साल की उम्र में मिली क्रिकेट छात्रवृत्ति

सौरभ को हफ्ते में तीन से चार दिन अभ्यास के लिए यात्रा करनी ही पड़ती थी। वहीं जब टूर्नामेंट होता तो उनका यह सफर और बढ़ जाता। लेकिन इन परेशानियों को पार करते हुए सौरभ आगे बढ़ते रहे। धीरे-धीरे सौरभ ने यूपी की एज-ग्रुप टीमों में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी। जिससे अंडर-13 और अंडर-15 टीमों से उनका रास्ता बनाता रहा और 15 साल की उम्र में उन्होंने ओएनजीसी में एक क्रिकेट छात्रवृत्ति भी मिल गई। इस बीच उन्हें बिशन सिंह बेदी से सीखने का भी मौका मिला। 

भारतीय वायु सेना से खुला क्रिकेट का रास्ता

पहले अंडर-16 और अंडर-17 फिर सौरभ को अंडर-19 टीम में भी शामिल होने का भी मौका मिला। लेकिन अभी भी सीनियर टीम में जाने का रास्ता मुश्किलों से भरा था। उस समय उत्तर प्रदेश की टीम में पीयूष चावला, अली मुर्तजा, प्रवीण गुप्ता और अविनाश यादव जैसे स्पिनर थे। कुलदीप यादव और सौरभ कश्यप भी लाइन में थे। लेकिन कहते हैं न किस्मत को जो मंजूर होता है वो होकर ही रहता है। ऐसा ही सौरभ के साथ भी हुआ, अचानक ही सौरभ से भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने संपर्क किया। यूपी के लिए खेलने की उस समय कोई भी संभावना नहीं थी। जिस वजह से 20 साल के सौरभ ने भारतीय वायु सेना में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। उन्हें एयरमैन की नौकरी भी मिल गई। 

Saurabh Kumar

क्रिकेट बनने के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी

सौरभ कुमार सर्विसेज की टीम में शामिल तो हो गए, लेकिन उनकी नजर अभी भी भारतीय टेस्ट टीम पर थी। उन्होंने साल 2014-15 में डेब्यू सीजन में सात मैचों में 36 विकेट हासिल किए। इसी बीच, यूपी में स्पिनरों की कमी हो गई। मुर्तजा और चावला का प्रदर्शन निराशाजनक था। वहीं, कुलदीप टीम इंडिया में शामिल हो गए। इसी दौरान यूपी चयनकर्ताओं ने सौरभ से बात की। उनके परिवार के लिए यह फैसला आसान नहीं था। क्योंकि सर्विसेज की टीम में उनके पास स्थायी नौकरी भी थी। वहीं अगर वह सीनियर टीम में खेलने जाते तो उनकी नौकरी पर खतरा बन जाता। लेकिन सौरभ ने नौकरी की जगह क्रिकेट को चुना।

इस तरह हुए अंडर-23 में शामिल

उत्तर प्रदेश के चयनकर्ताओं ने उन्हें अंडर-23 में शामिल किया गया। जिसके बाद उन्होंने टीम के लिए 21 विकेट लिए। उनके अच्छे खेल को देखते हुए उन्हें सीनियर टीम में शामिल कर लिया गया। उन्होंने अपने घरेलू टीम के लिए पहले प्रथम श्रेणी मैच में गुजरात के खिलाफ 10 विकेट लिए।

कोरोना ने बढ़ा दी थी मुश्किलें

सौरभ के लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें ईरानी ट्रॉफी के लिए सौराष्ट्र के खिलाफ शेष भारत की टीम में चुना गया। लेकिन तभी कोरोनावायरस की वजह से यह मैच नहीं हो पाया। सौरभ ने उस समय को अपने जीवन का सबसे कठिन समय बताया। इस बारे में उन्होंने बताया कि “मैं असाधारण रूप से अच्छी गेंदबाजी कर रहा था और मुझे लगता है कि मैं राष्ट्रीय टीम के लिए चयन से दूर नहीं था। शेष भारत में मेरे चयन ने भी यही साबित किया, लेकिन कोविड के कारण सबकुछ रुक गया। मैं अक्सर घर पर बैठकर सोचता था कि चीजें कब फिर से शुरू होंगी। लॉकडाउन के दौरान मेरे मन में काफी नकारात्मक विचार आ रहे थे।”

साथ ही सौरभ ने कहा, “मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह थी कि चयनकर्ताओं ने क्रिकेट फिर से शुरू होने पर मेरे प्रदर्शन को याद किया। मुझे 2021 में इंग्लैंड के दौरे पर एक नेट गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल होने के लिए कहा गया । तभी मुझे विश्वास हुआ कि अगर आप बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं तो सही अवसर जरूर आता है।” कोरोना के बाद सौरभ को दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए भारत-ए की टीम में चुना गया। उसके बाद उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में नेट बॉलर के रूप में रखा गया और फिर श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में मुख्य टीम में शामिल किया गया। वहीं साल 2023 के दिसंबर में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुना गया था। वहीं अब सौरभ के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम में भी जगह मिल गई है। 

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