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Summer Special : इन गर्मियों में जन्नत घूम आओ

Summer Special: Visit Jannat in this summer

Summer Special: Visit Jannat in this summer

Summer Special :

 

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सैय्यद अबू साद

Summer Special : कश्मीर, धरती पर जन्नत के रूप में यूं ही नहीं मशहूर है। बर्फ से ढकी चोटियां, हरे-भरे जंगल, खूबसूरत कॉटेज और पानी पर बहते शिकारे, ये तमाम खासियतें कश्मीर को धरती का जन्नत बनाती हैं। कश्मीर को भारत का सबसे अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन माना जाता है। हिमालय की गोद मे बसी यह वादी चारों ओर से बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। कश्मीर की खसियत यह है कि यह हर मौसम मे यह मनमोहक नजर आता है। चाहे वो गर्मियों का मौसम हो या फिर बरसात का या हो कंपकपाती सर्दियां। अगर आप कश्मीर की वादियों में इन दिनों जाएंगे तो चारों ओर हरयाली नजर आएगी। शीशे-सी चमकती लिद्दर और झेलम मे आप रफ्टिंग का मजा ले सकेंगे, तो वहीं पाइन के घने जंगलों की जादुई महक आपको दीवाना बना देगी। घांस के हरे भरे मैदान मन मोह लेंगे। आइये डालते हैं एक नजर यहां के उन खूबसूरत नजारों से भरपूर मनमोहक जगहों पर, जहां आपको जन्नत से नजारे देखने को मिलेंगे।

Summer Special :

 

डल झील में हाउसबोट का मजा

कश्मीर का नाम आते ही सबसे पहले जो तस्वीर दिमाग में उभरती है, उसमे डल झील मे तैरती शिकारा होती हैं। यह श्रीनगर के सभी आकर्षणों मे मुख्य आकर्षण है, और हो भी क्यों नहीं आखिर हिन्दी सिनेमा ने 60 और 70 के दशक की फिल्मों मे कश्मीर को इतनी खूबसूरती से यहीं से तो पेश किया था। तभी से हर एक इंसान के दिल मे यह सपना कहीं चुपके से समा गया कि एक बार कश्मीर जरूर जाना है और डल लेक पर तैरती हाउसबोट मे रुकना है। डल झील के प्रमुख दो आकर्षण हैं। एक डल झील मे शिकारा में नौकाविहार करना और दूसरा हाउसबोट मे स्टे करना। डल झील मे कई कैटेगरी की हाउसबोट होती हैं। हाउसबोट मे रहना किसी राजसी अनुभव जैसा है। पानी पर हिचकोले खाती यह हाउसबोट देवदार की कीमती लकड़ी से तैयार की जाती हैं। इनके इंटीरियर्स मे खालिस अखरोट की लकड़ी पर बारीक नक्काशी की जाती है। अगर आप अपनी छुट्टियां अरामतलबी से बिताना चाहते हैं तो सुबह ताजे फूल से लेकर कश्मीरी पश्मीना शॉल, ज्वेलरी, कारपेट और सैफ्रॉन जैसे कश्मीरी उत्पाद खुद ब खुद शिकारा में आप तक आ जाएंगे। आपका मन करे शॉपिंग करने का तो डल झील पर तैरती हुई फ्लोटिंग मार्केट उपलब्ध है। अगर आप किताबों के शौकीन है तो डल झील के बीचों बीच बने नेहरू पोर्ट मे एक खूबसूरत बुक स्टोर और कैफे मौजूद है।

 

गुलमर्ग, भारत का स्विट्जरलैंड

डल झील के बाद नंबर आता है गुलमर्ग का। गुलमर्ग को हमारा अपना स्विट्जरलैंड कहें तो गलत नहीं होगा। जहां गर्मियों मे गुलमर्ग के हरे भरे घांस के विशाल मैदान छोटे छोटे फूलों से भर जाते हैं वहीं सर्दियों मे स्नोफॉल होने पर यही घांस के मैदान बर्फ की मोटी चादर के तले कहीं छुप जाते हैं। यहां सर्दी आते ही अफरवात पर्वत पर स्कीइंग करने पूरी दुनिया से एडवेंचर के शौकीन जुटने लगते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि हम भारतीय सिर्फ 1-2 दिन के लिए गुलमर्ग जाते हैं, जबकि स्कीइंग के शौकीन विदेशी पर्यटक यहां महीनों के लिए डेरा जमा देते हैं वो भी अपने पूरे साजो सामान के साथ। अगर आप भी स्कीइंग सीखना चाहते हैं तो यहां देश का सबसे प्रतिष्ठित स्कीइंग इंस्टीट्यूट- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्कीइंग एंड माउंटिनीरिंग मौजूद है। गुलमर्ग का मुख्य आकर्षण है यहां का गंडोला राइड। 14000 फीट की ऊंचाई पर बना यह गंडोला राइड आपको ऊर्जा से भर देगा। पैरों तले बर्फ की मोटी चादर, आस पास बर्फ से लधे देवदार के ऊंचे ऊंचे पेड़ आपको रोमांचित कर देंगे। गुलमर्ग मे जब सब कुछ बर्फ से ढक जाता है तब स्नो स्कूटर चलाने मे बड़ा मजा आता है। अगर आप स्लेज पर बैठकर बर्फ का आनंद उठाना चाहते हैं तो उसका भी पूरा इंतजाम है। गुलमर्ग मे अंग्रेज़ों के जमाने का एक चर्च भी मौजूद है। हर साल यहां बड़ी धूम धाम से क्रिसमस मनाया जाता है।

प्रकृति के नजदीक युस्मर्ग

गुलमर्ग की तरह ही युस्मर्ग भी कश्मीर वैली का एक खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। बस फर्क इतना है कि यहां ज्यादा टूरिस्ट नही जाते हैं। अगर आप प्रकृति के नजदीक रहना चाहते हैं और भीड़ भाड़ से दूर कुछ वक्त शांति के साथ बिताना चाहते हैं तो आप युस्मर्ग जाइए। यह डेस्टिनेशन धीरे धीरे डैवेलप हो रहा है, इसलिए यहां भीड़भाड़ ज्यादा नहीं रहती। अगर आप कश्मीर का ग्रामीण जीवन नजदीक से देखना चाहते हैं तो युस्मर्ग के रास्ते मे आपको कई गाव देखने को मिलेंगे। यहां पहाड़ी गांवों मे लोग सेब की बागबानी करते हैं। यह पूरा रास्ता सेब, अनार, नास्पाती और खुबानी के बागों से भरा हुआ है। श्रीनगर से युसमर्ग 47 किलोमीटर दूर है। युस्मर्ग के रास्ते मे ही एक बड़ी दरगाह पड़ती है, जिसे चरार-ए-शरीफ कहते हैं। इस दरगाह की बड़ी मान्यता है। यहां लोग अपने बच्चों का पहला मुन्डन करवाने के लिए आते हैं।

 

सुंदरता से भरपूर पहलगाम

पहलगाम को शैफर्ड वैली भी कहा जाता है। इस वैली की भी सुंदरता शब्दों से परे है। यहां बहती है खूबसूरत नदी लिद्दर और उसी के आसपास फैले हैं देवदार के घने जंगल, जिनके पीछे हैं बर्फ की चोटियां। जहां से बर्फ पिघल कर आती है और इस नदी को साफ पानी मुहैय्या करवाती है। यहां रुकने के लिए कुछ कौटेज तो बिल्कुल लिद्दर नदी के किनारे पर भी बने हुए हैं। यहां से सामने ही नीला चमकीला पानी बहता नजर आ जाता है। पहलगाम मे नए साल का जश्न बड़े ही जोर शोर से मनाया जाता है। पहलगाम मे एक बेताब वैली भी है। यह एक बड़ा-सा पार्क है जहां लोग घूमने आते हैं। इसका नाम बेताब इसलिए पड़ा क्यूंकि इस जगह पर कभी बेताब फिल्म की शूटिंग हुई थी। पहलगाम से थोड़ा ऊपर है अरू वैली। इस वैली की खासियत है ऊंचे घांस के मैदान और उनके चारों ओर फैला पाईन का घना जंगल। यह वैली बहुत शांत है। यहां रुकने के लिए कश्मीर टूरिम की कॉटेज बनी हुई हैं इसके अलावा कई होमएस्टे भी मौजूद हैं। जहां पहलगाम मे हर बजट के होटल और रिजॉर्ट्स हैं वहीं अरू वैली मे कुछ चुनिंदा विकल्प ही मौजूद हैं ठहरने के लिए, लेकिन यहां की शांति बहुत अनोखी है।

 

प्राकृतिक नजारे मुगल गार्डेन में

कश्मीर के गार्डन बहुत मशहूर हैं। प्राकृतिक खूबसूरती को नजदीक से निहारना हो तो रुख करें यहां बने टैरेस गार्डेन्स को देखने के लिए। ये गार्डेन प्रमाण है कि आज से इतने साल पहले भी हमारे देश आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग मे कितना उच्च कोटी का एडवांस था। यहां आकर नैचुरल रिसोर्स का इतना सुंदर उपयोग देखने को मिलता है कि आप भी तारीफ किए बिना नही रह पाएंगे। श्रीनगर मे चश्मंे शाही, निशात बाग और शालीमार गार्डेन ऐसे ही सुंदर टैरेस गार्डेंस के उदाहरण हैं, जिनके बीच से साफ चमकते पानी की नहरे बहती हैं। यहां चिनार के बहुत प्राचीन वृक्ष मौजूद हैं। इनमे से कोई कोई तो 400 साल पुराना पेड़ भी मौजूद है। शरद ऋतु ऑटम मे यह चिनार के पेड़ पीले सुनहरी होकर लाल हो जाते हैं। इन्हें आतिशे ए चिनार भी कहा जाता है।

 

खगोलशास्त्र का केंद्र परी महल

श्रीनगर की एक बहुत बढ़िया बात है कि यहां सभी टूरिस्ट स्पॉट लगभग करीब करीब बने हुए हैं। डल के नजदीक ही परी महल है जिसका निर्माण दारा शिकोह ने करवाया था। ऊंचे पर्वत पर बना परी महल असल मे खगोलशास्त्र के अध्ययन के लिए मुगल राजकुमार के लिए तैयार किया गया था। यहां से डल लेक का नजारा बहुत ही खूबसूरत नजर आता है। लोग इसे ही देखने परी महल आते हैं। परी महल और चश्म-ए-शाही आसपास ही हैं। पहले चश्म-ए-शाही पड़ेगा फिर परी महल। आप इन दोनो स्थानों को क्लब कर सकते हैं।

 

प्राकृतिक पानी का स्रोत, चश्म-ए-शाही

एक ऐसा प्राकृतिक पानी का स्रोत है, जिसमें अनंत काल से पानी बहता आ रहा है। यहां के लोगों की माने तो इस पानी मे कुछ रूहानी ताकत है, इसलिए इसे पीने से आप हमेशा स्वस्थ रहते हैं। यहां इससे जुड़ी एक कहानी और प्रचलित है। कहा जाता है कि चश्म-ए-शाही के पानी के महत्व को हमारे पहले प्रधानमंत्री ने भी स्वीकारा था और उनके पीने के लिए यहीं से पानी हवाई जहाजों मे भरकर दिल्ली ले जाया जाता था। अब इस बात मे कितनी सच्चाई है यह तो उस समय के लोग ही जाने लेकिन आज भी ऐसे कई फसाने यहां के लोगों की ज़ुबान पर जिंदा हैं। यहां इस जल स्रोत की आस पास एक खूबसूरत टैरेस गार्डेन बना हुआ है जिसे मुगलों ने बनवाया था इसीलिए इस स्थान का नाम चश्म-ए-शाही पड़ा। चश्म अर्थात पानी का स्रोत। इसे रॉयल स्प्रिंग के नाम से भी जाना जाता है।

 

हजरत बल और अन्य सूफी दरगाहें

कश्मीर मध्य एशिया से आने वाले सभी लोगों के लिए हिन्दुस्तान के द्वार जैसा रहा है। यहीं से, मुगल, लुटेरे, व्यापारी और सूफी लोग आए। समय के साथ लुटेरे और व्यापारी तो भुला दिए गए लेकिन जो बाकी रहा वो है नाम ए खुदा जिसका जिक्र हर सूफी की शिक्षाओं में मिलता है। पूरे भारत मे सूफिज््म यहीं से फैला, इसलिए कश्मीर घाटी मे कई प्रसिद्ध सूफियों के मजारें हैं। जैसे दस्तगीर साहब, मकदूम साहब और हजरत बल। हजरत बाल एक बेहद खूबसूरत संरचना है और वहां मुस्लिम संप्रदाय के अंतिम पैगंबर मुहम्मद साहिब का एक बाल सुरक्षित रखा हुआ है। इसीलिए लोग इस जगह को बहुत पाक मानते हैं।

 

आठवीं शताब्दी का मार्तंड सूर्य मंदिर

पहलगाम जाने के रास्ते मे ही पड़ता है मार्तंड सूर्य मंदिर। कहते हैं यह मंदिर आठवीं शताब्दी मे बना था। अब यहां केवल इस मंदिर के खंडहर ही बचे हैं, जिसका रखरखाव पुरातत्व संरक्षण विभाग करता है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण कारकोटा राजवंश के सम्राट ललितादित्या मुक्तापिड़ा ने करवाया था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस मंदिर को राष्ट्रिय धरोहर घोषित किया है।

 

 

बेहद प्राचीन है मट्टन सूर्या मंदिर

 

पहलगाम के नजदीक ही एक और मंदिर है, जिसका नाम है मट्टन सूर्या मंदिर। यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसके-बीचों बीच पानी का एक प्रकृतिक स्रोत बहता है, जिसमे हजारों की तादाद मे मछलियां तैरती हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मछलियों को आटा खिलाते हैं। इसी मंदिर के प्रांगण से लगा हुआ एक गुरुद्वारा है। इस गुरुद्वारे की भी बड़ी मान्यता है। कहते हैं कि गुरुनानक देव जी अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान एक बार यहां 13 दिनो के लिए ठहरे थे।

 

 

 

ट्रेन राइड इन कश्मीर


अगर आप अपनी कश्मीर की यात्रा को और भी यादगार बनाना चाहते हैं तो एक छोटी सी ट्रेन राइड और जोड़ लीजिये। श्रीनगर से बारामूला तक ट्रेन की राइड का नजारा बहुत अद्भुत है। भविष्य मे यह लेन आगे बढ़कर जम्मू तक जुड़ जाएगी। फिलहाल आप कश्मीर की वादियों मे स्विट्ज़रलैंड की ट्रेन का मजा एक छोटी राइड से भी उठा सकते हैं।

 

कैसे पहुंचे कश्मीर
कश्मीर रेल, सड़क और हवाई मार्ग हर तरह से जाया जा सकता है।फ्लाइट से कश्मीर जाने के लिए पहले श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंचा जा सकता है। वहां कश्मीर के लिए साधन मिल जाता है। वहीं अगर आप रेल मार्ग से कश्मीर जाने की इच्छा रखते हैं, तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू है। यहां से आगे सड़क मार्ग से जाया जाता है।

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