दस लाख साल पुरानी खोपड़ी से बदली इंसानी विकास की कहानी

चीन में मिली करीब 10 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी ने मानव विकास की अब तक मानी गई कहानी को चुनौती दे दी है। नई स्टडी के मुताबिक यह खोपड़ी दिखाती है कि होमो सेपियन्स की शुरुआत अब तक सोचे गए समय से लगभग 5 लाख साल पहले हो चुकी थी।

Research on the human skull
मानव खोपड़ी पर रिसर्च करते (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar11 Dec 2025 05:22 PM
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बता दें कि इसका मतलब यह भी हो सकता है कि हमारी प्रजाति लंबे समय तक नियंडरथल्स और होमो लॉन्गी जैसी अन्य मानव प्रजातियों के साथ धरती पर एक-साथ रहती थी। यह शोध प्रतिष्ठित मैगज़ीन 'साइंस' में प्रकाशित हुआ है, जिसे चीन की फ़ुदान यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज मानव विकास की समझ को पूरी तरह बदल सकती है।

खोपड़ी की पहचान में बड़ा उलटफेर

बता दें कि मिली हुई इस खोपड़ी — जिसका नाम ‘युनशियन 2’ रखा गया है जो कि पहले होमो इरेक्टस माना गया था। लेकिन नए विश्लेषण से पता चला कि यह वास्तव में होमो लॉन्गी का पुराना रूप है, यानी वह प्रजाति जो विकास के मामले में नियंडरथल्स और आधुनिक इंसानों के बराबर थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर होमो लॉन्गी लगभग 10 लाख साल पहले मौजूद था, तो संभव है कि होमो सेपियन्स और नियंडरथल्स भी उसी समय उभर चुके हों।

जेनेटिक विश्लेषण से मजबूत हुआ दावा

बता दें कि खोपड़ी के आकार के साथ-साथ जेनेटिक डेटा ने भी यही संकेत दिए है कि यह साधारण होमो इरेक्टस नहीं बल्कि ज्यादा विकसित मानव समूह का हिस्सा था। हालांकि कुछ वैज्ञानिक इन निष्कर्षों को अभी शुरुआती मानते हैं और कहते हैं कि ''और साक्ष्यों की जरूरत है'' ताकि यह पक्का कहा जा सके कि इंसानों की आधुनिक वंशावली वास्तव में कितनी पुरानी है।

क्या होमो सेपियन्स की उत्पत्ति एशिया में हुई?

अफ्रीका से मिले सबसे पुराने होमो सेपियन्स जीवाश्म करीब 3 लाख साल पुराने हैं। लेकिन अगर चीन की नई खोज सही साबित होती है, तो यह संकेत मिल सकता है कि आधुनिक इंसानों की जड़ें एशिया में और पहले विकसित हुई हों। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अफ्रीका और यूरोप से मिले 10 लाख साल पुराने जीवाश्मों का भी विश्लेषण जरूरी है।

तीन प्रजातियां हजारों साल तक साथ रहीं

नई टाइमलाइन के अनुसार होमो सेपियन्स, होमो लॉन्गी और नियंडरथल्स तीनों प्रजातियां लगभग 8 लाख साल तक धरती पर साथ रहीं है और इस लंबे समय में आपस में मिलने-मिलाने और प्रजनन की संभावना भी है। इससे उन कई पुराने जीवाश्मों को समझने में आसानी होगी जो अब तक किसी एक प्रजाति में फिट नहीं बैठते थे।

कैसे हुई असली रूप में पहचान?

युनशियन क्षेत्र से मिली खोपड़ियां बुरी तरह दबकर क्षतिग्रस्त हो गई थीं। शोधकर्ताओं ने इन्हें स्कैनिंग, कंप्यूटर मॉडलिंग और 3D प्रिंटिंग तकनीक से फिर से असली आकार दिया। इसके बाद ही वैज्ञानिक पहचान सके कि यह इंसानों की एक ज्यादा एडवांस प्रजाति थी।

नतीजा: मानव विकास की कहानी फिर से लिखनी पड़ सकती है

अगर यह अध्ययन आगे भी सही साबित होता है, तो मानव विकास की शुरुआत से लेकर विभिन्न प्रजातियों के आपसी संबंधों तक— पूरी टाइमलाइन को नए सिरे से लिखना पड़ सकता है।

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एथर रिज्टा ने बनाया नया रिकॉर्ड, सिर्फ 6 महीनों में 2 लाख यूनिट की बिक्री पार

भारतीय इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में एथर एनर्जी का Rizta इलेक्ट्रिक स्कूटर लगातार नए माइलस्टोन बनाता जा रहा है। कंपनी ने पुष्टि की है कि रिज्टा की बिक्री 2 लाख यूनिट के आंकड़े को पार कर गई है।

Indian electric two-wheeler
भारतीय इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar11 Dec 2025 04:21 PM
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बता दें कि खास बात यह है कि मई 2025 में 1 लाख यूनिट की बिक्री छूने के बाद, मॉडल ने महज़ छह महीनों में अपनी बिक्री दोगुनी कर ली। यह फैमिली स्कूटर अब कंपनी की कुल बिक्री का 70% से अधिक हिस्सा अकेले संभाल रहा है।

दक्षिण भारत से लेकर नॉर्थ इंडिया तक मजबूत पकड़

अप्रैल 2024 में लॉन्च किए गए रिज्टा ने एथर की पकड़ को दक्षिण भारत से आगे बढ़ाते हुए अब पूरे देश में मजबूत किया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एथर का मार्केट शेयर FY26 की पहली तिमाही के 7% से बढ़कर तीसरी तिमाही में 14% तक पहुंच गया। पंजाब में यह 8% से बढ़कर 15% हो गया। उत्तर प्रदेश में 4% से बढ़कर 10% तक पहुंचा। इन राज्यों में तेजी से बढ़ती मांग ने रिज्टा को सेगमेंट का एक प्रमुख मॉडल बना दिया है।

कीमत, रेंज और फीचर्स

रिज्टा की लोकप्रियता में इसके नए वेरिएंट्स और बेहतरीन फीचर्स का बड़ा योगदान है। Rizta S और Rizta Z में 123 km और 159 km की IDC रेंज मिलती है। नया 3.7 kWh बैटरी पैक और Terracotta Red कलर ऑप्शन ग्राहकों को खूब पसंद आ रहे हैं। 56 लीटर का स्टोरेज, स्किड कंट्रोल और फॉल सेफ जैसे एडवांस्ड फीचर्स इसे फैमिली स्कूटर के रूप में मजबूत बनाते हैं। दिल्ली में ऑन-रोड कीमत ₹1.22 लाख से ₹1.75 लाख के बीच है।

कंपनी ने पार किया 5 लाख यूनिट बिक्री का आंकड़ा

रिज्टा की सफलता के बाद एथर अपना रिटेल नेटवर्क तेज़ी से बढ़ा रही है। 30 सितंबर 2025 तक कंपनी के भारत में 524 एक्सपीरियंस सेंटर हो चुके हैं। इसके साथ ही एथर ने देश में 5 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचने का बड़ा लक्ष्य भी हासिल कर लिया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी मौजूदगी

एथर एनर्जी 2013 से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बना रही है और भारत में सबसे बड़ा फास्ट-चार्जिंग नेटवर्क चलाती है, जिसमें दुनिया भर में 4,322 चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं। रिज्टा अब भारत के साथ नेपाल और श्रीलंका जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बिक रहा है।

कंपनी का फोकस — गहराई तक नेटवर्क का विस्तार

एथर एनर्जी के CBO रवनीत सिंह फोकेला ने कहा कि रिज्टा ने कंपनी को मिडिल और नॉर्थ इंडिया में नई ग्रोथ दिलाई है। अब कंपनी का लक्ष्य है कि डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को और मजबूत किया जाए ताकि अधिक ग्राहक एथर के प्रोडक्ट तक आसानी से पहुंच सकें।

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छाछ से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरता, बागवानी में अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय

बागवानी और खेती में प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसी कड़ी में घरों में आसानी से मिलने वाली छाछ (बटरमिल्क) मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और पौधों को स्वस्थ रखने का एक असरदार उपाय बनकर उभर रही है।

Buttermilk Organic Fertilizer
छाछ का जैविक उर्वरक (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar11 Dec 2025 01:26 PM
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बता दें कि विशेषज्ञों के अनुसार छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड, प्रोबायोटिक्स और खनिज तत्व पौधों की वृद्धि बढ़ाते हैं और मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ाते हैं।

छाछ के उपयोग से बागवानी को कई फायदे

  • प्राकृतिक फफूंदनाशक: छाछ का घोल पत्तियों पर लगने वाले फफूंद रोग—जैसे पाउडरी मिल्ड्यू और ब्लैक स्पॉट—को नियंत्रित करता है।
  • मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व जड़ों को मजबूत बनाते हैं और मिट्टी को जैविक रूप से समृद्ध करते हैं।
  • पत्तियों में चमक: हल्का घोल पत्तियों पर छिड़कने से वे अधिक हरी और चमकदार दिखती हैं।
  • कीट नियंत्रण: इसका तीखा गंध कुछ कीटों को दूर रखता है और पौधों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
  • जैविक उर्वरक: छाछ में मौजूद बैक्टीरिया मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाते हैं।

कैसे करें छाछ का उपयोग?

  • फफूंदनाशक स्प्रे: 1 लीटर पानी + 250 मि.ली. छाछ। हफ्ते में एक बार छिड़कें।
  • जैविक उर्वरक: 1 लीटर पानी + 200 मि.ली. छाछ। महीने में 2–3 बार जड़ों में डालें।
  • कीटनाशक मिश्रण: 1 लीटर छाछ + 2 लीटर पानी + 1 चम्मच नीम तेल / नीम रस / हल्दी पाउडर।

इसका उपयोग सब्जी पौधों, फूलदार-फलदार पौधों, मनी प्लांट, तुलसी और खेती की कई फसलों में किया जा सकता है। रसीले (succulent) पौधों में उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।

इन सावधानियों का रखें ध्यान

  • नमक या मसाले वाली छाछ का उपयोग न करें।
  • हमेशा पानी में घोलकर ही छाछ का प्रयोग करें।
  • अधिक मात्रा न डालें, वरना मिट्टी अम्लीय हो सकती है।

मिट्टी की गुणवत्ता जांचने का आसान तरीका: जार मिट्टी परीक्षण

मिट्टी की बनावट जानने के लिए सबसे आसान तरीका है जार मिट्टी परीक्षण, जिसमें रेत, गाद और चिकनी मिट्टी का प्रतिशत पता चल जाता है।

कैसे करें जार मिट्टी परीक्षण?

  1. जार में 1/4–1/2 तक मिट्टी भरें (3 फुट गहराई से ली गई)
  2. कंकड़-जड़ें हटा दें और जार में पानी भरें
  3. कुछ बूंदें लिक्विड सोप डालें
  4. 2 मिनट तक जोर से हिलाएं
  5. 1–2 मिनट में रेत (Sand) नीचे बैठ जाती है
  6. 30 मिनट में गाद (Silt) उसकी ऊपर जमती है
  7. 24 घंटे में चिकनी मिट्टी (Clay) सबसे ऊपर दिखती है

इसके बाद स्केल से परतों की ऊँचाई मापकर तीनों का प्रतिशत निकाला जा सकता है।

मिट्टी की उर्वरता घटने के मुख्य कारण

  • रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग
  • जैविक खादों का कम प्रयोग
  • मिट्टी की जलधारण क्षमता में गिरावट
  • ऑक्सीजन की कमी और गहरी जुताई

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान और बागवानी प्रेमी छाछ जैसे जैविक विकल्प अपनाएं और समय-समय पर मिट्टी की जांच करें, तो न केवल पौधे स्वस्थ रहेंगे बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक कायम रहेगी।

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