पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद वाले विधायक हुमायूं कबीर पर बड़ा पेंच
TMC से निष्कासित किए गए हुमायूँ कबीर के मुद्दे पर एक बड़ा पेंच फंस गया है। यह पेंच इतना बड़ा है कि विधायक को चिल्ला-चिल्लाकर घोषणा करनी पड़ रही है कि ‘‘मैं बाबरी मस्जिद वाला विधायक हुमायूँ कबीर नहीं हूं।

Humayun Kabir : पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने की नींव पड़ गई है। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक विधायक हुमायूं कबीर ने रखी है। टीएमसी (TMC) ने विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। TMC से निष्कासित किए गए हुमायूँ कबीर के मुद्दे पर एक बड़ा पेंच फंस गया है। यह पेंच इतना बड़ा है कि विधायक को चिल्ला-चिल्लाकर घोषणा करनी पड़ रही है कि ‘‘मैं बाबरी मस्जिद वाला विधायक हुमायूँ कबीर नहीं हूं।
नाम के संकट ने उलझा दिया हुमायूं कबीर का मामला
दुनिया के प्रसिद्ध लेखक तथा दार्शनिक शेक्सपियर ने कहा था कि 'नाम में क्यों रखा है' और कई मायने में यह कथन सच लगता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में, इन दिनों यह उक्ति मिथ्या साचित हो रही है। यहां नाम को लेकर राजनीति गरमा गई है। पश्चिम बंगाल में दो-दो हुमायूं कबीर को लेकर अफरा-तफरी मची है। मजे की बात है कि दोनों ही हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं और दोनों ही विधायक भी। एक हुमायूं कबीर हैं भरतपुर के विधायक, जो जो मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बीते 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने के बाद चर्चा में बने हुए हैं और दूसरे हुमायूं कबीर हैं डेबरा के विधायक, जो पहले भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में थे। डेबरा वाले पुलिस सेवा से राजनीति में आए और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। भरतपुर वाले ने कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा पहुंचने के बाद तृणमूल का दामन थामा था।
मैं बाबरी मजिस्द वाला हुमायूं कबीर नहीं हूं
एक ही नाम होने के कारण डेबरा वाले हुमायूं कबीर को बीते दो-तीन दिनों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी फोन की घंटी लगातार बज रही है और वह यह बताते बताते थक से गए हैं कि मैं बाबरी मस्जिद वाला हुमायूं कबीर नहीं हूं। दरअसल, भरतपुर के विधायक ने छह दिसंबर को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी थी और इसके निर्माण के लिए लोगों से 'क्यूआर कोड' के जरिये आर्थिक मदद देने का आग्रह किया था। जिन्हें नहीं मालूम कि बंगाल में हुमायूं कबीर नाम के दो-दो विधायक हैं, वे मस्जिद निर्माण में आर्थिक सहयोग देने के लिए लगातार डेबरा वाले विधायक को फोन कर 'क्यूआर कोड' या 'गूगल-पे नंबर' या 'बैंक अकाउंट नंबर' मांग रहे हैं। डेबरा विधायक ने बताया कि एक जैसा नाम होने के कारण बीते तीन दिनों में 300 से अधिक लोगों ने चंदा देने की इच्छा से उन्हें फोन किया। ये फोन बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मुंबई, हरियाणा, राजस्थान और विदेशों से भी आ रहे हैं। अब भी अजनबियों के फोन आ रहे हैं। पूर्व आईपीएस और मौजूदा विधायक हुमायूं कबीर ने बताया कि लगातार फोन और संदेश का जवाब देने में बहुत मुश्किल हो रही है। उन्हें बार-बार समझाना पड़ रहा है कि वह मुर्शिदाबाद वाले हुमायूं कबीर नहीं हैं। वह सफाई देते फिर रहे हैं कि उनका नाम भी हुमायूं कंबीर है, लेकिन उन्हें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नहीं किया गया है
सोशल मीडिया पर देनी पड़ रही है सफाई
डेबरा वाले हुमायूं कबीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर भी सफाई देनी पड़ रही है। डेबरा वाले हुमायूं कबीर ने कहा कि स्थिति थोड़ी अजीब हो गई है, लेकिन वह विनम्रतापूर्वक लोगों को सही नंबर ढूंढने और भरतपुर वाले हुमायूं कबीर से संपर्क करने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट भी लिखा कि मंदिर और मस्जिद राजनीतिक अखाड़ा नहीं, बल्कि प्रार्थना व पूजा के स्थल हैं। Humayun Kabir
Humayun Kabir : पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने की नींव पड़ गई है। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक विधायक हुमायूं कबीर ने रखी है। टीएमसी (TMC) ने विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। TMC से निष्कासित किए गए हुमायूँ कबीर के मुद्दे पर एक बड़ा पेंच फंस गया है। यह पेंच इतना बड़ा है कि विधायक को चिल्ला-चिल्लाकर घोषणा करनी पड़ रही है कि ‘‘मैं बाबरी मस्जिद वाला विधायक हुमायूँ कबीर नहीं हूं।
नाम के संकट ने उलझा दिया हुमायूं कबीर का मामला
दुनिया के प्रसिद्ध लेखक तथा दार्शनिक शेक्सपियर ने कहा था कि 'नाम में क्यों रखा है' और कई मायने में यह कथन सच लगता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में, इन दिनों यह उक्ति मिथ्या साचित हो रही है। यहां नाम को लेकर राजनीति गरमा गई है। पश्चिम बंगाल में दो-दो हुमायूं कबीर को लेकर अफरा-तफरी मची है। मजे की बात है कि दोनों ही हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं और दोनों ही विधायक भी। एक हुमायूं कबीर हैं भरतपुर के विधायक, जो जो मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बीते 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने के बाद चर्चा में बने हुए हैं और दूसरे हुमायूं कबीर हैं डेबरा के विधायक, जो पहले भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में थे। डेबरा वाले पुलिस सेवा से राजनीति में आए और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। भरतपुर वाले ने कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा पहुंचने के बाद तृणमूल का दामन थामा था।
मैं बाबरी मजिस्द वाला हुमायूं कबीर नहीं हूं
एक ही नाम होने के कारण डेबरा वाले हुमायूं कबीर को बीते दो-तीन दिनों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी फोन की घंटी लगातार बज रही है और वह यह बताते बताते थक से गए हैं कि मैं बाबरी मस्जिद वाला हुमायूं कबीर नहीं हूं। दरअसल, भरतपुर के विधायक ने छह दिसंबर को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी थी और इसके निर्माण के लिए लोगों से 'क्यूआर कोड' के जरिये आर्थिक मदद देने का आग्रह किया था। जिन्हें नहीं मालूम कि बंगाल में हुमायूं कबीर नाम के दो-दो विधायक हैं, वे मस्जिद निर्माण में आर्थिक सहयोग देने के लिए लगातार डेबरा वाले विधायक को फोन कर 'क्यूआर कोड' या 'गूगल-पे नंबर' या 'बैंक अकाउंट नंबर' मांग रहे हैं। डेबरा विधायक ने बताया कि एक जैसा नाम होने के कारण बीते तीन दिनों में 300 से अधिक लोगों ने चंदा देने की इच्छा से उन्हें फोन किया। ये फोन बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मुंबई, हरियाणा, राजस्थान और विदेशों से भी आ रहे हैं। अब भी अजनबियों के फोन आ रहे हैं। पूर्व आईपीएस और मौजूदा विधायक हुमायूं कबीर ने बताया कि लगातार फोन और संदेश का जवाब देने में बहुत मुश्किल हो रही है। उन्हें बार-बार समझाना पड़ रहा है कि वह मुर्शिदाबाद वाले हुमायूं कबीर नहीं हैं। वह सफाई देते फिर रहे हैं कि उनका नाम भी हुमायूं कंबीर है, लेकिन उन्हें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नहीं किया गया है
सोशल मीडिया पर देनी पड़ रही है सफाई
डेबरा वाले हुमायूं कबीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर भी सफाई देनी पड़ रही है। डेबरा वाले हुमायूं कबीर ने कहा कि स्थिति थोड़ी अजीब हो गई है, लेकिन वह विनम्रतापूर्वक लोगों को सही नंबर ढूंढने और भरतपुर वाले हुमायूं कबीर से संपर्क करने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट भी लिखा कि मंदिर और मस्जिद राजनीतिक अखाड़ा नहीं, बल्कि प्रार्थना व पूजा के स्थल हैं। Humayun Kabir












