West Bengal: पश्चिम बंगाल के नव नियुक्त राज्यपाल सी वी आनंद बोस का मानना है कि राज्यपाल का कार्य प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस नीत सरकार और राजभवन के बीच ‘सभी विवादों के समाधान’ के लिए सेतु की तरह काम करना है।
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बोस को बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने कहा कि राजभवन और राज्य सरकार के बीच मतभेदों को विवाद की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि ‘विचारों में अंतर’ की तरह देखा जाना चाहिए क्योंकि दोनों एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं।
उन्होंने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं विवादों के समाधान को तरजीह देता हूं क्योंकि हर समस्या का समाधान होता है और हमें सही समाधान पर पहुंचना चाहिए। हमें सभी को एकजुट रखना होगा। इसलिए, मैं वहीं कहूंगा जो संविधान हमसे अपेक्षा रखता है-राज्यपाल को रास्ता जानना होगा, दिखाना होगा और उस पर चलना होगा।’’
पूर्व राज्यपाल एवं वर्तमान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अनेक विषयों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ गतिरोध रहता था।
राजभवन और तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच मतभेदों के समाधान के बारे में पूछे जाने पर बोस ने कहा कि राज्यपाल को केंद्र तथा राज्य के बीच सेतु के रूप में काम करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उन्हें राज्य सरकार का सहयोग मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों (राजभवन और राज्य सरकार) एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं। संविधान के निर्माता निश्चित रूप से कोई दायित्वहीन पद सृजित नहीं करना चाहते थे। निश्चित रूप से, एक उद्देश्य था। संविधान में राज्यपाल का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित है। राज्यपाल को राज्य तथा केंद्र के बीच सेतु की तरह काम करना होता है।’’
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी बोस ने कहा, ‘‘राज्यपाल की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि सरकार संविधान के दायरे के भीतर काम करे और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।’’
गैर-भाजपा शासित राज्यों में सरकारों तथा राज्यपाल के बीच बढ़ते गतिरोध के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ये ‘विचारों में अंतर’ हैं और इन्हें विवाद की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे विवाद के रूप में नहीं, बल्कि विचारों के अंतर के रूप में देखता हूं। एक अलग दृष्टिकोण और विचारों में अंतर लोकतंत्र की बुनियाद है। मतभेद का मतलब लोकतंत्र की कमजोरी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की ताकत है।’’
बोस ने कहा, ‘‘हमारे जैसे बहुलतावादी समाज में मुद्दों पर लोगों की जो भी राय हो, उस पर मुक्त अभिव्यक्ति होनी चाहिए। भारत में लोकतंत्र इतना शक्तिशाली है कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है जिसे लोकतंत्र संभाल नहीं सकता। संविधान मौजूद है, यह कथित संघर्षों के सभी समाधान प्रदान करता है।’’
केंद्र में भाजपा के शासन के तहत राजभवन को ‘भगवा खेमे का विस्तारित पार्टी कार्यालय’ बनाने के विपक्षी दलों के आरोपों पर नव नियुक्त राज्यपाल ने कहा, ‘‘आरोप तो आरोप हैं, मैं तथ्यों पर भरोसा करता हूं।’’ केरल के कोट्टायम से ताल्लुक रखने वाले बोस ने अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर पदभार नहीं संभाला है।
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