Monday, 14 October 2024

भारतवर्ष को आर्यावर्त और जम्बूद्वीप क्यों कहते हैं ?

Why India called Jambudweepa : आर्यावर्त और जम्बूद्वीप से भारत के नाम का इतिहास:-जब भी हम पूजन में संकल्प करते…

भारतवर्ष को आर्यावर्त और जम्बूद्वीप क्यों कहते हैं ?

Why India called Jambudweepa : आर्यावर्त और जम्बूद्वीप से भारत के नाम का इतिहास:-जब भी हम पूजन में संकल्प करते हैं तो सबसे पहले कहा जाता है “भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरत खण्डे” आर्यावर्त का प्राचीन नाम “आर्यावर्तैक देशे” कह कर ही इसे संबोधित किया जाता है । भारत का प्राचीन नाम आर्यावर्त ही था, इससे पहले जम्बूद्वीप था, शाकुन्तला पुत्र भरत के नाम पर इसका नाम भारत हो गया, तब से हमारे  देश का नाम भारत है।

भारतवर्ष को आर्यावर्त और जम्बूद्वीप क्यों कहते हैं ?:-

Why India called Jambudweepa

जम्बूद्वीप (संस्कृत; जम्बूदीप) नाम है जिसे अक्सर प्राचीन भारतीय स्रोतों में ग्रेटर भारत के क्षेत्र का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह शब्द द्वीप की अवधारणा पर आधारित है, जिसका अर्थ प्राचीन भारतीय ब्रह्मांड विज्ञान में “द्वीप” या “महाद्वीप” है। जम्बूद्वीप शब्द का प्रयोग अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में अपने साम्राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया था। कई इतिहासकारों का मानना है कि भारत में जामुन के पेड़ों की बहुलता के कारण इसे ये नाम मिला। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जम्बू के वृक्ष में हाथी के जैसे विशालकाय फल लगते थे। जब फल पहाड़ पर गिरते तो उनके रस से एक नदी का निर्माण होता था। इसी नदी के किनारे बसने वाले भू-खंड को जम्बूद्वीप कहा गया

इसका अर्थ यह है कि जम्बूद्वीप भारतवर्ष का ही प्राचीन नाम है । भारतवर्ष की कहानी :  पुरुवंशी राजा ऐति के पुत्र दुष्यंत हुये । उन्होंने विश्वामित्र और उनकी तपस्या भंग करने के लिये आई मेनका की पुत्री शकुन्तला जिसे कण्व ऋषि ने अपनी पुत्री के समान पाला था । महाराज दुष्यंत ने कण्व ऋषि की अनुपस्थिति में शकुंतलासे गंधर्व विवाह किया था । जिसके बाद अपने राज्य में आकर वह उसे भूल गये । शकुंतला के गर्भवती होने पर महर्षि कण्व ने उसे अपने शिष्यों के साथ महाराज दुष्यंत के पास भेजा । विवाह के समय दुष्यंत ने उसे उसे अपनी राज चिन्हित अंगूठी दी थी जो कि नदी में स्नान करते समय गिर गई और उसे एक मछली ने निगल लिया ।

शकुंतला को मिला था महर्षि दुर्वासा का श्राप

कहते हैं कि एक बार महर्षि दुर्वासा कण्व ऋषि से मिलने उनके आश्रम में आये उस समय कण्व ऋषि कहीं बाहर गये थे । उन्होंने पुकारा किंतु शकुंतला उस समय दुष्यंत की याद में खोई थी इसलिये नहीं सुना। तब क्रोधवश उन्होंने शकुंतला को श्राप दे दिया कि तू जिसकी याद में इतनी खोई है वह तुझे भूल जायेगा।  बाद में शकुंतला के क्षमा मांगने पर कहा कि :–” तुम्हें तुम्हारी पहचान के लिये जो उसने पहचान मुद्रा दी उसे देखने पर उसे वह सब याद आयेगा। जब शकुंतला राज सभा में उपस्थित हुई तो महाराज दुष्यंत ने उससे स्मृति चिन्ह पहचान केलिये मांगा । शकुन्तला ने जब वह अंगूठी दिखानी चाही तो वह वहां थी ही नहीं । महाराज दुष्यंत ने पहचानने से इंकार करते हुये उसे अपने राज्य की सीमा से बाहर जाने  को कहा। अपनी पुत्री का यह अपमान होते देख अप्सरा मेनका उसे अपने साथ महर्षि कश्यप के आश्रम में ले गई । जहां पर उसने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम सभी महर्षियों ने मिलकर भरत रखा और कहा कि यह एक महाप्रतापी राजा होगा जिसके नाम पर आर्यावर्त भारत वर्ष के नाम से जाना जायेगा ।

राजा भरत के नाम पर आर्यावर्त भारत वर्ष के नाम से जाना गया Why India called Jambudweepa

इधर एक दिन एक मछुआरे को शिकार करते समय वही मछली मिली । जब उसने उसका पेट चीर कर देखा तो महाराज दुष्यंत के नाम की अंगूठी उसके पेट मे मिली । उसे लेकर वह महाराज के पास आया जिसे देखकर महाराज को शकुंतला की याद आ गई और वह उससे मिलने के लिये बैचेन होकर इधर उधर भटकने लगे । एक दिन जब वह शिकार के लिये जंगल में गये तो उन्होंने देखा कि एक पांच वर्ष का बालक शेर के मुंह मे हाथ डालकर निर्भीक हो उसके दांत गिन रहा है । कहा जाता है कि उसे शेर के शावकों के साथ खेलते देख उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ और वह उसके साथ आश्रम में आये और महर्षि को प्रणाम कर उस बालक के विषय में ज्ञात करना चाहा तब महर्षि ने उसे शकुंतला का पुत्र कह कर सारी कहानी सुनाई । महाराज दुष्यंत को अंगूठी मिलने पर शकुंतला से विवाह की बात उन्हें याद आई और वह तब से शकुंतला की तलाश में भटक रहे थे। उन्होने कहा आज अपने पुत्र और पत्नी को पाकर मैं धन्य हो गया। महर्षि ने शकुन्तला को अपने पुत्र भरत के साथ ले जाने की आज्ञा देते हुये कहा महाराज आपका यह पुत्र चक्रवर्ती सम्राट होगा और इसके नाम पर ही इस देश का नाम भारत होगा । इसीलिये उनकी संतानें भरतवंशी कहलाई और इस देश का नाम उनके नाम पर भारत पड़ा। महाभारत में भी इसे जयतु भारत कहते हुये महाभारत की गाथा महर्षि वेदव्यास ने कहा और श्री गणेश जी ने लिखा । महाभारत को पंचम वेद की संज्ञा प्राप्त है ‌ यह ज्ञान का वह अक्षुण्ण भंडार है जिसमें सभी प्रकार ज्ञान विज्ञान ज्योतिष वेद वेदांग ,नीति आचार शस्त्र से लैकर शास्त्र विद्या तक सभी कुछ समाया हुआ है ‌। इसीलिये इसका अपना विशेष महत्व है जिसे गुप्त रखा गया ।

भारतवर्ष को आर्यावर्त क्यों कहा गया 

भारत पहले आर्यो का निवास था । उसके बाद धीरे -धीरे आर्यो के द्वारा अनेक सभ्यताए तथा संस्कृतिया विकसित की गई ।भारत को गौरवमयी बनाने में भी आर्यो ने महत्वपूर्ण योगदान दिया इसलिए प्राचीन भारत को” आर्यावर्त” के नाम से भी जाना जाता हैं।

Why India called Jambudweepa
उषा सक्सेना

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