लंदन यात्रा बनी मुसीबत, गिरफ्तार हुए श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे

लंदन यात्रा बनी मुसीबत, गिरफ्तार हुए श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे
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calendar29 Nov 2025 04:55 AM
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कभी श्रीलंका की सत्ता की कमान संभाल चुके रानिल विक्रमसिंघे अब आरोपों के घेरे में हैं। सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में CID ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी न सिर्फ श्रीलंका की राजनीति को हिला रही है, बल्कि देश के इतिहास में भी पहली बार किसी पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हुई है।  Sri Lanka News

लंदन यात्रा से जुड़ा विवाद

यह मामला सितंबर 2023 का है, जब विक्रमसिंघे अपनी पत्नी प्रोफेसर मैत्री विक्रमसिंघे के साथ लंदन गए थे। उनकी पत्नी ने वॉल्वरहैम्प्टन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शिरकत की थी। आरोप है कि इस यात्रा और सुरक्षा इंतज़ामात पर सरकारी खजाने से खर्च किया गया। पूर्व राष्ट्रपति ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी पत्नी ने पूरा निजी खर्च स्वयं उठाया। उनका दावा है कि किसी भी सार्वजनिक धन का गलत इस्तेमाल नहीं हुआ।

पहले दर्ज किए गए बयान

इससे पहले CID ने विक्रमसिंघे की पूर्व निजी सचिव सैंड्रा परेरा और तत्कालीन राष्ट्रपति सचिव समन एकनायके के बयान दर्ज किए थे। ये बयान अदालत में साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए। ताजा घटनाक्रम में पूर्व राष्ट्रपति से करीब चार घंटे तक पूछताछ की गई और उसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। एजेंसी सूत्रों का कहना है कि विक्रमसिंघे को आज शाम तक फोर्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

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श्रीलंका के इतिहास में पहली गिरफ्तारी

गौरतलब है कि श्रीलंका के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी पूर्व राष्ट्रपति को गिरफ्तार किया गया है। विक्रमसिंघे ने जुलाई 2022 में गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद संभाला था। हालांकि, सितंबर 2024 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।  Sri Lanka News

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वीजा पर रह रहे हैं अमेरिका में? तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है

वीजा पर रह रहे हैं अमेरिका में? तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है
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calendar28 Nov 2025 10:15 PM
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अमेरिकी सरकार ने वीजा नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। देश में रह रहे 5.5 करोड़ से अधिक विदेशियों के वीजा की समीक्षा की जा रही है। इस प्रक्रिया के तहत वीजा अवधि के उल्लंघन, दस्तावेजों में गड़बड़ी या आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने वालों का वीजा रद्द कर दिया जाएगा और उन्हें डिपोर्ट किया जाएगा। इस सख्ती का असर अमेरिका में रह रहे करीब 52 लाख भारतीयों पर भी पड़ सकता है। International News 

किसे डिपोर्ट किया जाएगा?

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, जिन लोगों का वीजा खत्म हो चुका है और वे अब भी अमेरिका में रह रहे हैं। जिनके दस्तावेज अधूरे या फर्जी हैं। जो किसी आपराधिक, आतंकी या देश विरोधी गतिविधि में शामिल पाए जाते हैं। जिनके देश में कानूनी कार्रवाई जारी है। इन मामलों में सोशल मीडिया अकाउंट्स तक की जांच की जाएगी।

2025 में अब तक 2 लाख से ज्यादा अवैध अप्रवासी डिपोर्ट

इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) के मुताबिक, 2025 में अब तक 2 लाख से अधिक अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से वापस भेजा गया है। इनमें से 75% पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। जनवरी से जुलाई 2025 के बीच कुल 1,703 भारतीय नागरिक डिपोर्ट किए गए। पंजाब से 620, हरियाणा से 604, गुजरात से 245 इनमें से कई लोग वीजा अवधि समाप्त होने के बावजूद अमेरिका में रह रहे थे।

अमेरिका में 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान

अमेरिकी एजेंसियों ने अब तक लगभग 18,000 भारतीय नागरिकों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। इन्हें भी जल्द ही डिपोर्ट किया जा सकता है।अमेरिका में एशियाई मूल की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारतीयों की है। 21% एशियाई अमेरिकी भारतीय मूल के हैं। 2000 से 2023 के बीच भारतीय प्रवासियों की संख्या 174% बढ़ी है। 2000 में 13 लाख, 2023 में 32 लाख इनमें से 60% लोग 10 साल से अधिक समय से अमेरिका में रह रहे हैं। 51% भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता भी प्राप्त कर ली है।

कहां रहते हैं सबसे ज्यादा भारतीय मूल के लोग?

कैलिफोर्निया – 9.6 लाख टेक्सास – 5.7 लाख न्यू जर्सी – 4.4 लाख न्यूयॉर्क – 3.9 लाख इलिनॉय – 2.7 लाख

शहरों में

न्यूयॉर्क – 7.1 लाख डलास – 2.7 लाख सैन फ्रांसिस्को – 2.6 लाख

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काबुल तक बढ़ा चीन-पाक CPEC, त्रिपक्षीय बैठक में तय हुई अहम सहमति

काबुल तक बढ़ा चीन-पाक CPEC, त्रिपक्षीय बैठक में तय हुई अहम सहमति
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calendar30 Nov 2025 09:19 PM
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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच छठा त्रिपक्षीय सम्मेलन आयोजित किया गया। बैठक में मुख्य रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का काबुल तक विस्तार, आतंकवाद और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक में अफगानिस्तान की ओर से कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी, पाकिस्तान की ओर से उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भाग लिया। वांग यी सीधे नई दिल्ली से काबुल पहुंचे, जबकि इशाक डार की यह काबुल की तीसरी यात्रा है। Hindi News

CPEC का काबुल तक विस्तार और त्रिपक्षीय सहयोग

तीनों देशों ने आर्थिक और राजनीतिक सहयोग बढ़ाने, सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग मजबूत करने और CPEC के विस्तार पर सहमति जताई। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि तीनों पक्ष आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही व्यापार, क्षेत्रीय विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति और ड्रग्स तस्करी के मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि यह चीनी विदेश मंत्री की तालिबान सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की पहली यात्रा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में भी भूमिका निभाई। इस दौरान पाकिस्तान ने दावा किया कि अफगानिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों ने उसके देश में हमलों की संख्या बढ़ा दी है।

भारत का विरोध और CPEC का महत्व

यह परियोजना चीन और पाकिस्तान के लिए महत्वाकांक्षी मानी जाती है। 2015 में घोषित इस प्रोजेक्ट के तहत चीन के शिंजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने के लिए करीब 2442 किलोमीटर लंबी सड़क और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। अरबों डॉलर की लागत वाले इस कॉरिडोर को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का 'ड्रीम प्रोजेक्ट' कहा जाता है। हालांकि, भारत इस परियोजना का मुखर विरोध करता रहा है क्योंकि CPEC पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और अक्साई चीन जैसे विवादित इलाकों से होकर गुजरता है। नई दिल्ली का स्पष्ट कहना है कि PoK में किसी भी तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट भारत की संप्रभुता के खिलाफ है। इसके अलावा, ग्वादर पोर्ट पर चीन का भारी निवेश और नियंत्रण भारत की रणनीतिक चिंताओं को और बढ़ाता है।

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CPEC और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया

CPEC के जरिए चीन खाड़ी देशों से आने वाले तेल और गैस को तेजी और कम लागत में अपने देश तक पहुँचाना चाहता है। हालांकि बलूचिस्तान के स्थानीय लोग इसे अपने संसाधनों पर कब्जे के रूप में देखते हैं, जिससे इस क्षेत्र में लंबे समय से विरोध और असंतोष बना हुआ है। त्रिपक्षीय बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन की यात्रा का भी जिक्र किया गया, जहां परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत की संभावना है।  Hindi News