संस्कृत में विद्वान हैं यह मुस्लिम महिला, वेद-पुराणों का भी है ज्ञान Dr. Nurima Yasmin Shastri

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Dr. Nurima Yasmin Shastri
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:14 PM
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Dr. Nurima Yasmin Shastri : गुवाहाटी। संस्कृत को आमतौर पर हिंदू धर्म के लोगों की भाषा माना जाता है। इसकी शिक्षा लेने वाले अधिकतर छात्र हिंदू होते हैं। दूसरी ओर ज्यादातर मुस्लिम छात्र अरबी, फारसी और उर्दू की पढ़ाई करते हैं। गुवाहाटी में रहने वाली मुस्लिम महिला डॉ. नूरिमा यास्मीन शास्त्री ने इस धारणा को तोड़ा है।

Dr. Nurima Yasmin Shastri

डॉ. नूरिमा यास्मीन संस्कृत में विद्वान हैं। उन्होंने वेद-पुराणों का भी अध्ययन किया है। उन्होंने स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक संस्कृत में पढ़ाई की है। यास्मीन, कुमार भास्कर बर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय, नलबाड़ी में संस्कृत की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। यास्मीन ने बताया कि संस्कृत हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की पवित्र भाषा है। प्री क्लासिकल फॉर्म में संस्कृत को वैदिक संस्कृत के रूप में जाना जाता है। यह प्राचीन भाषा है। हिंदू धर्म के सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद को संस्कृत में लिखा गया था। हिंदू धर्म के सभी पवित्र ग्रंथ और मंत्र संस्कृत में लिखे गए हैं।

2008 से संस्कृत पढ़ा रहीं हैं यास्मीन

डॉ. नूरिमा यास्मीन पश्चिमी असम के रंगिया में रहने वाले दिवंगत अली बर्दी खान और शमीना खातून की सबसे छोटी बेटी हैं। उनके पिता रंगिया हायर सेकेंडरी स्कूल में अंग्रेजी के टीचर थे। यास्मीन ने रंगिया हायर सेकेंडरी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद कॉटन कॉलेज (अब कॉटन यूनिवर्सिटी) में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से संस्कृत में स्नातक किया। यास्मीन ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एमए और एमफिल की डिग्री प्राप्त की। यास्मीन ने 2008 में शास्त्री डिग्री और 2015 में Ph.D. डिग्री ली। वह 2008 से प्रोफेसर के रूप में संस्कृत पढ़ा रहीं हैं।

संस्कृत सिर्फ एक धर्म के संबंधित नहीं

यास्मीन ने कहा कि संस्कृत गहन और गंभीर विषय है। यह सिर्फ एक धर्म के संबंधित नहीं है। संस्कृत दिव्य भाषा है। यह सभी भाषाओं की जड़ है। संस्कृत पढ़ने से अन्य भाषाएं सीखने में आसानी होती है। सभी को संस्कृत पढ़ना चाहिए। यास्मीन ने बताया कि वह बचपन से ही संस्कृत पढ़ना चाहती थी। उन्होंने आठवीं क्लास से इसकी पढ़ाई शुरू की थी। किसी ने उन्हें स्कूल में यह भाषा पढ़ने से नहीं रोका। वह संस्कृत की क्लास में इकलौती मुस्लिम छात्रा होती थी।

यास्मीन ने कहा, "मैं सोचती हूं कि हर किसी को संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इसके बारे में जानने के लिए बहुत सी बातें हैं। जिस विश्वविद्यालय में मैं वर्तमान में संस्कृत साहित्य, संस्कृत वेद अध्ययन विभाग और सर्वदर्शन विभाग में काम करती हूं वहां कई मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं। आजकल हम अपने चारों ओर धर्म के नाम पर अलग-अलग राय सुनते हैं। लेकिन पवित्र कुरान और वेदों में अन्य धर्मों से नफरत करने के लिए नहीं कहा गया है। मैंने कुरान और वेद दोनों को पढ़ा है।"

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Bihar News : शाह के बयान पर तेजस्वी का कटाक्ष- लोगों को सीधा करता है बिहार

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Bihar News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:15 PM
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Bihar News / पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाजपा के बिहार में सत्ता में आने पर दंगाईयों को उल्टा लटका दिए जाने संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को कहा कि यह प्रदेश लोगों को सीधा करने के लिए जाना जाता है।

राजद नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा के कई सांसद हंगामा करने में शामिल थे, लेकिन पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार शाह ने उनके व्यवहार के लिए उनकी खिंचाई नहीं की।

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तेजस्वी ने कहा कि यह बिहार है। यहां के लोग जानते हैं कि जिन्हें इस तरह के इलाज की जरूरत है, उन्हें कैसे ठीक करना है। गुजरात के लोगों के लिये, बिहार में अपने प्रवचन के दौरान यह याद रखना अच्छा होगा कि यह वही भूमि है जहां गांधी महात्मा बने थे।

उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को नवादा जिले की एक रैली में शाह के उग्र भाषण जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में भाजपा के सत्ता में आने पर दंगाइयों को उल्टा लटका दिया जाएगा।

संघवाद की भावना के खिलाफ शाह का कदम

दिल्ली से लौटने के बाद पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजद के युवा नेता ने यह भी कहा कि शाह ने सांप्रदायिक स्थिति का जायजा लेने के लिए बिहार के राज्यपाल को फोन करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, और यह ‘संघवाद’’ की भावना के खिलाफ है । उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार के अधिकार को कमजोर करने जैसा था।

राजद नेता ने आरोप लगाया कि राज्य में 100 से अधिक स्थानों पर रामनवमी उत्सव के दौरान जुलूस निकाले गए पर सासाराम और बिहारशरीफ में सांप्रदायिक गड़बड़ी पैदा करने के गंभीर प्रयास किए गए।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि दंगे एक साजिश का नतीजा थे, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी तरह से।

महागठबंधन की रैली से भाजपा बौखला गई

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दो महीने से भी कम समय पहले पूर्णिया जिले में सत्ताधारी महागठबंधन की सफल रैली के बाद से विपक्षी भाजपा बौखला गई है।

तेजस्वी ने राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए आरोप लगाया, ‘‘तमिलनाडु में प्रवासियों पर हमलों के झूठे आरोपों के साथ उपद्रव करने का प्रयास भी विफल रहा इसलिए अब दंगे करवाए गए।’’

उन्होंनें कहा कि सत्ता रहे न रहे, भाईचारा रहना चाहिए। तेजस्वी ने पूछा कि अमित शाह दंगाइयों को उल्टा लटकाने की बात करते हैं। वह कई सांसदों से घिरे हुए हैं, जो खुले तौर पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काते हैं। उन्होंने उनमें से कितनों को सीधा किया है।

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Big News : देश ​पशुपालकों की नहीं चिंता, अब विदेश से मंगाया जाएगा मक्ख्रन और घी !

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:57 PM
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Big News : नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब दूध से बने उत्पादों को विदेश से आयात करने पर विचार बना रही है। यदि ऐसा संभव हुआ तो देश के करोड़ों पशु पालकों और किसानों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। सरकार का तर्क है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में दूध उत्पादन में ठहराव रहने के कारण ऐसी वस्तुओं की आपूर्ति में कमी है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

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उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि जरूरी हुआ, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात करने के मामले में हस्तक्षेप करेगी। दक्षिणी राज्यों में अब उत्पादन का चरम समय शुरू हो गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में दूध उत्पादन वर्ष 2021-22 में 22.1 करोड़ टन रहा, जो इससे पिछले वर्ष के 20.8 करोड़ टन से 6.25 प्रतिशत अधिक था।

पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने प्रेसवार्ता में बताया कि मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में देश के दुग्ध उत्पादन में ठहराव रहा, जबकि महामारी के बाद की मांग में उछाल के कारण इसी अवधि में घरेलू मांग में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

पिछले वर्ष के मुकाबले कम स्टॉक

उन्होंने कहा कि देश में दूध की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है ... स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का पर्याप्त भंडार है। लेकिन डेयरी उत्पादों, विशेष रूप से वसा, मक्खन और घी आदि के मामले में पिछले वर्ष के मुकाबले स्टॉक कम है।

उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि आवश्यक हो, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात में हस्तक्षेप करेगी।

हालाँकि, सिंह ने पाया कि आयात इस समय लाभकारी नहीं हो सकता है क्योंकि हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय कीमतें मजबूत बनी हुई हैं।

दूध उत्पादन के आकलन के बाद ही फैसला

उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक कीमतें ऊंची हैं, तो आयात करने का कोई मतलब नहीं है। हम देश के बाकी हिस्सों में उत्पादन का आकलन करेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे।

उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में यह कमी कम रहेगी, जहां पिछले 20 दिन में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट के साथ स्थिति अनुकूल हुई है।

सचिव के अनुसार, पिछले साल गांठदार त्वचा रोग के प्रभाव की वजह से 1.89 लाख मवेशियों की मौत और दूध की मांग में महामारी के बाद के उछाल के कारण देश का दूध उत्पादन स्थिर रहा।

Big News - कुल दूध उत्पादन में ठहराव

सिंह ने कहा कि मवेशियों पर गांठदार त्वचा रोग का प्रभाव इस हद तक महसूस किया जा सकता है कि कुल दूध उत्पादन में थोड़ा ठहराव रहा। आमतौर पर दूध उत्पादन सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हालांकि, इस साल (2022-23) यह कम होगा। या तो स्थिर रहे या 1-2 प्रतिशत की दर से बढ़े।"

सिंह ने कहा कि चूंकि सरकार सहकारी क्षेत्र के दूध उत्पादन के आंकड़ों को ध्यान में रखती है, न कि पूरे निजी और असंगठित क्षेत्र का, इस कारण ‘‘हम मानते हैं कि दूध उत्पादन में ठहराव रहेगा।’’

उन्होंने कहा कि सही मायने में चारे की कीमतों में जो वृद्धि हुई है उसके कारण दूध की महंगाई बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है क्योंकि पिछले चार वर्षों में चारे की फसल का रकबा भी स्थिर रहा है, जबकि डेयरी क्षेत्र सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत ने आखिरी बार वर्ष 2011 में डेयरी उत्पादों का आयात किया था।

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