Lohri 2022 कल है लोहड़ी पर्व, इन उपायों को करने से चमकेगी किस्मत

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Lohri 2022 कल है लोहड़ी पर्व, इन उपायों को करने से चमकेगी किस्मत
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calendar12 Jan 2022 04:43 PM
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Lohri 2022 : लोहड़ी परंपरागत रूप से रबी फसलों की फसल से जुड़ा हुआ है और यह किसान परिवारों में सबसे बड़ा उत्सव भी है। पंजाबी किसान लोहड़ी (Lohri 2022) के बाद भी वित्तीय नए साल के रूप में देखते हैं। कुछ का मानना है कि लोहड़ी ने अपना नाम लिया है, कबीर की पत्नी लोई, ग्रामीण पंजाब में लोहड़ी (Lohri 2022), लोही है। मुख्यतः पंजाब का पर्व होने से इसके नाम के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं। ल का अर्थ लकड़ी है, ओह का अर्थ गोहा यानी उपले, और ड़ी का मतलब रेवड़ी। तीनों अर्थों को मिला कर लोहड़ी बना है।

अग्नि प्रज्जवलन का शुभ मुहूर्त

13 जनवरी 2022 दिन  गुरुवार की सायंकाल 5 बजे से रोहिणी नक्षत्र आरंभ हो जाएगा। यह नक्षत्र ऐसे संस्कारों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है। लकड़ियां, समिधा, रेवड़ियां, तिल आदि सहित अग्नि प्रदीप्त करके अग्नि पूजन के रुप में लोहड़ी का पर्व मनाएं देर रात तक। इस लोहड़ी पर कोविड नियमों का पालन अवश्य करें, उचित दूरी बना कर रखें, लोहड़ी जलाते समय उसमें उच्चकोटि की हवन सामग्री डालें ताकि वायरस न फैले। संपूर्ण भारत में लोहड़ी का पर्व धार्मिक आस्था, ऋतु परिवर्तन, कृषि उत्पादन, सामाजिक औचित्य से जुड़ा है। पंजाब में यह कृषि में रबी फसल से संबंधित है, मौसम परिवर्तन का सूचक तथा आपसी सौहार्द्र का परिचायक है।

सायंकाल लोहड़ी जलाने का अर्थ है कि अगले दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पर उसका स्वागत करना। सामूहिक रुप से आग जलाकर सर्दी भगाना और मूंगफली, तिल, गज्जक , रेवड़ी खाकर शरीर को सर्दी के मौसम में अधिक समर्थ बनाना ही लोहड़ी मनाने का उद्देश्य है। आधुनिक समाज में लोहड़ी उन परिवारों को सड़क पर आने को मजबूर करती है जिनके दर्शन पूरे वर्ष नहीं होते। रेवड़ी मूंगफली का आदान प्रदान किया जाता है। इस तरह सामाजिक मेल जोल में इस त्योहार का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अलावा कृषक समाज में नव वर्ष भी आरंभ हो रहा है। परिवार में गत वर्ष नए शिशु के आगमन या विवाह के बाद पहली लोहड़ी पर जश्न मनाने का भी यह अवसर है। दुल्ला भटटी की सांस्कृतिक धरोहर को संजो रखने का मौका है। बढ़ते हुए अश्लील गीतों के युग में ‘संुदरिए मुंदरिए हो’ जैसा लोक गीत सुनना बचपन की यादें ताजा करने का समय है।

आयुर्वेद के दृष्टिकोण से जब तिल युक्त आग जलती है, वातावरण में बहुत सा संक्रमण समाप्त हो जाता है और परिक्रमा करने से शरीर में गति आती है। गांवों मे आज भी लोहड़ी के समय सरसों का साग, मक्की की रोटी अतिथियों को परोस कर उनका स्वागत किया जाता है।

लोहडी के उपाय 1. यदि जीवन में दुर्भाग्य साथ न छोड़ रहा हो तो लोहड़ी के दिन गरीब कन्यों को रेवड़ियां भेंट करें। 2. यदि घर में हमेशा क्लेश बना रहता हो तो काली गाय को उरद की दाल की खिचड़ी बना कर खिलाएं। इससे पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। 3. सौभाग्य पाने के लिए गरीबों में तिल और गुड़ बांटना चाहिए। 4. आर्थिक समस्या से यदि छुटकारा चाहिए तो लोहड़ी के दिन लाल कपउ़े में यथा शक्ति गेहूं बांधें और इसे किसी जरूरतमंद को दें। 5. घर में नकारात्मक शक्तियों का वास हो तो लोहड़ी के दिन तिल से हवन करें और तिल का दान करें और खुद भी तिल खाएं।

ऐसे करें लोहड़ी पर पूजा घर की पश्चिम दिशा में काले कपड़े पर महादेवी का चित्र लगाएं। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही लोहबान का धूप करें। महादेवी को सिंदूर चढ़ाने के बाद उनके समक्ष बिल्वपत्र और रेवड़ियों का भोग लगाएं।

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद

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Coronavirus Live Updates: पिछले 24 घंटों में 1,94,720 नए मामले और 442 मौतें दर्ज

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Coronavirus Live Updates
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calendar30 Nov 2025 12:27 PM
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Coronavirus Live Updates: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) के द्वारा आज कोरोना संक्रमितों की संख्या अपडेट (Coronavirus Live Updates) किए गए है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1,94,720 लाख नए कोरोना वायरस संक्रमण हुए, जिससे भारत में COVID-19 मामलों की कुल संख्या 3,60,70,510 हो गई, जिनमें से 4,868 मामले ओमिक्रॉन संस्करण (Omicron Version) के हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में सक्रिय मामले बढ़कर 9,55,319 हो गए, जो 209 दिनों में सबसे अधिक है। जबकि आज की ताजा मृत्यु संख्या 442 है जीस वजह से  कोरोना (Corona Virus) से कुल मृत्यु संख्या बढ़कर 4,84,655 हो गई। मंत्रालय ने कहा कि, सक्रिय मामलों में कुल संक्रमणों का 2.65 प्रतिशत शामिल है, जबकि राष्ट्रीय COVID-19 रीकवरी दर घटकर 96.01 प्रतिशत हो गई है। >> Delhi ki Yogshaala: होम आइसोलेशन में कोविड मरीजों के लिए दिल्ली की योग कक्षाएं देश के कई राज्यों में मंगलवार को कोविड -19 मामलों में वृद्धि देखी गई। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में, नए सक्रिय मामलों की संख्या 21,098 आई जिस वजह से पच्छिम बंगाल में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1 लाख का आंकड़ा पार कर गई है। वही तमिलनाडु (Tamil Nadu) में सोमवार के 13,990 से बढ़कर 15,379 नए मामले दर्ज किए। इसी तरह, केरल (Kerala) में भी कोरोना के दैनिक मामलों (Corona daily cases) में तेजी से वृद्धि दर्ज की, जिसमें 9,066 नए संक्रमण दर्ज किए गए। कर्नाटक (Karnataka) ने जनवरी के अंत तक राज्य में कोविड प्रतिबंधों का विस्तार करने (to extend COVID restrictions) का फैसला किया, जिस दिन इसने 14,473 नए मामले दर्ज किए। दिल्ली (Delhi) ने भी, नए प्रतिबंधों की शुरुआत की, जिसमे छूट प्राप्त श्रेणी में उन लोगों को छोड़कर, निजी कार्यालयों (Private Offices) में घर से काम करना (Work From Home) अनिवार्य कर दिया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार को 21,259 नए मामले सामने आए और 23 लोगों की मौत हुई - 16 जून के बाद सबसे अधिक मौतें। इस बीच, महाराष्ट्र (Maharashtra) में 34,424 नए मामले दर्ज किए गए, जो पिछले दिन की तुलना में 954 अधिक है। हालाँकि, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई (Mumbai) ने मंगलवार को 11,647 मामले दर्ज हुए है। मुंबई शहर (Mumbai City) के दैनिक मामले 7 जनवरी से गिर रहे हैं, हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे (Health Minister Rajesh Tope) ने कहा, "यह कहना जल्दबाजी होगी कि, बढ़ते कोरोना का ग्राप अब कम होना शुरू हो गया है।" >> PM Modi Security Lapse- मोदी की सुरक्षा में हुई चूकपर उच्च स्तरीय समिति का गठन

Omicron Variant Live Update: ओमाइक्रोन संक्रमितों के ताजा आंकड़े

भारत ने पिछले 24 घंटों में 1,94,720 ताजा कोविड -19 मामले और 442 मौतें दर्ज कींए है। यहां तक ​​​​कि सक्रिय मामले 9,55,319 हो गए। दैनिक सकारात्मकता दर (Daily Positivity Rate) बढ़कर 11.05 प्रतिशत हो गई। इस बीच, देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रकार ओमाइक्रोन से संक्रमितों की कुल संख्या 4,868 पर पहुंच गई। राज्यों की माने तो महाराष्ट्र (Maharashtra's Omicron case) में ओमाइक्रोन संस्करण के सबसे अधिक मामले 1,281 हैं, महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में 645 ओमाइक्रोन संस्करण (Rajasthan's Omicron case) से संक्रमित है तो और दिल्ली (Delhi's Omicron case) में 546 हैं। कोरोना वायरस से होने वाली मौतें, हालांकि अभी भी कुल मिलाकर बहुत कम हैं, प्रत्येक बीतते दिन के साथ तेजी से बढ़ रही हैं। >> Train Fare Hike: लंबी दूरी की ट्रेन का किराया बढ़ रहा है, जिससे जनता का बढ़ेगा बोझ
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क्या योगी के कैबिनेट मंत्री का सपा में जाना यूपी में हो रहे इस बदलाव का संकेत है!

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Swami Prasad Maurya joined SP
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calendar12 Jan 2022 07:01 AM
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यूपी में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के इस्तीफे के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस मामले ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में कुछ ऐसे पहलू जोड़ दिए हैं जिसने यूपी की राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ ला दिया है।

2017 के चुनाव से अखिलेश को मिला यह सबक इसमें सबसे दिलचस्प मोड़ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का मजबूत दावेदार बन कर उभरना है। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और कांग्रेस (Congress) ने मिलकर बीजेपी (BJP) के खिलाफ कैंपेन किया था।

भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने तीनों दलों के इस गठबंधन को ही अपना हथियार बना लिया और नतीजा बीजेपी (BJP) के पक्ष में रहा। बीजेपी को न सिर्फ 300 से ज्याादा सीटें मिलीं बल्कि, 39.67% वोट भी मिले। बीजेपी के मुकाबले सपा (21.82%) और बसपा (22.23%) को मिलाकर करीब 44% वोट मिले थे।

हार से सबक लेते हुए इस बार तीनों दलों ने शुरू से ही एक-दूसरे से दूरी बना रखी है। इसका सबसे ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी और इसके मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को होता दिख रहा है। यही वजह है कि 2017 से अलग, इस बार यूपी में मुख्य मुकाबला दो पक्षीय (बीजेपी बनाम सपा) होता दिख रहा है।

मायावती की इस रणनीति का अखिलेश को होगा लाभ! ऐसे में कांग्रेस का नुकसान तो तय है लेकिन, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की बढ़ती लोकप्रियता से सबसे ज्यादा नुकसान मायावती को हो सकता है। यह अलग बात है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में मायावती को समाजवादी पार्टी से ज्यादा वोट मिले थे।

फिलहाल, बसपा (BSP) के नुकसान की सबसे बड़ी वजह खुद मायावती (Mayawati) हैं जो 2017 के विधानसभा चुनाव (UP Election) के बाद से लगभग निष्क्रीय हैं। चुनाव की घोषणा के बाद भी सार्वजनिक मंचों पर उनका खुलकर न आना पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। 2007 में सत्ता में आने के बावजूद बसपा को करीब 30% वोट मिले थे लेकिन, तब से पार्टी का जनाधार लगातार कमजोर होता जा रहा है। पार्टी को 2012 में लगभग 25% और 2017 में 22% के करीब वोट मिले थे।

अखिलेश ने सुधारी अपनी दो गलतियां पिछले चुनाव (2017) में समाजवादी पार्टी (SP) अंदरूनी कलह का शिकार हुई और बसपा-कांग्रेस से हाथ मिलाने के चलते भी पार्टी को नुकसान हुआ। हालांकि, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने समय रहते अपनी गलतियों को सुधारने का भी पूरा प्रयास किया है। उन्होंने न सिर्फ अपने नाराज चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को अपने पक्ष में कर लिया बल्कि, अन्य पिछड़ा वर्ग के गैर-यादव जातियों को अपने खेमे में लाने के लिए भी पूरा प्रयास कर रहे हैं।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल, अपना दल (कृष्णा पटेल), राष्ट्रीय लोक दल और अब स्वामी प्रसाद मौर्य का समाजवादी पार्टी से जुड़ना अखिलेश की इसी रणनीति का हिस्सा है। यूपी में चुनाव की तैयारी में भी अखिलेश ने बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ दिया है। चुनाव की घोषणा से बहुत पहले, अखिलेश न सिर्फ अन्य छोटे दलों से गठबंधन करने में लगे हुए थे बल्कि, लगातार रोड शो करते रहे ताकि, समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके।

यूपी के बड़े दलों की गणित बिगाड़ रहे दो बाहरी दल यूपी चुनाव (UP Election 2022) को दिलचस्प बनाने में एआईएमआईएम (All India Majlis‑e‑Ittehadul Muslimeen) नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) का भी बड़ा हाथ है। जिस तरह पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के आने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हैं, वैसे ही यूपी में ओवैसी के आने से समाजवादी पार्टी की चिंता बढ़ी है।

ओवैसी भले ही कोई बड़ा उलटफेर न कर पाएं लेकिन, अगर वह कुछ हजार वोटों को भी प्रभावित करते हैं तो, इससे समाजवादी पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। इसी तरह आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भी यूपी में अपना हाथ आजमा रहे हैं। ओवैसी की तरह आम आदमी पार्टी, पश्चिमी यूपी के एनसीआर वाले हिस्से में वोट-कटवा साबित हो सकती है।

इस तरह, दो बड़ी पार्टियां (बीजेपी, सपा) और दो कमजोर विपक्षी पार्टियों (बसपा, कांग्रेस) सहित दो वोट-कटवा पार्टियां (आप, एआईएमआईएम) यूपी में ऐसा कॉम्बिनेशन बना रही हैं जिसमें किसी राजनीतिक पंडित के लिए कोई भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है।

योगी आदित्यनाथ के पक्ष में हैं यह 3 बातें अब अगर बात सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी की बात की जाए तो फिलहाल, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की लोकप्रियता और बीजेपी (BJP) का वोट प्रतिशत अन्य पार्टियों के मुकाबले काफी ज्यादा है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election) में पार्टी को करीब 40% वोट मिले थे। बीजेपी की तुलना में सपा और बसपा को चुनाव जीतने के बावजूद 2012 में और 2007 में क्रमश: 29.15% और 30.43% वोट ही मिले थे।

साफ है कि बीजेपी का वोट प्रतिशत चालीस के करीब पहुंच चुका है। यह मुख्य विपक्षी पार्टियों को हासिल अधिकतम वोट प्रतिशत से करीब दस फिसदी ज्यादा है। साथ ही, अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir), काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की यूपी में लोकप्रियमा और केंद्रीय योजनाओं के लाभ चलते बीजेपी को चुनौती देना आसान नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास यूपी में हिंदुत्व, गुंडा राज की समाप्ति और विकास का कार्ड है। हालांकि, योगी सरकार के लिए किसान आंदोलन, ब्राह्मणों की नाराजगी और एंटी इनकंबेंसी का मुद्दा परेशानी का सबब बन सकता है।

क्या नेताओं के साथ वोटर भी बदलते हैं पाला! फिलहाल, यूपी चुनाव (UP Election) दो पक्षीय होता दिख रहा है जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को समाजवादी पार्टी से सीधी टक्कर मिलती दिख रही है। सपा (SP) का यूपी के अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन फायदेमंद साबित होगा या नहीं, यह परिणामों के बाद पता चलेगा। क्या नेताओं और पार्टियों के गठबंधन के साथ वोटर भी एक पार्टी से दूसरे पार्टी में शिफ्ट होंगे? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब मतों की गिनती के बाद ही मिलता है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि यूपी में तेजी से बदल रहे राजनीतिक हालातों के चलते राजनीतिक पंडितों, आम नागरिकों और वोटरों में चुनाव के प्रति उत्सुकता बढ़ रही है। नतीजे जो भी हों, राजनीति में परिणाम की अनिश्चितता जितनी ज्यादा होगी, लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा। यह अनिश्चितता ही राजनीतिक दलों को सत्ता पाने या सत्ता में बने रहने के लिए ज्यादा मेहनत करने को मजबूर करती है।

- संजीव श्रीवास्तव