Gujrat Election : ‘आप’ के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार गढ़वी के सामने त्रिकोणीय मुकाबला

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AamAdmi Party candidate Ishudan Gadhvi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2022 05:29 PM
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Gujrat Election :  खंभालिया  गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ईशुदान गढ़वी खंभालिया से मैदान में हैं, जिसके चलते इस सीट पर सबकी नजरें हैं। गढ़वी को इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले का सामना करना होगा, जहां से कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक विक्रम मदाम को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने मुलुभाई बेरा को उतारा है।

Gujrat Election :

‘आप’ में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक लोकप्रिय गुजराती समाचार वाचक रहे गढ़वी की छवि अच्छी है और वह राज्य में अपनी पार्टी के मुख्य प्रचारक के रूप में उभरे हैं, लेकिन चुनावी जानकारों का कहना है कि इस निर्वाचन क्षेत्र के सामाजिक समीकरण उनके लिए एक चुनौती हैं। दिग्गज नेता व पूर्व लोकसभा सदस्य मदाम और राज्य के पूर्व मंत्री बेरा दोनों अहीर समुदाय से संबंध रखते हैं। जाति के हिसाब से इस सीट पर अहीर समुदाय से संबंध रखने वालों की संख्या सबसे अधिक है जबकि मुसलमान मतदाता भी काफी महत्वपूर्ण हैं। चुनाव पर नजर रखने वालों का कहना है कि मतदान में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और ‘आप’ नेता गढ़वी को नुकसान हो सकता है क्योंकि इस सीट पर उनके समुदाय के मतदाताओं की संख्या बहुत कम है जबकि मुसलमानों का रूझान कांग्रेस की तरफ है। हालांकि, गढ़वी ने खुद को एक किसान के बेटे के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा है कि वह सभी के लिए काम करेंगे और सामुदायिक पहचान को बढ़ावा नहीं देंगे। ‘आप’ के नेता व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि गढ़वी रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल करेंगे। कांग्रेस और भाजपा दोनों के कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि मुकाबला उनके दलों के बीच है और ‘आप’ इस लड़ाई में तीसरे स्थान पर रहेगी। हालांकि, ‘आप’ सदस्यों का कहना है कि परंपरागत रूप से दोनों बड़े दलों को उनकी पार्टी के आने से “झटका” लगा है। भाजपा ने 2007 और 2012 में यह सीट जीती थी, लेकिन 2014 के उपचुनाव में वह कांग्रेस से हार गई थी। कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में यह सीट बरकरार रखी थी। खंभालिया देवभूमि द्वारका जिले में पड़ता है, जो सौराष्ट्र क्षेत्र का एक हिस्सा है। इस सीट पर पहले चरण में एक दिसंबर को मतदान होना है। राज्य में दूसरे चरण के तहत पांच दिसंबर को मतदान होना है जबकि मतगणना आठ दिसंबर को होगी।

 

MP News : मध्य प्रदेश में सड़क हादसे में तीन पत्रकारों की मौत

 
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MP News : मध्य प्रदेश में सड़क हादसे में तीन पत्रकारों की मौत

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UP News: Truck collides with roadways bus in Bahraich, six people killed, 15 injured
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Nov 2025 02:14 AM
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MP News : विदिशा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में एक ट्रक ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिससे मोटरसाइकिल पर सवार विदिशा के तीन पत्रकारों की मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। सलामतपुर पुलिस थाना प्रभारी देवेंद्र पाल ने बताया कि हादसा सोमवार रात करीब नौ बजे लांबाखेड़ा के पास एक मोड़ पर हुआ।

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उन्होंने कहा कि इस हादसे में तीन पत्रकारों राजेश शर्मा, सुनील शर्मा और नरेंद्र दीक्षित की मौके पर ही मौत हो गई। राजेश विदिशा प्रेस क्लब के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद ट्रक चालक मौके से फरार हो गया। हालांकि, पुलिस ने बाद में बेरखेड़ी के पास इस ट्रक को जब्त कर लिया। सूत्रों के अनुसार हादसे के वक्त ये तीनों पत्रकार अपने साप्ताहिक अखबार की प्रिंटिंग का ऑर्डर देकर भोपाल से विदिशा लौट रहे थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन पत्रकारों के निधन पर शोक व्यक्त करते कहा कि राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए सहायता राशि प्रदान की जायेगी।

Tribute : नोएडा मीडिया क्लब ने दी स्वर्गीय शंभू दयाल गौड़ को श्रद्धांजलि

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New Delhi News : महरौली हत्याकांड : डीएनए विश्लेषण में देरी पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

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Mehrauli murder case: Experts raised questions on delay in DNA analysis
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:09 PM
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New Delhi News : नई दिल्ली। दिल्ली के महरौली हत्याकांड में आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की गिरफ्तारी को दो सप्ताह से भी ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अब भी इस बात का कोई निर्णायक प्रमाण नहीं है कि शव के जो टुकड़े मिले हैं, वे श्रद्धा वालकर के हैं। ऐसे में विशेषज्ञों के एक वर्ग ने डीएनए विश्लेषण में देरी होने पर सवाल उठाए हैं।

New Delhi News :

पूनावाला को मई में वालकर की गला घोंटकर हत्या करने के आरोप में 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। पूनावाला पर शव के 35 टुकड़े करके लगभग तीन सप्ताह तक दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने घर पर 300 लीटर के फ्रिज में रखने और फिर कई दिन तक शहर के अलग-अलग हिस्सों में उन टुकड़ों के फेंकने का भी आरोप है। पुलिस ने 13 नवंबर को कथित तौर पर 12 मानव अंग बरामद करके उन्हें एक प्रयोगशाला भेज दिया था। हालांकि अभी तक उन अंगों का डीएनए अलग करके वालकर के परिवार के सदस्यों के डीएनए से मिलान नहीं किया गया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। रोहिणी में स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में सहायक जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) डॉक्टर रजनीश कुमार सिंह ने कहा कि हम शव के बरामद हुए अंगों के बारे में कुछ भी नहीं बता सकते, क्योंकि हम ऐसे मामलों में काफी गोपनीयता बरतते हैं।

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शीर्ष फोरेंसिक विशेषज्ञों ने कहा कि डीएनए विश्लेषण में देरी क्यों हो रही है, यह समझ से परे है। उनके अनुसार विशेषज्ञों को किसी शव की शिनाख्त के लिए आदर्श रूप से 24 घंटे से अधिक समय नहीं लेना चाहिए, भले ही वह छह महीने पुराना हो। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आनुवंशिकी के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे का मानना है कि एक साल पुराने मानव अवशेष से डीएनए निकालने के लिए 24 घंटे का समय काफी है, भले ही उसे संरक्षित न रखा गया हो। चौबे उस टीम का हिस्सा थे, जिसने 2021 में डीएनए विश्लेषण के जरिए जॉर्जिया की रानी केतेवन की हत्या के 400 साल पुराने रहस्य से पर्दा हटाया था। उन्होंने कहा कि छह महीने या एक साल के बाद हमें शव पर मांस नहीं मिल सकता, लेकिन हड्डियों के अंदर पाया जाने वाला एक ऊतक अस्थि मज्जा (बोन मैरो) एक साल से अधिक समय तक बरकरार रहता है और यह डीएनए को अलग करने की प्रक्रिया आसान बनाता है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि जब इतने बड़े मामले में इतना समय लग सकता है, तो अपेक्षाकृत कम चर्चित मामलों में कितना वक्त लगता होगा। चौबे ने कहा कि देरी होना दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं सरकार को प्रस्ताव देता हूं कि देश के शीर्ष डीएनए विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक विशेष कार्यबल बनाया जाना चाहिए।

New Delhi News :

केंद्र सरकार के तहत आने वाले सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और निदेशक डॉ. के. थंगराज ने कहा कि संपूर्ण विश्लेषण नमूनों की गुणवत्ता, जैविक अवशेषों से डीएनए अलग करने, उपयुक्त डीएनए मार्कर के चयन और सबसे महत्वपूर्ण बात, प्रशिक्षित कर्मचारियों पर निर्भर करता है। दूसरी ओर, फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल), रोहिणी के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रयोगशाला में डीएनए विशेषज्ञों की कमी है और फिलहाल प्रयोगशाला में आधे कर्मचारी ही इसके लिए प्रशिक्षित हैं।

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सूत्र ने बताया कि लगभग 20 डीएनए विशेषज्ञ हैं, जो सात टीम में काम करते हैं, लेकिन काम के बोझ को देखते हुए मौजूदा संख्या आवश्यक संख्या से 50 प्रतिशत कम है। एफएसएल, रोहिणी के डॉ. रजनीश कुमार सिंह ने स्वीकार किया कि प्रयोगशाला में अधिक विशेषज्ञों की आवश्यकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय फोरेंसिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।