CM Yogi Adityanath : दैवीय आपदाओं से जनहानि पर सीएम योगी ने दुख जताया

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:25 AM
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CM Yogi Adityanath : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अतिवृष्टि, आकाशीय विद्युत, सर्पदंश तथा डूबने से हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत व्यक्तियों के परिजनों को अनुमन्य राहत राशि तत्काल वितरित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में घायलों का समुचित उपचार कराने के निर्देश दिये हैं। राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये विवरण के अनुसार प्रदेश में अतिवृष्टि से 03, आकाशीय विद्युत से 01, सर्पदंश से 01 तथा डूबने से 01 जनहानि हुई है।

CM Yogi Adityanath :

राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये विवरण के अनुसार गंगा नदी जनपद बदायूं में, शारदा नदी जनपद लखीमपुर खीरी (पलियाकलां एवं शारदानगर) में, सरयू बबई नदी जनपद बहराइच (गायघाट) में, घाघरा नदी जनपद बाराबंकी (एल्गिन ब्रिज), जनपद अयोध्या व जनपद बलिया (तुर्तीपार), राप्ती नदी जनपद श्रावस्ती (भिनगा), जनपद बलरामपुर, जनपद सिद्धार्थनगर (बांसी) व जनपद गोरखपुर (बर्डघाट), बूढ़ी राप्ती नदी जनपद सिद्धार्थनगर (ककरही), रोहिन नदी जनपद महराजगंज (त्रिमोहिनीघाट) तथा कुआनो नदी जनपद गोण्डा (चन्द्रदीपघाट) में खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। राहत आयुक्त के अनुसार वर्तमान में प्रदेश के 18 जनपदों के 1370 गांव, बलरामपुर (287), सिद्धार्थनगर (129), गोरखपुर (120), श्रावस्ती (114), गोण्डा (110), बहराइच (102), लखीमपुर खीरी (86), बाराबंकी (82), बुलन्दशहर (68), महराजगंज (63), आजमगढ़ (60), सीतापुर (57), बस्ती (32), संतकबीरनगर (19), कुशीनगर (14), मऊ (13), अयोध्या (12) तथा अम्बेडकरनगर (02) बाढ़ से प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पीएसी की टीमें तैनात करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के पालन में बलरामपुर, श्रावस्ती, गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, बस्ती, अयोध्या, सिद्धार्थनगर, गोण्डा, महराजगंज, आजमगढ़, सीतापुर और मऊ में टीमें तैनात की गई हैं।

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UP Politics : ठाकुर अमर सिंह के द्वारा पूंजीवाद की बड़ी साजिश का शिकार हुए थे मुलायम सिंह यादव

Amar singh
Mulayam Singh Yadav was the victim of a big conspiracy of capitalism by Amar Singh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:12 AM
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घोर निराशा में, आशा का दीप जला कर चले गए, दीन दुखी के जीवन में, उम्मीद जगाकर चले गए, गांधी, लोहिया के सपनों की याद दिला कर चले गए, सबका हृदय जीत लेने की कला सिखाकर चले गए, सहमति और असहमति पर एक सेतु बना कर चले गए, किन्तु, शिकायत है असमय में हाथ छुड़ाकर चले गए। ये पंक्तियां दुनिया के प्रसिद्ध कवि व शायर उदय प्रताप सिंह ने अपने सबसे प्रिय शिष्य मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देते हुए लिखी है। ऐसा लग रहा है कि मानो धरती पुत्र के नाम से प्रसिद्ध नेता जी के सम्मान से विभूषित अपने शिष्य का पूरा जीवन दर्शन गुरुजी ने मात्र 6 पंक्तियों में रेखांकित कर दिया हो। खैर, आज जब देश की राजधानी दिल्ली में हम इस आलेख को लिख रहे हैं। ठीक उसी समय दिल्ली से मात्र 350 किलोमीटर दूर सैफई गांव में समाजवाद के इतिहास पुरुष मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार चल रहा है। भीड़ है, लोग हैं, नेता हैं, नारे हैं, फूल हैं, भावुकता है, लेकिन यदि कोई नहीं है तो नहीं है 5 दशक से भी अधिक समय तक भारत में समाजवाद का झंडा बुलंद रखने वाले गांव, गरीब, झोपड़ी, भूखे, दबे, कुचले की आवाज को सत्ता के शिखर तक ले जाने वाले नेता जी, नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव। नेताजी को नेताजी की उपाधि किसी राज सत्ता अथवा नेता ने नहीं दी थी, यह उपाधि उन्हें दी थी उनसे प्यार करने वाले ढेर सारे किसानों, गरीबों, मजदूरों एवं मजलूमों ने। आइये! समाजवाद के उस पुरोधा को अंतिम नमन करते हुए उनके जीवन को जानने का प्रयास करते हैं।

UP Politics :

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर की शुरुआत बड़े संघर्ष के बीच शुरू हुई। वह महज 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बन गए थे। इमरजेंसी के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और वह 19 महीने तक जेल में रहे। साल 1977 में वह पहली बार राज्य मंत्री बने। 1980 में उत्तर प्रदेश में लोक दल के अध्यक्ष बने, जो बाद में जनता दल बन गया। मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। इस वक्त तक नेताजी युवा तुर्क रहे चंद्रशेखर की पार्टी जनता दल सोशलिस्ट पार्टी में थे। साल 1992 में उन्होंने अपनी समाजवादी पार्टी की नींव रखी और साल 1993 में ही उन्होंने ऐसा राजनीतिक दांव चला, जिससे उत्तर प्रदेश में बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो गया। राज्य में मुख्यमंत्री रहते हुए केंद्र में प्रमुख भूमिका निभाने की इच्छा को लेकर उन्होंने 2004 में मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्होंने यह सीट जीती और पार्टी का प्रदर्शन भी शानदार रहा। मुलायम सिंह यादव एक ऐसे नेता थे जो अपने करीबियों को हमेशा साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। और वह अपने हर नेता या साथी को हमेशा विश्वास में रखते थे।

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बेहद अभाव भरे परिवार में जन्म लेकर भूख व गरीबी के दर्द को जीने वाले मुलायम सिंह यादव भारतीय समाजवाद के सच्चे जनक राम मनोहर लोहिया के असली अनुयाई थे। किसानों और मजदूरों को जगाकर दिल्ली के सिंहासन तक ले जाने वाले चौधरी चरण सिंह के वे सच्चे वारिस भी थे, किन्तु पूंजीवाद की एक साजिश से जीते जी मुलायम सिंह यादव को बड़ा धक्का लगा। यदि वह साजिश ना हुई होती तो मुलायम सिंह का निधन केवल तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं हुआ होता। बल्कि, वे देश के प्रधानमंत्री बने होते और यह भी हो सकता था कि आज भी प्रधानमंत्री होते। आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता था? बताता हूं, दरअसल गांव, गरीब, दलित, भूखे, पिछड़े, शोषित जैसे तमाम वे वर्ग, जिनसे मिलकर भारत का बहुजन समाज यानि सबसे अधिक जनसंख्या वाला समाज बनता है। इस बहुजन समाज की देश में कुल आबादी 80 प्रतिशत है। यह पूरा समाज धीरे-धीरे मुलायम सिंह यादव को नेता मानने लगा था। उसी समय एक साजिश के तहत पूंजीवादी व्यवस्था का प्रतीक रहे अमर सिंह नामक एक विलेन नेता जी के मित्र बन गए। जी हां, वही अमर सिंह जिसे खुल्लम-खुल्ला अनिल अंबानी जैसे पूंजीपतियों का दलाल माना जाता था। इसी अमर सिंह ने समाजवाद के सच्चे पुरोधा को पूंजीवाद की तरफ धकेल डाला, फिर सारे देश ने देेखा ही है कि ना तो मुलायम समाजवादी रह पाए और ना ही पूरी तरह पूंजीवादी बन पाए। हां, जनता ने उनका हाथ जरूर छिटक दिया। फिर जो हुआ वह आपके सामने है।

UP Politics :

आज धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देते हुए देश में गांव व गरीब की राजनीति करने वाले प्रत्येक राजनीतिक कार्यकर्ता खासतौर से मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव को यह प्रण लेना पड़ेगा कि यदि कभी उन्हें नेता जी की ऊंचाई तक जाने का अवसर मिला तो वे पूंजीवाद की साजिशों से सावधान रहेंगे और भारत की असली समस्या गांव, गरीब, भूखे एवं झोपड़ी को केन्द्र में रखकर ही राजनीति करेंगे।
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UP Crime : बसपा के पूर्व विधायक का बेटा एसटीएफ की गिरफ्त में

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Former BSP MLA's son arrested by STF
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:41 AM
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Noida/Lucknow : नोएडा/लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक हाजी अलीम के बेटे को उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की नोएडा टीम ने गिरफ्तार किया है। लखनऊ से पकड़े गए दानिश अली पर अपने चाचा के काफिले पर जानलेवा हमला कराने का आरोप है। उस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार मिश्रा ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर जानलेवा हमले के आरोप में वांछित चल रहे 25 हजार रुपये के इनामी दानिश अली को लखनऊ के थाना दुबग्गा क्षेत्र से एसटीएफ नोएडा की टीम ने गिरफ्तार किया है।

UP Crime :

उन्होंने बताया कि आरोपी अली के नाम से छिपकर रह रहा था। उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक हाजी अलीम के भाई हाजी यूनुस के काफिले पर 5 दिसंबर 2021 को बुलंदशहर में हथियारबंद बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस मामले में हाजी यूनुस के साथी की मौत हो गई थी, जबकि वह बाल-बाल बच गए थे। इस मामले में एसटीएफ ने 16 दिसंबर 2021 को अंकित उर्फ अरविंद पोसवाल निवासी माधवगढ़ थाना कानपुर जनपद बुलंदशहर को दो ब्लॉक पिस्टल एवं विदेशी असलाहों के साथ गिरफ्तार किया था।

UP Crime :

अंकित ने पूछताछ के दौरान बताया था कि इस पूरी वारदात को अंजाम देने की साजिश पूर्व विधायक हाजी अली के बड़े बेटे दानिश अली ने रची थी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में हाजी अलीम की दूसरी पत्नी की थाना वेलकम दिल्ली में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। इस संबंध में दानिश अली उसके भाई अनस जेल गए थे और करीब 4 साल तक जेल में बंद रहे थे। जेल से छूटने के कुछ महीने बाद ही इनके पिता हाजी अलीम की भी संदिग्ध परिस्थितियों में सिर में गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। इस घटना के संबंध में थाना कोतवाली नगर बुलंदशहर में अभियोग पंजीकृत हुआ था। विवेचना के बाद अनस को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

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अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हाजी अलीम की मृत्यु की रंजिश को लेकर उसके बेटे दानिश अली व उसके भाइयों ने अपने चाचा हाजी यूनुस की हत्या करने का षड्यंत्र रचा। इसके लिए उन्होंने हरीश और लखन के साथ मिलकर हमले का प्लान तैयार किया। हाजी यूनुस की हत्या के लिए इन्होंने हरीश और लाखन को 5 लाख रुपये की सुपारी दी। गिरफ्तार दानिश अली ने बताया कि वह काफिले पर हमले की घटना के 2 दिन पूर्व ही दुबई चला गया था। वह एक जून 2022 को दुबई से भारत वापस आया था। उसकी गिरफ्तारी पर जनपद पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। राजकुमार मिश्रा ने बताया कि दानिश अली पर वर्ष 2020 में जनपद लखनऊ में सलीम नाम के एजेंट से फर्जी आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड तथा कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग कर हरम अली पुत्र इस्तीफा खान निवास बी-2, नूर नदीम प्लाजा सीतापुर रोड अलीगंज लखनऊ के पते पर पासपोर्ट बनवाया था। इस पासपोर्ट पर वह जुलाई-अगस्त 2022 में अरब देश की यात्रा भी की है।