Padma Vibhushan मुलायम सिंह यादव को 'पद्म विभूषण' मिलने से नाराज है सपाई, वजह है खास

Padma Vibhushan 2023: लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा सपा संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण दिए जाने से संतुष्ट नहीं है। समाजवादी पार्टी (सपा) के दिवंगत संस्थापक मुलायम सिंह यादव को अति प्रतिष्ठित पुरस्कार 'पद्म विभूषण' दिये जाने के ऐलान के बाद पार्टी नेताओं ने उन्हें देश के सर्वोच्च असैन्य सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किये जाने की मांग की है।
Padma Vibhushan 2023
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया कि पद्म विभूषण देकर मुलायम सिंह यादव के योगदान का उपहास किया गया। मौर्य ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की।
उन्होंने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार ने नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार देकर नेताजी के व्यक्तित्व, कृत्य एवं राष्ट्र के प्रति किये गये उनके योगदान का उपहास किया है। यदि नेताजी को सम्मान देना ही था तो भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करना चाहिए था।
उधर, सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त किए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि धरतीपुत्र स्वर्गीय श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ को छोड़कर दूसरा कोई सम्मान नहीं फबता। हम सभी के आदरणीय नेताजी को अविलंब भारत रत्न देने की घोषणा की जाये।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषित पद्म पुरस्कारों के तहत पद्म विभूषण अवार्ड के लिए सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम घोषित किया है।
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Padma Vibhushan 2023
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया कि पद्म विभूषण देकर मुलायम सिंह यादव के योगदान का उपहास किया गया। मौर्य ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की।
उन्होंने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार ने नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार देकर नेताजी के व्यक्तित्व, कृत्य एवं राष्ट्र के प्रति किये गये उनके योगदान का उपहास किया है। यदि नेताजी को सम्मान देना ही था तो भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करना चाहिए था।
उधर, सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त किए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि धरतीपुत्र स्वर्गीय श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ को छोड़कर दूसरा कोई सम्मान नहीं फबता। हम सभी के आदरणीय नेताजी को अविलंब भारत रत्न देने की घोषणा की जाये।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषित पद्म पुरस्कारों के तहत पद्म विभूषण अवार्ड के लिए सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम घोषित किया है।








UP NEWS[/caption]
चूंकि, सत्ता व सर्विस से ऐसे बंधे हैं कि जुबान खोल नहीं सकते। केवल एक चीज व एक नाम उनको मिला है और वह है पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER। पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER नाम तो सुनने में जरूर भारी भरकम है लेकिन, केवल और केवल एक जिले तक। जैसे दिल्ली और मुंबई में पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER का दायरा काफी बड़ा है। उनकी अहमियत भी है। दिल्ली का पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER पूरे दिल्ली प्रदेश का है। वैसे ही मुंबई एक बहुत बड़ा इकोनॉमी कैपिटल है और उस कैपिटल का पुलिस कमिश्नर होना शॉन की बात है। लेकिन, दिल्ली व मुंबई की नकल करके उसे उत्तर प्रदेश के जनपदों में लागू करना सफलता की परवान नहीं चढ़ पा रहा है। हां, यही पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER उत्तर प्रदेश में अकेला होता है बड़ी बात होती। उसका अलग प्रभाव होता।
बता दें, पुलिस कमिश्नरी की पहल तो अभी प्रदेश के केवल सात जनपदों गौतमबुद्वनगर, गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में बतौर लिटमस टेस्ट है। वरिष्ठतम आईपीएस IPS अफसर पुलिस महानिरीक्षकों को पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER बनाकर एक जिले का इंचार्ज बना दिया गया है। पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद अपराध पर लगाम लगा हो ऐसा नहीं दिखता। बल्कि, अपराध का ग्राफ बढ़ा ही है। कारण, इन अधिकारियों का मनोबल टूटा है।
सर्वविदित है, जिले का पुलिस इंचार्ज पुलिस कप्तान यानि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक SSP होता है अथवा छोटा जिला है तो वहां पर पुलिस अधीक्षक SP को भी बतौर कप्तानी दी जाती है। उसके ऊपर होते हैं पुलिस उप महानिरीक्षक DIG जो कई जिलों मसलन, एक मंडल जिसमें कई जिले होते हैं के अधिकारी इंचार्ज होते हैं। उनके अंदर कई पुलिस कप्तान होेते हैं। इसके बाद नंबर आता है पुलिस महानिरीक्षक IG का। ये कई मंडलों के इंचार्ज होते हैं। यानि कई पुलिस उप महानिक्षक DIG उनके अंदर काम करते हैं। कुल मिलाकर करीब IG कम से कम दस जिलों का इंचार्ज होता है। उसका तब अलग रूतबा होता है। लेकिन, पदनाम कमिश्नर POLICE COMMISSIONER पाकर वह अब एक ही जिले तक सिकुड़ कर रह गया है।
अगर सूत्रों पर भरोसा करें तो यूपी में पुलिस कमिश्नरी फेलियर साबित हो रहा है। इसलिए इस लिटमस टेस्ट को सरकार वापस भी ले सकती है। लिटमस टेस्ट इसलिए कि यदि यह फेल साबित हुआ तो निर्णय वापस हो जाता है। सफल रहने पर जारी भी रख सकते हैं।