Padma Vibhushan मुलायम सिंह यादव को 'पद्म विभूषण' मिलने से नाराज है सपाई, वजह है खास

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Padma Vibhushan 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:32 AM
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Padma Vibhushan 2023: लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा सपा संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण दिए जाने से संतुष्ट नहीं है। समाजवादी पार्टी (सपा) के दिवंगत संस्थापक मुलायम सिंह यादव को अति प्रतिष्ठित पुरस्कार 'पद्म विभूषण' दिये जाने के ऐलान के बाद पार्टी नेताओं ने उन्हें देश के सर्वोच्च असैन्य सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किये जाने की मांग की है।

Padma Vibhushan 2023

समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया कि पद्म विभूषण देकर मुलायम सिंह यादव के योगदान का उपहास किया गया। मौर्य ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की।

उन्होंने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार ने नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार देकर नेताजी के व्यक्तित्व, कृत्य एवं राष्ट्र के प्रति किये गये उनके योगदान का उपहास किया है। यदि नेताजी को सम्मान देना ही था तो भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करना चाहिए था।

उधर, सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त किए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि धरतीपुत्र स्वर्गीय श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ को छोड़कर दूसरा कोई सम्मान नहीं फबता। हम सभी के आदरणीय नेताजी को अविलंब भारत रत्न देने की घोषणा की जाये।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषित पद्म पुरस्कारों के तहत पद्म विभूषण अवार्ड के लिए सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम घोषित किया है।

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Crime News : उप्र : सॉल्वर गिरोह के सदस्य समेत दो गिरफ्तार

Solver
Two arrested, including a member of the Solver gang
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:43 AM
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में सॉल्वर (प्रश्नपत्र हल करने वाले) को बैठाकर परीक्षा कराने के मामले में एक अभ्यर्थी तथा सॉल्वर को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया।

UP NEWS: पुलिस कमिश्नरी लिटमस टेस्ट

Crime News : Solver Gang

एसटीएफ के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि सीटीईटी परीक्षा में अपने स्थान पर सॉल्वर बैठाकर प्रश्नपत्र हल कराने वाले अभ्यर्थी शुभम यादव और बिहार निवासी सॉल्वर मनीष कुमार खरवार को लखनऊ के बंथरा इलाके से गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से तीन फर्जी आधार कार्ड, एक पैन कार्ड तथा दो प्रवेश पत्र बरामद हुए हैं। उन्होंने बताया कि एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि सीटीईटी परीक्षा में बंथरा स्थित सुल्तान फाउंडेशन में अभ्यर्थी शुभम यादव के स्थान पर एक सॉल्वर परीक्षा देने जा रहा है। इस पर एसटीएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर शुभम और सॉल्वर मनीष को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार खरवार ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि वह वर्ष 2016 से पटना के कंकड़बाग में रहकर लोक सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। उसने बताया कि घर की आर्थिक स्थित ठीक न होने के कारण वह अंशकालिक नौकरी ढूंढ़ रहा था। इसी बीच उसकी मुलाकात राजीव तथा सुरेन्द्र से हुई, जो साल्वर का एक संगठित गिरोह चलाते हैं।

Crime News : UP STF

पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह गिरोह शुरू से ही अभ्यर्थी के फार्म पर सॉल्वर की ही फोटो व बायोमैट्रिक जानकारी देते थे, जिससे मूल अभ्यर्थी के स्थान पर सॉल्वर को बैठाते समय फोटो व बायोमैट्रिक का मिलान हो जाये। इसमें परीक्षा के समय मूल अभ्यर्थी के पहचान पत्र को फोटोशाप के माध्यम से एडिट कर सॉल्वर की फोटो लगा दी जाती है, जिससे वे पकड़े नहीं जाते।

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खरवार ने बताया कि उसे इस गिरोह के लिए काम करने पर प्रति परीक्षा 10 से 15 हजार रुपये दिए जाने की बात कही गई। उसने बताया कि वह रुपये कमाने की लालच में आकर वर्ष 2019 से सॉल्वर बनकर अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा देने का काम कर रहा है। उसने हाल ही में रांची, लखनऊ तथा कानपुर में सॉल्वर के रूप में कई अभ्यर्थियों के स्थान पर बैठकर परीक्षा दी थी। एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ बंथरा थाने में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें। News uploaded from Noida   #ChetnaManch  #चेतनामंच
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UP NEWS: पुलिस कमिश्नरी लिटमस टेस्ट

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UP NEWS
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Jan 2023 09:11 PM
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UP NEWS: उत्तर प्रदेश। कहते हैं राजा तो राजा ही होता है लेकिन, जब उसकी मिल्कीयत कम होती है तो उसकी हैसियत भी कम हो जाती है। ताकत भी कम होता है। फौज भी कम हो जाती है। मसलन, अधिकार भी सीमित दायरे में आ जाते हैं। यही हाल हुआ है वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक IG का। पहले और अब भी कई जगहों पर IG कई जिलों के शहशांह होते थे और हैं। लेकिन, अब उनका दायरा एक जनपद तक ही सिकुड़ कर रह गया है। चूंकि, पुलिस कमिश्नरी सरकार व शासन की महत्वाकांक्षी योजना है इसलिए।

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इसलिए सौंपे गए दायित्व का न तो IG मुखर विरोध कर पा रहे हैं और न ही समर्थन। हां, कई जिलों का अधिकार छीन कर मात्र एक ​जनपद का कमिश्नर POLICE COMMISSIONER बना दिये जाने से उनमें घुटन जरूर है। कारण, उनकी हैसियत पुलिस उपमहानिरीक्षक DIG से भी नीचे मसलन, जनपद के पुलिस कप्तान तक ही सिमट कर रह गयी है। न तो इनका अलग से कोई दफ्तर है और न ही कोई आवास। पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER ये सब चीजें पुलिस कप्तान का ही यूज कर रहे हैं। [caption id="attachment_62311" align="alignnone" width="300"]UP NEWS UP NEWS[/caption] चूंकि, सत्ता व सर्विस से ऐसे बंधे हैं कि जुबान खोल नहीं सकते। केवल एक चीज व एक नाम उनको मिला है और वह है पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER। पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER नाम तो सुनने में जरूर भारी भरकम है लेकिन, केवल और केवल एक जिले तक। जैसे दिल्ली और मुंबई में पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER का दायरा काफी बड़ा है। उनकी अहमियत भी है। दिल्ली का पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER पूरे दिल्ली प्रदेश का है। वैसे ही मुंबई एक बहुत बड़ा इकोनॉमी कैपिटल है और उस कैपिटल का पुलिस कमिश्नर होना शॉन की बात है। लेकिन, दिल्ली व मुंबई की नकल करके उसे उत्तर प्रदेश के ​जनपदों में लागू करना सफलता की परवान नहीं चढ़ पा रहा है। हां, यही पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER उत्तर प्रदेश में अकेला होता है बड़ी बात होती। उसका अलग प्रभाव होता। बता दें, पुलिस कमिश्नरी की पहल तो अभी प्रदेश के केवल सात जनपदों गौतमबुद्वनगर, गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में बतौर लिटमस टेस्ट है। वरिष्ठतम आईपीएस IPS अफसर पुलिस महानिरीक्षकों को पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER बनाकर एक जिले का इंचार्ज बना दिया गया है। पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद अपराध पर लगाम लगा हो ऐसा नहीं दिखता। बल्कि, अपराध का ग्राफ बढ़ा ही है। कारण, इन अधिकारियों का मनोबल टूटा है। सर्वविदित है, जिले का पुलिस इंचार्ज पुलिस कप्तान यानि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक SSP होता है अथवा छोटा जिला है तो वहां पर पुलिस अधीक्षक SP को भी बतौर कप्तानी दी जाती है। उसके ऊपर होते हैं पुलिस उप महानिरीक्षक DIG जो कई जिलों मसलन, एक मंडल जिसमें कई जिले होते हैं के अधिकारी इंचार्ज होते हैं। उनके अंदर कई पुलिस कप्तान होेते हैं। इसके बाद नंबर आता है पुलिस महानिरीक्षक IG का। ये कई मंडलों के इंचार्ज होते हैं। यानि कई पुलिस उप महानिक्षक DIG उनके अंदर काम करते हैं। कुल मिलाकर करीब IG कम से कम दस जिलों का इंचार्ज होता है। उसका तब अलग रूतबा होता है। लेकिन, पदनाम कमिश्नर POLICE COMMISSIONER पाकर वह अब एक ही जिले तक सिकुड़ कर रह गया है। अगर सूत्रों पर भरोसा करें तो यूपी में पुलिस कमिश्नरी फेलियर साबित हो रहा है। इसलिए इस लिटमस टेस्ट को सरकार वापस भी ले सकती है। लिटमस टेस्ट इसलिए कि यदि यह फेल साबित हुआ तो निर्णय वापस हो जाता है। सफल रहने पर जारी भी रख सकते हैं।

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