Lite Metro in Noida : उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के निकट बन रहे जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) की सभी प्रमुख शहरों से कनेक्टिविटी बनाने के लिए यूपी की योगी सरकार और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही हैं। इसी के तहत यूपी की योगी सरकार ने ग्रेटर नोएडा वालों को एक और बडी सौगात दी है। ग्रेटर नोएडा वालों को लाइट मेर्टो की सौगात मिलेगी। जेवर एयरेपार्ट से ग्रेटर नोएडा के परी चौक तक लाइट मेट्रो का संचालन किया जाएगा। यूपी की राजधानी लखनऊ में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस प्रोजेक्ट के लिए हरी झंडी दे दी गई है। प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी इंडियन पोर्ट रेल एंड कॉर्पोरेशन को सौंपी गई हैं।
Lite Metro in Noida
जेवर एयरपोर्ट से पॉड टैक्सी का संचालन करने के प्रोजेक्ट पर यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण पहले से ही काम कर रहा है। इसी बीच अब एक और प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है, जिसका नाम है ‘लाइट मेट्रो’। इन दोनों प्रोजेक्ट की स्टडी रिपोर्ट दो महीने में तैयार होने की उम्मीद है। स्टडी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद तय हो सकेगा कि दोनों प्रोजेक्ट में से किस का संचालन किया जाए।
आपको बता दें कि पॉड टैक्सी का संचालन करने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर निविदा निकाली थी। अभी तक किसी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई है। कंपनियां परियोजना का 40 फीसदी खर्च सरकार से वहन कराने की मांग कर रही हैं। अधिकारियों ने इसका सुझाव शासन स्तर पर रखा है, लेकिन हाईब्रिड मॉडल पर बात नहीं बन पाई।
क्या होती है लाइट मेट्रो
जब बात लाइट मेट्रो के संचालन शुरू किए जाने की बात चल ही रही है तो आपको यह जानना भी जरुरी है कि लाइट मेट्रो क्या होती है? लाइट मेट्रो ट्रेन में केवल तीन या चार कोच ही होते हैं। एक कोच में करीब 100 यात्री ही यात्रा कर सकते हैं। लाइट मेट्रो का संचालन सड़क के समानांतर जमीन पर ही होता है। एक बस स्टैंड की तरह इसके स्टेशन होते हैं।
मेट्रो और लाइट मेट्रो में अंतर
वैसे तो नोएडा से ग्रेटर नोएडा तक मेट्रो का संचालन हो ही रहा है, लेकिन लाइट मेट्रो का संचालन होने से यात्रियों को और अधिक सहायता मिल सकेगी। अब आपको बताते हैं कि मेट्रो और लाइट मेट्रो में क्या फर्क होता है।
लाइट मेट्रो की लाइन के ट्रैक के किनारे फेंसिंग पर लगाने का प्लान है। फुटपाथ को बंद कर इसे लाइट मेट्रो के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां रोड पर लाइट मेट्रो चलाना मुमकिन नहीं होगा वहां ओवरहेड बनाया जाएगा। इसके पिलर को बनाने के लिए करीब सवा दो मीटर जमीन की आवश्यकता होगी। लाइट मेट्रो में कनकोर्स नहीं होता है, प्लेटफार्म को ही पैसेंजर एरिया के लिए डेवलप किया जाएगा। ओवरहेड होने पर स्टेशन एक मंजिल का होगा। इसके स्टेशन पर एक ही एंट्री और एग्जिट गेट होता है।
कितना खर्च आएगा
लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट पर प्रति किलोमीटर पर 250 करोड़ रुपये का खर्च का अनुमान है। लाइट मेट्रो 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। लाइट मेट्रो परियोजना को भविष्य में आगरा व वृंदावन तक ले जाने की योजना है। इससे नोएडा एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी आगरा और वृन्दावन से भी हो जाएगी।
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि नोएडा एयरपोर्ट और परी चौक के बीच बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए लाइट मेट्रो की स्टडी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। यह रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की योजना पर काम किया जाएगा।
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