Noida News : नेहा की खूबसूरती, चुलबुलापन, हर वक्त हंसती। तीन सहेलियां में सबसे प्यारी नेहा। बस स्टॉप जहां से कॉलेज स्पेशल लेतीं। उसके सामने वाले शोरूम के मालिक का बेटा जिसकी दुकान सुबह 10:00 बजे खुलती थी। अब सुबह 7:30 बजे ही दुकान पर आ बैठता था। पता ही नहीं चला कब नेहा और राहुल के आपस में फोन नंबर एक्सचेंज हुए। फोन नंबर लेते ही फोन पर राहुल के संदेशों का सागर ही फूट पड़ा। दिन-रात हर वक्त उसका संदेश, वीडियो, पोस्ट उसने नेहा को गिफ्ट्स की भी भरमार सी कर दी थी। राहुल नेहा को चाहता है नेहा के बिना नहीं जिएगा। ऐसी दीवानगी की नेहा को लगा पढऩा तो अब बेफिजूल है, क्यों समय बर्बाद करना। जब इतना अच्छा मैच सामने है। नेहा के पिता को इस बारे में पता चला तो वे और उसका भाई काफी नाराज हुए। बहुत समझाया नेहा को बेटी पढ़ाई भी तो कुछ होती है? कम से कम ग्रेजुएशन तो पूरी कर लो। नेहा ने चुप्पी ही साध ली 2 दिन न खाया न पिया। दो-तीन बार राहुल से छुपकर मिलने गई। लेकिन नेहा के पिताजी को पता चल ही गया था। उन्होंने समझाया बेटी यूँ पार्कों, सुनसान जगहों पर तुम्हारा राहुल से मिलना मुझे बिल्कुल भी गवारा नहीं।
हारकर उन्होंने राहुल को बुलाया और शादी के लिए अपनी रजामंदी बताई। पूरी धूमधाम से 2 महीने बाद ही शादी भी हो गई। शादी के एक हफ्ते तक तो घूमने फिरने रिश्तेदारों के आने-जाने में समय उड़ ही गया। आज आठवां दिन था नेहा-राहुल सो रहे थे। नेहा ने देख लिया था कि राहुल का पूरा परिवार ही देर तक सोता है। घर में कुछ ऐसी हलचल भी नहीं थी तो वह भी सोई रही। उसका पति लगभग 7.30 बजे उठा और नेहा के पीछे ही पड़ गया तुम 9:00 बजे तक सो रही हो? मेरे माता-पिता उठेंगे तो? वे क्या इंतजार करेंगे तुम्हारे जागने का? कि कब उठेगी महारानी? राहुल ने सोने को लेकर नेहा को हद से ज्यादा जलील किया। इतने ऊंचे स्वर में जोर-जोर से चीख चिल्ला रहा था। चुप ही नहीं हो रहा था। नेहा तो बिल्कुल घबरा गई कि मैं तो अपने पति को लव बॉम्ब समझती थी। ये क्या हुआ? उसने 10 बार इसके लिए सॉरी कहा माफी मांगी। अब 21 साल की नेहा घर के सारे काम एक अच्छी ग्रहणी की तरह करने लगी। यदि वह पति की बात में हाँ -हाँ करे तो शांति। जो पति की बुद्धि के अंदर है उससे पहले खुद करने लगे। तो राहुल खुश और शांति। जहां उसने पति की बात को काटा या अपनी राय दी तो वह तूफान ही उठा देता था। घर में थाली प्लेट जो हाथ में आया उठाकर फेंकता कभी तो नेहा के लग भी जाता। पर अब करे तो क्या करे? माता-पिता से क्या मुहँ लेकर निन्दा करे? स्वयं को ही समझती। जीवनसाथी स्वस्थ, धनवान मिला है।
लेकिन नेहा के आत्मसम्मान का क्या? वह पूरे परिवार का सम्मान कर रही थी और उसका स्वयं का आत्म सम्मान मिट्टी-मिट्टी हो रहा था। आधी रात को उसके पति को प्यास लगी नेहा पानी का जग रखना भूल गई थी। क्योंकि तनाव में जी रही थी। राहुल ने रात में ही कुर्सियों उठा-उठा के पटकी। रात है सब की नींद खराब होगी, लोग क्या कहेंगे? राहुल ने जरा लिहाज नहीं किया। रात को दो ढाई बजे हंगामा कर दिया। नेहा शर्म से पानी-पानी हो रही थी वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह उसके पति का अहंकार है? या क्या है? वह नेहा को अब इतना निकृष्ट क्यों समझने लगा है? वह गुमसुम बहुत कष्ट में रहने लगी थी। नेहा ने सोचा था कि दोनों हाथ भर-भर के मोहब्बत को संभालूंगी लेकिन यहां तो मोहब्बत के नाम पर रेत निकली? जो इतनी तप रही थी की अब मुट्ठी खोलना ही मजबूरी लग रहा था। बंद होठों से वह अपने जीवन में आने वाली यह नित्य समस्याओं को मर-मर कर झेल रही थी।
ईश्वर सबके साथ होता है। अमृतसर में उसकी मौसी की बेटी की शादी थी, मौसी का बेटा तथा उसकी पत्नी डॉक्टर हैं। नेहा दिल से नहीं चाहती थी कि राहुल जाए लेकिन वह तो गया। राहुल वैसे तो बड़ा मस्त, खुश रहता। अच्छी बातें करता बहुत केयर भी करता लेकिन नेहा पर इतना कंट्रोल कि नेहा जैसे एक रस्सी से बंधा हुआ जानवर हो। शादी में सब ही ने राहुल की तारीफ की वह बहुत मुग्ध था। रात को लेडीज संगीत सब बहुत एंजॉय कर रहे थे। नेहा बहुत सावधान थी। उसके रिश्तेदार बहुत खींचते रहे लेकिन उसने सबके साथ डांस न किया। राहुल ने उसकी रिश्तेदारों के साथ खूब डांस किया। अचानक से उसकी मौसी के बेटे ने नेहा का हाथ पकड़ा और कहने लगा तुम तो बहुत अच्छा डांस करती थी और वह बहन को नचाने लगा। राहुल सामने शांत बैठा था। नेहा ने ज्यादा से ज्यादा दो बार गोल घुमा और फट से जाकर अपने पति के पास खड़ी हो गई। उसके पति की कनपटियां देखने लायक थीं। वह अंदर से बुरी तरह घबरा रही थी कि अब क्या होगा? मौसी के घर में ऊपर का कमरा उनको मिला था। वह जल्दी से जाकर अपने कमरे में कपड़े यहां वहां लगाने लगी इतने में धड़ाम से दरवाजा खोल राहुल अंदर आया उसने सब शर्म त्याग कर पूरी बदतमीजी से नेहा के मुंह पर 5, 6 थप्पड़ जड़ दिए। नेहा उसके पैरों में लोट गई कि आज शोर ना मचाए चाहे थप्पड़ और लगा ले। राहुल बेकाबू था उसके डॉक्टर मौसी के बेटे और उसकी पत्नी को राहुल अजीब सा लग रहा था। उन्होंने जैसे ही शोर सुना वह दोनों भागकर नेहा के कमरे में आए। जबरदस्ती दरवाजा खुलवाया नेहा को अपने साथ बाहर ले गए। राहुल से कहा आप रात को रुकना चाहें तो रुक जाएँ नहीं तो आप यहां से जा सकते हैं? राहुल बिल्कुल शांत। नेहा रिश्तेदारों में चुपचाप आंसू पीकर बैठी हुई थी।
नेहा के भाई भाभी उसे अपने कमरे में लेकर गए और उससे कहा कि नेहा इस आदमी को छोड़ दो क्योंकि यह नार्सिसिस्ट है इसको नॉर्मल पर्सनैलिटी डिसॉर्डर है (एनपीडी) इसकी बीमारी है। अगर तुम सोचो इसके साथ तुम्हारा जीवन निकल जाएगा तो वह बहुत कष्टदायक होगा। किसी मनोवैज्ञानिक को दिखाओ नेहा की भाभी साइकैटरिस्ट है उसने इसके बारे में और भी उसे बताया। अब नेहा हैरान परेशान? पहले तो वह रोती थी कि इतना प्यार करने वाला पति जरूर किसी ने कोई जादू टोना किया है। या किसी की नजर लग गई है? लेकिन आज आंसू नहीं थम रहे थे। भाभी ने कहा इसके साथ रहने से आंसू आगे बढ़ेंगे ही घटेंगे नहीं? नेहा समझ गई सीधे अपने मायके आ गई।
आज राहुल का साइकैटरिस्ट से इलाज चल रहा है नार्सिसिस्ट जो कि पहले 12 से 14 प्रतिशत थे वे भी विदेशों में अब नार्सिसिस्ट लोगों की संख्या भारत में भी बढ़ रही है पता ही नहीं चलता हर कोई यह सोचता है इन्हें गुस्सा बहुत आता है। लेकिन सत्य तो यह है उनके अंदर अत्यधिक ‘मैं’ की सत्ता होती है। अपने से आगे किसी को नहीं समझते दूसरे का मान सम्मान किसी की परवाह नहीं सिर्फ ‘मैं’ अपने ऊपर ही मुग्ध से रहते हैं। अत: और भी किसी की जिंदगी में यदि ऐसा चल रहा है तो अपने आपको अपने जीवन को उनके हाथों नष्ट न करवाए। बल्कि इनका इलाज करवा नॉर्मल जिंदगी जिएं।
डॉक्टर रमेश वर्मा जो कि सीजीएचएस में वर्षों तक कार्यरत रहे उनके अनुसार यह समस्या केवल राहुल को नहीं नेहा को भी हो सकती थी। किसी भी लडक़े या लडक़ी को यह समस्या हो सकती है। इसकी जड़ बच्चों की परवरिश के समय पड़ती है। बेटे या बेटी को हर समय राजा बेटा तू सबसे दुनिया का सुंदर बुद्धिमान बेटा या बेटी है। हर वक्त ना करें तू मेरी रानी बेटी सबसे महारानी सबसे खूबसूरत मेरी परी है। ना कहें। कभी-कभी उनको सच्चाई यानी जो नेगेटिव चीज हैं उनका भी स्वाद दिखाते रहे। उनकी पर्सनालिटी को नॉर्मल डेवलप होने दें। इससे इस समस्या के बनते समय ही कुछ ब्रेक लग सकेगा अन्यथा इसका इलाज कोई मनोवैज्ञानिक या साइकैटरिस्ट ही करते हैं। क्योंकि मैं ही सबसे अमीर, सुंदर उत्तम हूं जब मस्तिष्क में घर कर जाता है तब इसका इलाज ही उपाय रह जाता है। Noida News :
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