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नोएडा की पुलिस कमिश्नरी का घेराव करेगी भीम आर्मी

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Noida News : आजाद समाज पार्टी तथा भीम आर्मी ने बहुत बड़ी घोषणा कर दी है। यह घोषणा आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रधान सुशील नागर ने की है। श्री नागर ने अपनी घोषणा में कहा है कि, आजाद समाज पार्टी तथा भीम आर्मी के हजारों कार्यकर्ता 26 नवंबर को नोएडा की पुलिस कमिश्नरी का घेराव करेंगे। नोएडा में पुलिस कमिश्नरी का यह घेराव तब तक चलेगा जब तक भीखनपुर गांव के दलित समाज को पूरी तरह से न्याय नहीं मिल जाता।

भीखनपुर के कमल जाटव को न्याय दिलाने के लिए घेरेंगे नोएडा पुलिस को

आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रधान सुशील नागर ने बताया कि, ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के भीखनपुर गांव में दलित समाज के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। ग्रेटर नोएडा के भीखनपुर में रहने वाले कमल जाटव की बिना किसी कारण के दबंगों ने हत्या कर दी थी। श्री नागर ने बताया कि, इस हत्याकांड में दलित परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिला है। 19 नवंबर को आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद भीखनपुर गांव में आए थे। यहां पर श्री आजाद ने मांग की थी कि कमल जाटव के सभी हत्यारों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, पीड़ित परिवार को उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाए, पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, साथ ही इस कांड में घायलों को तुरंत आर्थिक मदद की जाए। सुशील नागर ने बताया कि, श्री आजाद ने साफ कहा था कि 25 नवंबर तक उनकी सारी मांगें पूरी नहीं की गई तो नोएडा की पुलिस कमिश्नर श्रीमती लक्ष्मी सिंह के कार्यालय (नोएडा पुलिस कमिश्नरी) का घेराव किया जाएगा। श्री नागर ने बताया कि आजाद समाज पार्टी की एक भी मांग अब तक पूरी नहीं हुई है। इसी कारण आजाद समाज पार्टी तथा भीम आर्मी ने 26 नवंबर को नोएडा के सेक्टर-108 में स्थित पुलिस कमिश्नरी का घेराव करने की घोषणा कर दी है। उन्होंने दावा किया कि नोएडा की पुलिस कमिश्नरी का घेराव करने हजारों की संख्या में गौतमबुद्धनगर के नागरिक आएंगे।

क्या है भीखनपुर का प्रकरण?

आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के रबूपुरा थाना क्षेत्र में भीखनपुर नाम का गांव है। विगत 14 नवंबर 2024 को इस गांव का कमल जाटव नामक युवक अपनी ट्रैक्टर ट्राली से पराली को गांव में ला रहा था। ट्रॉली में से कुछ पराली एक घर के बाहर बिखर गई तथा घर के झज्जे से भी टकरा गई थी। इसी बात पर गांव के दबंग किस्म के लोगों ने कमल तथा उसके परिजनों के साथ पहले गाली-गलौज की तथा बाद में गोली चला दी। गोलीबारी की इस घटना में कमल की मौत हो गई तथा उसके कुछ स्वजन घायल हो गए। इस घटना के कारण पूरे दलित समाज में भारी आक्रोश व्याप्त है। इसी घटना को लेकर आजाद समाज पार्टी ने 26 नवंबर को नोएडा की पुलिस कमिश्नर श्रीमती लक्ष्मी सिंह के कार्यालय का घेराव करने की घोषणा की है। इस आंदोलन की पूरी कमान आजाद समाज पार्टी के गौतमबुद्धनगर के जिलाध्यक्ष सुशील नागर के हाथों में है। श्री नागर पूरे जिले में घूम-घूमकर आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने का काम कर रहे हैं।

कौन हैं आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष सुशील नागर?

यहां यह जानना जरूरी है कि आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष सुशील नागर का पूरा परिचय क्या है? सुशील नागर को प्रधान जी के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण उनका पूरा नाम प्रधान सुशील नागर हो गया है। कुछ ही दिनों पहले प्रधान सुशील नागर को आजाद समाज पार्टी (असपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी पार्टी (असपा) का गौतमबुद्धनगर जिले का अध्यक्ष बनाया है।

नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा को मिलाकर बने गौतमबुद्धनगर जिले में असपा के अध्यक्ष बनाए गए सुशील नागर का नाम प्रसिद्ध आंदोलनकारी के रूप में स्थापित है। सुशील नागर के विषय में पत्रकार आकाश नागर का कहना है कि, 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में देहात मोर्चा नामक अराजनीतिक संगठन के नाम से ही भ्रष्टाचारियों की नींद हराम हो जाती थी। उस समय उत्तर प्रदेश के गांव-गांव आंदोलनकारियों की एक फसल बोई जा रही थी। जिसमें राजकुमार भाटी, बाबू सिंह आर्य, अजीत दौला, वीरेंद्र डाढा, और मा. मौजीराम नागर गांव-गांव में ऐसे जमीनी कार्यकर्ता तैयार कर रहे थे जो भविष्य में जनहित के मुद्दों पर गरीबों, वंचितों और असहाय लोगों की आवाज को गूंगी-बहरी सरकार के समक्ष न केवल उठा सकें बल्कि उनके अधिकारों की लड़ाई लड सकें।

आज तीस साल बाद देहात मोर्चा की वह उपज गांव-गांव में मानवाधिकारों का अलख जगाकर उन्हें जागरूक कर रही है। देहात मोर्चा के नेतृत्व में तराशी गई ऐसी ही टीम के सक्रिय सदस्य रहे सुशील नागर को आजाद समाज पार्टी का जिला गौतमबुद्धनगर का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। आकाश नागर बताते हैं कि, कभी अंधेरा महादीप कहा जाने वाले गांव कचैड़ा वारसाबाद निवासी सुशील नागर वर्ष 1999 से 2002 तक वेदपुरा इंटर कॉलेज में आईटीआई के अध्यापक रह चुके हैं। इस दौरान वह गांव में ही एक एसटीडी बूथ भी चलाया करते थे। तब एसटीडी बूथ पर फोन करने आने वाले लोग उनके सामने अपनी दुख भरी दास्तां भी बयां करते थे। ऐसे में उनका मन पिघला और वे अध्यापक की नौकरी छोड़ समाजसेवा के मैदान में कूद पड़े। उस समयकाल में उत्तर प्रदेश में देहात मोर्चा ही एक ऐसा सामाजिक संगठन हुआ करता था जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों और मजदूरों के साथ ही मजलूमों की आवाज उठाया करता था।

देहात मोर्चा की टैगलाइन भी इसकी तस्दीक करती थी। जिसमें लिखा गया था कि ” उनकी आवाज, जो बोलते नहीं “। सुशील नागर ने तब देहात मोर्चा की सदस्यता ग्रहण कर अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू किया। इस दौरान वह निखर कर सामने आए। सबसे पहले वह प्रखर वक्ता बने। इसके बाद आंदोलनकारी नेता के रूप में जाने गए। किसी भी कंपनी में स्थानीय युवकों को रोजगार की लड़ाई में अक्सर सुशील नागर सबसे आगे रहा करते थे। चाहे सपा सरकार में बझेड़ा का रिलायंस प्रोजेक्ट हो  या मायावती सरकार में बादलपुर की जमीनों का जबरन अधिग्रहण हो या फिर भाजपा के कार्यकाल में कचैडा और आसपास के 18 गांवों की वेव सिटी बिल्डर से लड़ाई सुशील नागर की सक्रियता हमेशा कायम रही।

प्रधान सुशील नागर किसानों तथा दलितों के मुद्दों पर मोर्चा संभाले हुए हैं। इसका नतीजा यह निकला कि वर्ष 2010 में गांव कचैड़ा के बाशिंदों ने सुशील नागर को सर्वाधिक वोट देकर प्रधान पद पर जिताया। गांव का प्रधान रहते ही वेव सिटी बिल्डर से गांव के विकास के लिए समझौता कराया। जिसमें सड़क, बिजली, पेयजल आपूर्ति के साथ ही सामुदायिक भवनों का उच्चीकरण के साथ ही सौंदर्यीकरण कराया। कचैड़ा गांव की गली-गली में लगें आरसीसी से गांव की पहचान ही बदल गई। वेव सिटी बिल्डर कचैडा गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत डेवलपमेंट कर रहा है। सुशील नागर के परिचय से साफ जाहिर है कि यह एक बड़ा नाम है। सभी राजनीतिक दल सुशील नागर को अपने साथ मिलाने के लिए आतुर थे। सुशील नागर ने चन्द्रशेखर आजाद का नेतृत्व स्वीकार किया। अब चन्द्रशेखर की पार्टी असपा की कमान गौतमबुद्धनगर जिले में सुशील नागर के हाथ में है। नोएडा की पुलिस कमिश्नरी का घेराव असपा के जिलाध्यक्ष के तौर पर सुशील नागर के नेतृत्व में पहला जन-आंदोलन है।

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