Noida News : सबवेंशन स्कीम में बिल्डरों व बैंकों के गठजोड़ पर सीबीआई की जांच 12 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं तक पहुंच गई है। जांच में सामने आ रहा है कि बिल्डरों ने बैंकों से सांठगांठ करके फ्लैट खरीदारों का लोन कराया। धनराशि लेकर परियोजना में लगाने के बजाय दूसरी बिल्डर कंपनी बनाई और परियोजना लॉन्च कर दी।
सीबीआई ने जांच के दायरे में आईं 12 परियोजनाएं
ऐसे कई प्रकरण सामने आए हैं। इसलिए परियोजनाओं की संख्या जांच में बढ़ती जा रही है। एक बिल्डर ग्रुप से दूसरे बिल्डर ग्रुप की परियोजना में भी फंड डायवर्जन की बात सामने आ रही है। सीबीआई ने जांच के दायरे में आईं 12 परियोजनाओं की जानकारी नोएडा प्राधिकरण से मांगी है। इनमें आवंटन, नक्शे में स्वीकृत फ्लैटों की संख्या, ओसी-सीसी, बकाया व अन्य जानकारियां शामिल हैं।
अधिकतर बिल्डर दिवालिया हो चुके, खरीदार फंसे
नोएडा, ग्रेटर नोएडा में सबवेंशन स्कीम के तहत लाई गईं ग्रुप हाउसिंग परियोजना की शुरुआत 2014 में हुई थी। 2017-18 तक बिल्डरों ने इसे लॉन्च किया। इनमें से अधिकतर बिल्डर दिवालिया हो चुके हैं। इनमें फ्लैट खरीदार फंसे हैं। फ्लैट खरीदारों की याचिका पर पूरा प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट यह टिप्पणी कर चुका है कि परियोजनाओं में खरीदारों को बंधक बना दिया गया है। प्राधिकरण स्तर से सीबीआई को जानकारी देने के लिए ग्रुप हाउसिंग, वित्त व प्लानिंग विभाग से अलग-अलग तैयार कर दी जा रही है।
कोर्ट में बैंक और बिल्डरों ने नहीं दी जानकारी
5 नवंबर, 2024 को फ्लैट खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों, बिल्डरों और बैंकों से सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। इसमें बिल्डरों से बैंकों को किए गए भुगतान, परियोजना में फ्लैट खरीदारों को कब्जा देने के लिए बताई गई तारीख, मौजूदा स्थिति, कंपलीशन सर्टिफिकेट, अगर कुछ खरीदारों को कब्जा दिया गया तो उनका ब्यौरा, फ्लैट खरीदारों से वसूली गई रकम, बिल्डर दिवालिया प्रक्रिया में तो नहीं गया, खरीदारों को अगर कहीं से राहत मिली तो उसका ब्यौरा। इस पर 5 बिल्डर व 9 बैंकों की तरफ से ही जानकारी दी गई। नोएडा समेत एनसीआर में बिल्डरों की इस स्कीम में 30 से अधिक बैंकों के शामिल होने की आशंका है। Noida News
बिल्डरों ने नहीं किया अपना वादा पूरा
ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बिल्डर और बैंकों ने मिलकर सबवेंशन स्कीम शुरू की थी। इसमें बिल्डरों ने वादा किया था कि फ्लैट पर किराया मिलने तक किस्त वे खुद देंगे, कब्जा मिलने के बाद खरीदार को देनी होगी। बदले में बैंक, बिल्डर, खरीदारों के बीच सबवेंशन स्कीम करार कर लोन कराया गया। करीब 10 प्रतिशत धन खरीदार बिल्डर को देता था। बाकी लोन की रकम एकमुस्त बिल्डर को बैंक से मिल जाती थी। बहुत-सी परियोजनाओं में बिल्डरों ने खरीदार से लोन कराकर रकम तो ली, लेकिन किस्त जमा नहीं की। खरीदारों को घर नहीं मिला और वह बैंक डिफाल्टर भी हो गए। Noida News
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