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डॉग के काटने के बाद सही समय पर नहीं कराया इलाज तो घातक बन जाएगा Rabies

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Noida News : नोएडा, ग्रेटर नोएडा व ग्रेटर नोएडा वेस्ट सहित दिल्ली-एनसीआर के शहरों में आवारा कुत्तों के काटने के मामले पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़े हैं। ऐसे में कुत्तों के काटने से होने वाली खतरनाक बीमारी रेबीज के बारे में जानना जरूरी है। रेबीज एक घातक बीमारी है, लेकिन यह 100 प्रतिशत रोकी जा सकती है अगर समय पर उचित सावधानी बरती जाए। पालतू जानवरों का टीकाकरण, जंगली जानवरों से दूरी और जानवरों के काटने के बाद तुरंत चिकित्सा सहायता लेने से इस बीमारी से बचाव संभव है। यह बातें फेलिक्स अस्पताल के डॉ. सलिल मलिक (एच.ओ.डी. (HOD) एमर्जेंसी हेड एंड होम केयर सर्विसेज) ने विश्व रेबीज दिवस पर कही।

रेबीज का इलाज सही समय पर जरूरी

उन्होंने बताया कि हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को रेबीज बीमारी के बारे में जागरूक करना और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी देना है।  रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार में होता है और आमतौर पर काटने या खरोंच के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इस बीमारी का समय पर इलाज न होने पर संक्रमित व्यक्ति या जानवर की मृत्यु हो जाती है। रेबीज का सबसे आम स्रोत संक्रमित कुत्ते होते हैं, लेकिन अन्य जानवरों जैसे बिल्ली, चमगादड़ और जंगली जानवर भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं। रेबीज का संक्रमण रैब्डोविरिडाए परिवार के वायरस द्वारा होता है।

कब फैलता है रेबीज? When does Rabies Spread?

आमतौर पर तब फैलता है जब कोई संक्रमित जानवर किसी व्यक्ति या दूसरे जानवर को काटता है या खरोंचता है। रेबीज का सबसे बड़ा कारण अव्यवस्थित पालतू जानवरों का टीकाकरण न होना है। यह संक्रमण सबसे ज्यादा कुत्तों के काटने से होता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां पालतू और आवारा कुत्तों की संख्या अधिक होती है। रेबीज का संक्रमण होने के बाद इसका इलाज करना बहुत कठिन हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में उपचार किया जा सकता है। रेबीज का सबसे प्रभावी इलाज यह है कि संक्रमण के तुरंत बाद व्यक्ति को पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस  दिया जाए। यह एक प्रकार का उपचार है, जिसमें टीका और इम्यूनोग्लोबिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह उपचार रेबीज वायरस को शरीर में फैलने से रोकता है। काटने या खरोंचने के तुरंत बाद घाव को अच्छे से धोएं। घाव को साफ करने से वायरस के फैलाव को रोकने में मदद मिलती है। अगर किसी व्यक्ति को रेबीज से संक्रमित होने का संदेह है, तो उसे तुरंत रेबीज का टीका लगवाना चाहिए।

रेबीज के लक्षण Symptoms of Rabies

  1. बुखार
  2. सिरदर्द
  3. कमजोरी और थकान
  4. काटे या खरोंच वाली जगह पर जलन, खुजली, या दर्द
  5. मांसपेशियों में ऐंठन और कमजोरी
  6. हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना)
  7. ऐरोफोबिया (हवा से डर)
  8. मांसपेशियों में ऐंठन और नियंत्रण खो देना।
  9. मानसिक भ्रम, चिंता, या आक्रामकता।
  10. अत्यधिक लार बहना और निगलने में कठिनाई।
  11. पैरालिसिस (लकवा)।

रेबीज से बचाव Prevention of Rabies

  1. अपने कुत्ते, बिल्ली और अन्य पालतू जानवरों का नियमित रूप से रेबीज के खिलाफ टीकाकरण करवाएं। यह बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद करता है।
  2. आवारा और जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखें। खासकर उन जानवरों के संपर्क में न आएं, जो अस्वाभाविक व्यवहार कर रहे हों या आक्रामक दिख रहे हों।
  3. यदि कोई जानवर काटता है, तो तुरंत प्रभावित जगह को साबुन और पानी से 15 मिनट तक धोएं। उसके बाद तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें। Noida News

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