Noida News : नोएडा शहर के शिक्षाविदों ने बड़ा दावा किया है। नोएडा में स्थापित ज्ञानश्री स्कूल में आयोजित एक विचार गोष्ठी में यह बड़ा दावा किया गया है। विचार गोष्ठी में नोएडा के शिक्षाविदों ने दावा किया है कि ध्यान मेडिटेशन से सब कुछ संभव किया जा सकता है। मेडिटेशन के द्वारा बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती है।
नोएडा के ज्ञानश्री स्कूल में हुई ध्यान पर बड़ी चर्चा
नोएडा के ज्ञानश्री स्कूल, नोएडा में शिक्षाविदों, नीति निर्धारकों और विचारशील नेताओं की एक महत्वपूर्ण गोष्ठी आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य शिक्षा में ध्यान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना था। इस गोष्ठी में शिक्षा प्रणाली में ध्यान को एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने के लिए शिक्षाविदों और नीति निमार्ताओं ने चर्चा की। ज्ञानश्री स्कूल की निदेशक, श्रीमती बृंदा घोष ने कार्यक्रम की प्रभावी रूप से प्रस्तुति की, और ध्यान को शिक्षा व्यवस्था में समाहित करने के महत्व पर जोर दिया। सुपर ब्रेन मेडिटेशन के विषय में बताते हुए, के. सी. जैन (पूर्व प्रधान आयकर आयुक्त) ने प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शिक्षा पद्धतियों में सम्मिलित करने के प्रयास का महत्व बताया। श्री जैन ने इस ध्यान विधि के वैज्ञानिक लाभों पर भी प्रकाश डाला, जैसे कि आक्रामकता नियंत्रण, ध्यान, याददाश्त, और आत्म-संवेदनना में सुधार इत्यादि।

नोएडा की दस वर्षीय बच्ची ने दिखाई ध्यान की ताकत
इस गोष्ठी के दौरान 10 वर्षीय कायरा नामक बच्ची ने ध्यान की ताकत का प्रदर्शन किया। कायरा ने सुपर ब्रेन मेडिटेशन के अभ्यास से अद्वितीय कौशल दिखाए। उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर रंगों की पहचान की और चित्र बनाए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि ध्यान विद्यार्थियों की संकेंद्रण और मानसिक क्षमता को कैसे बढ़ा सकता है। सुपर ब्रेन कोच रेनु नहाटा के मार्गदर्शन में छात्रों ने मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक कौशल में उल्लेखनीय सुधार किया है। कार्यक्रम में अध्यात्म साधना केंद्र द्वारा 8-13 वर्ष के छात्रों के लिए आयोजित आवासीय और गैर-आवासीय रिट्रीट्स की सफलता पर भी चर्चा की गई, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक रही हैं। के. सी. जैन ने शिक्षा में ध्यान को समावेशित करने की आवश्यकता पर बल दिया, और श्री श्रीचंद शर्मा, (सदस्य विधान परिषद) ने भारतीय मूल्यों और ध्यान के महत्व को आधुनिक शिक्षा में जोड़ने की अपील भी करी। अंत में, हल्दीराम स्किल अकादमी की निदेशक, श्रीमती रीता कपूर ने कार्यक्रम को समाप्त करते हुए ध्यान को शिक्षा नीति का अभिन्न हिस्सा बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि ध्यान विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक लचीलापन को बढ़ावा देता है, जो उनके सर्वांगीण व्यक्तित्व के विकास में सहायक है।
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