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नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों को सावधान करता हुआ आदेश

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Noida News : नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में सक्रिय बिल्डरों की मनमानी किसी से छिपी नहीं हुई है। नोएडा हो, ग्रेटर नोएडा अथवा नोएडा एक्सटेंशन सब जगह बिल्डर मनमानी करते हैं। नोएडा के फ्लैट बॉयर्स के मोटी रकम खर्च करने के बाद भी फ्लैट का कब्जा नहीं मिलता। किसी प्रकार से फ्लैटों का कब्जा मिल भी जाता है तो नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में फ्लैट की रजिस्ट्री कराना लगभग नामुंकिन सा है।

उपभोक्ता आयोग ने दिया सख्त फैसला

हाल ही में उत्तर प्रदेश के उपभोक्ता आयोग ने नोएडा के एक बिल्डर के मामले में अहम फैसला सुनाया है। ग्रेटर नोएडा में स्थित जिला उपभोक्ता फोरम ने ताजा फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि फ्लैट की पूरी कीमत लेने के बाद बिल्डर को तय समय पर कब्जा देकर रजिस्ट्री करानी ही होगी, वह देरी नहीं कर सकता। यह टिप्पणी जिला उपभोक्ता आयोग ने एक मामले में सुनवाई के दौरान बिल्डर को 30 दिन में फ्लैट पर कब्जा देकर रजिस्ट्री कराने का आदेश देते हुए कही। साथ ही मानसिक संताप के 10 हजार रुपये भी देने का भी आदेश दिया। आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य अंजु शर्मा ने मामले की सुनवाई की थी।

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क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली के बसई दारापुर निवासी विपिन गुप्ता ने नोएडा के मैसर्स पैरामाउंट टावर प्राइवेट लिमिटेड की आवासीय योजना में एक फ्लैट 16 जून, 2011 को बुक कराया था। फ्लैट का सौदा 41.79 लाख रुपये में हुआ था। बुकिंग के दौरान एक लाख रुपये का अग्रिम भुगतान बिल्डर को किया गया। इसके बाद बकाया राशि का किश्तों में भुगतान करना था। पीड़ित खरीदार का आरोपी है कि बिल्डर के भुगतान प्लान के अनुसार राशि जमा की गई।

बिल्डर के कहे अनुसार भुगतान किया जो तय राशि से भी अधिक हुआ, लेकिन तय समय पर फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया गया। कब्जा दिलाने के लिए बिल्डर को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की। कब्जा नहीं देने पर पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया गया। मामले की सुनवाई के दौरान बिल्डर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 30 सितंबर, 2011 को आवंटन पत्र जारी किया गया था। परियोजना का निर्माण पूरा होने के बाद नोएडा प्राधिकरण ने 10 मार्च, 2015 को ऑक्युपेंसी प्रमाण-पत्र जारी किया था।

जिसे बार-बार डिफॉल्ट किया गया। अनेक बार मांग करने पर भी देर से धनराशि का भुगतान किया गया। 15 मार्च, 2015 को बिल्डर ने पत्र भेजकर 30 दिन में बकाया राशि का भुगतान करने को कहा था, लेकिन खरीदार की ओर से शेष धनराशि का भुगतान नहीं किया। बकाया धनराशि का भुगतान नहीं करने पर उनको कब्जा । मामले नहीं दिया जा सका।

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