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‘नोएडा’ नहीं, कुछ और ही है इस शानदार सिटी का पूरा नाम, जानें इसके बनने के पीछे की कहानी

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Noida News : उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर की खूबसूरती देखते ही बनती है। यह शहर जितना हाईटेक और आधुनिक है उतना ही इसका इतिहास पुराना है। ऐसा कहा जाता है आधुनिक नोएडा का श्रेय संजय गांधी को जाता है। इतना ही नहीं इस शहर का इतिहास भारत के आजादी से भी जुड़ा है। नोएडा की गगनचुंबी इमारतें और मॉल कल्चर यहां खुलेपन का आभास कराते हैं। इसलिए आज हम आपको नोएडा शहर की खसियात और इसके न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से नोएडा बनने तक के सफर के बारे में बताने जा रहे है। आइए जानते है कैसे पड़ा इतने बड़े प्रदेश का नाम नोएडा?

1972 से शुरू हुई थी नोएडा की कहानी

आपको बता दें कि नोएडा वो शहर है जिसने दिल्ली से सटे होने के बाद भी अपनी पहचान नहीं खोई। इसका इतिहास लगभग 50 साल पुराना है। इस शहर की शुरूआत उस समय हुई जब दिल्ली की जनसंख्या बढ़ने लगी थी और इस कारण ये चिंता का विषय बन गया था कि आखिर इस बढ़ते खतरे को कम कैसे किया जाए। इस समय उत्तर प्रदेश में दिल्ली के पास स्थित 50 गांवों को यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया घोषित किया गया था। मार्च में ये घोषणा हुई और फिर दिल्ली के आस-पास के गांव धीरे-धीरे डेवलप होते चले गए। ये बहुत पुरानी बात नहीं है, लेकिन तब तक नोएडा नहीं बना था।

इसके बाद आया वह काला साल जिसे इमरजेंसी के नाम से जानते है। इस साल को शायद ही कोई भूला हो। साल 1975 में कई बड़े-बड़े बदलाव हुए। सियासी उठा पटक के बीच आनन फानन में यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया को ओखला इंडस्ट्रियल एरिया बना दिया गया। ये 1976 के यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट के तहत था। अब जब इंडस्ट्रियल एरिया बनाया गया था और वहां आस-पास के इलाकों में काम करने वाले लोग रहने लगे थे। फिर एक शहर और बेसिक सुविधाओं की जरूरत होने लगी। उस समय नोएडा (न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी) की स्थापना की गई । नोएडा अथॉरिटी शहर को बनाने की प्लानिंग कर रही थी और उसके बाद इसी के नाम पर नोएडा नाम दिया गया।

1 साल में तैयार हुआ रोड मैप Noida News

आपको जानकार हैरानी होगी कि उस समय बुलंदशहर के डीएम रह चुके धीरेंद्र मोहन मिश्रा को नोएडा का ब्लूप्रिंट तैयार करने को कहा गया था। इस काम में उन्हें अप्रैल 1975 से अप्रैल 1976 तक का समय लग गया् था, आखिरकार नोएडा का ब्लू प्रिंट बनकर तैयार हो गया। उस समय नोएडा अथॉरिटी के सीईओ भी डीएम धीरेंद्र मोहन मिश्रा को बनाया गया था। उस वक्त ये सरकारी शहर नहीं बल्कि एक अथॉरिटी जैसा था। जिस दिन नोएडा बनाने की घोषणा हुई उसके बाद से 36 गांवों की जमीन जब्त करने का नोटिस भी जारी किया गया था। धीरे-धीरे शहर की शक्ल सामने आने लगी। इस शहर की प्लानिंग करते समय कई बार ऑफिस बदले गए और कई बार इस शहर की कहानी लिखी गई। दिल्ली के आस-पास के गांव एक पूरा शहर बनने लगे। नोएडा की कहानी बहुत ही सिस्टमैटिक थी और इसे प्लान करके तैयार किया गया था।

भारत के पुरातन काल और आजादी के दौर से जुड़ा है नोएडा

बता दें कि नोएडा का इतिहास पुराने होने के कारण यहां मौजूद कई प्राचीन मन्दिर आज भी वैसे ही है। दरअसल दनकौर में द्रोणाचार्य तथा बिसरख में रावण के पिता विश्रवा ऋषि का प्राचीन मन्दिर यहां आज भी मौजूद है। ग्रेटर नोएडा स्थित रामपुर जागीर गांव में स्वतन्त्रता संग्राम के समय 1919 में मैनपुरी षड्यंत्र करके फरार हुए राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ भूमिगत होकर कुछ समय के लिये यहीं रहे थे। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के किनारे स्थित नलगढ़ा गांव में भगत सिंह ने भूमिगत रहकर कई तरह के बम-परीक्षण भी किये थे। यहां आज भी एक बहुत बड़ा पत्थर सुरक्षित तरीके से रखा हुआ है। Noida News

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