Noida News : हार्ट अटैक का खतरा केवल बुजुर्गों को ही नहीं युवाओं में भी है। खासतौर से 30 से 40 साल की उम्र के लोगों को भी हृदय रोग प्रभावित कर रहे हैं। भारत में पिछले पांच वर्षों के दौरान ये काफी बढ़े हैं। अचानक हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों के बढ़ने का कारण हमारा तेज रफ्तार जीवन और खराब लाइफस्टाइल है।
डॉ. अजय कौल, चेयरमैन, कार्डियाक साइंसेज, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने कहा एक प्रेसवार्ता में बताया कि पिछले पांच सालों में (कोविड के बाद) भारत में युवा आबादी के बीच हृदय रोगों के मामले बढ़ रहे हैं, और खासतौर से 30 से 40 साल की आयुवर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। अध्ययनों से यह चिंताजनक तस्वीर उभरी है कि अब अधिक युवा भारतीय हार्ट अटैक तथा अन्य कार्डियोवैस्कुलर रोगों के शिकार बन रहे हैं। इसका कारण काफी हद तक लाइफस्टाइल में बदलाव होना है। युवा वयस्कों में बढ़ रहे हृदय रोगों के मद्देनजर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और डिस्लिपीडेमिया (खून में लिपिड की मात्रा असामान्य होना) की जांच करवाना महत्वपूर्ण है। रूटीन हेल्थ चेकअप के दौरान समय पर रोगों के पकड़ में आने की संभावना बढ़ जाती है।
हर साल आते हैं कई मामले
डॉ. संजीव गेरा, डायरेक्टर एंड एचओडी, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा ने बताया कि हम हर साल करीब 70 से 80 हृदय संबंधी रोगों के मामले देख रहे हैं। हाल में हमने 30 से 40 साल की उम्र के कुछ युवा मरीजों का उपचार किया, इन सभी को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के तुरंत बाद ही, उनकी पूरी जांच की गई और तत्काल उपचार किया गया।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान वह मरीज भी मौजूद थे जिन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा था। पहला मामला 37 साल की एक महिल का था जो करीब एक सप्ताह तक छाती में बेचैनी की शिकायत के बाद फोर्टिस नोएडा के आपातकालीन विभाग में भर्ती हुई थीं। मेडिकल जांच से पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और कोरोनरी एंजियोग्राफी में उनकी रक्तवाहिकाओं के ब्लॉक होने का पता चला। अस्पताल में उनका इलाज एक नई टेक्नोलॉजी-डीसीबी (ड्रग कोटेड बैलून) से किया गया ताकि उनके शरीर में स्टेंट या किसी प्रकार की धातु न डालनी पड़ी। सर्जरी के बाद मरीज अब रिकवर हो चुकी हैं।
एक अन्य मामला 36 वर्षीय मरीज का था जो हार्ट अटैक के बाद तथा दो ब्लॉक धमनियों के साथ अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनके मामले में धूम्रपान जैसे रिस्क फैक्टर भी दोषी नहीं थे लेकिन उनके परिवार में हृदय रोगों की हिस्ट्री थी। उनका स्टेंट तथा ड्रग कोटेड बैलून की मदद से इलाज किया गया।
चौथा मामला 39 वर्षीय एक पुरुष मरीज का था जिन्हें सीने में दर्द और परिश्रम करने पर सांस फूलने की शिकायत के साथ अस्पताल लाया गया था। उनकी कोरोनरी एंजियोग्राफी से पता चला कि वह ट्रिपल वैसल रोग से पीडि़त थे। उनकी कोरोनरी एंतियोग्राफी करने पर पता चला कि वह कोरोनरी आर्टरी रोग से पीड़ित थे।
पांचवां मामला 34 वर्षीय मरीज का था जो सीने में दर्द और थोड़ा भी परिश्रम करने पर सांस फूलने की शिकायत के बाद अस्पताल आए थे। उनकी यह शिकायत हर दिन धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। इससे पहले भी उन्हें हृदय संबंधी तकलीफ हो चुकी थी और 2019 में उनकी एंजियोग्राफी भी हो चुकी थी। उन्हें कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्ट सर्जरी (सीएबीजी) करवाने की सलाह दी गई, जिसके बाद वे धीरे-धीरे रिकवर हो चुके हैं। Noida News
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