Noida News

Noida News : कई बार हम सुनते हैं कि “हम अपना भविष्य नहीं बदल सकते”, लेकिन सच्चाई यह है कि हमारी आदतें ही हमारे भविष्य की दिशा तय करती हैं। अगर आज से ही हम अपनी आदतें बदलने लगें, तो निश्चित रूप से हमारा आने वाला कल भी सुधरने लग जाएगा।

Anjana Bhagi

इस समय नोएडा (Noida) ही नहीं, पूरे देश में गर्मी अपने चरम पर है। जल संकट (Water crisis) गहराता जा रहा है। कहीं पानी नहीं आ रहा, कहीं गंदा पानी आ रहा है, कहीं बदबूदार, तो कहीं सीमित समय के लिए आपूर्ति हो रही है।

क्या कभी आपने सोचा है कि हम क्यों इस स्थिति में पहुंच रहे हैं?

मैं हाल ही में नोएडा की विभिन्न सोसाइटीज में गई — वहां के निवासियों से मिली, बातचीत की, शायद ही किसी ने जल विभाग की जरा भी तारीफ की हो? लेकिन यह भी सच है कि  पिछले दिनों 9 जून को जल गंगा की पाइपलाइन फट गई थी। इतनी तेज धूप में लेबर लगातार काम कर रही थी फिर भी चिलचिलाती धूप में  13 जून का समय देने पर भी  समस्या 15 जून को समाप्त हुई

पर कुछ कड़वी सच्चाइयों को भी मैंने नजदीक से देखा। कुछ जगहों पर पानी का TDS स्तर 1000 के पार पहुंच रहा था, जो पीने योग्य मानकों से बहुत अधिक है।

लेकिन चिंता की बात यह है कि जहां जल की कमी है, वहीं उसकी बेबुनियाद बर्बादी भी जारी है। एक कॉलोनी में सुबह 8.30 बजे का समय था,  घरेलू सहायिकाएं काम कर रही थीं। एक मकान मालिकन की आंखें अपने काम पर लगी सहायिका पर जमी थीं — वह कुछ कह नहीं रही थी, पर उसकी चिंता साफ झलक रही थी।

सहायिका दोनों नल खोलकर बर्तन धो रही थी। प्रेशर से पानी लगातार बह रहा था। आंगन धोने वाली दूसरी महिला एक हाथ में पाइप और दूसरे में झाड़ू लिए बातचीत कर रही थी — किसी चिंता या ज़िम्मेदारी के बिना।

यह दृश्य सिर्फ एक कॉलोनी का नहीं था — लगभग हर सोसाइटी में ही यही हाल है। कुछ लोग हाथ में पाइप लिए आज भी गाड़ियां धो रहे हैं,  पानी बहता रहता है। कुछ लोग  पेड़-पौधों को जरूरत से ज़्यादा पानी देते हैं आप किसी को भी देख सकते हैं — और यह सब उस वक्त हो रहा है जब चारों तरफ जल संकट की मार है।

पानी की बर्बादी तब और अधिक चुभती है, जब जल बर्बाद न करो पर कोई काम नहीं पानी न मिलने पर तो विरोध होगा ही। कुछेक लोग तो जल संकट के कारण  धरने पर भी बैठने लगे हैं।

यकीन मानिए, धरना-प्रदर्शन से पानी नहीं आएगा। जल की बचत और समझदारी से इस्तेमाल ही हमें जल संकट से उभारेगा। अगर हम अभी नहीं चेते, तो अब तो नदियां भी सूखे ने लगी हैं , बारिशें कम हो रहीं  हैं ऐसे में आने वाली पीढ़ियां तो हमें कोसेंगी ही न?

ऐसे में हमें अपनी आदतें ही सुधारनी होंगी।

इसलिए घरेलू सहायिकाओं को समझाएं कि वे काम के दौरान दोनों नल न खोलें।

जो लोग गाड़ियों या बगीचों में पाइप से पानी बहा रहे हैं, उन्हें रोकें।

जल को सम्मान दें — यह किसी एक का अधिकार नहीं, सबकी जरूरत है।

जल कोई असाधारण संसाधन नहीं, बल्कि जीवन का मूल है। इसके बिना ना जीवन संभव है, ना विकास।

हमें केवल शिकायतें नहीं करनी हैं, बल्कि व्यवस्थित जल-प्रबंधन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा। अच्छी आदतें ही हमारे भविष्य को बनाएंगी — और हमें आज से ही इसकी शुरुआत करनी होगी। अगर हमने आज पानी नहीं बचाया तो क्या पता अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ही हो जाए। Noida News :

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