Maha Kumbh 2025 : मुगल शासक बाबर अफगानिस्तान की ओर से भारत में लूटपाट करने के लिए अपने साथ 10 लाख की सेना को लेकर चला तो हिंदुस्तान पहुंचने से पहले बॉर्डर पर ही उसका सामना 300 नागा साधुओं से हुआ। बाबर को बहुत प्रसन्नता हुई कि वह इन साधुओं के पास जो कुछ भी है लूट उनको जला मारकर हिंदुस्तान को अपनी शक्ति का एक संदेश देगा। लेकिन उन 300 नागा साधुओं ने अपने युद्ध कौशल से बाबर की ऐसी कमर तोड़ी कि उन्होंने 10 लाख की सेना के पैर उखाड़ दिए। यही कारण था कि बाबर उसका पुत्र हुमायूं इनकी पत्नियाँ अफगानिस्तान से ही थीं।
बाबर का पौत्र अकबर कहीं जाकर हिंदुस्तान में बसा और हिंदुस्तान की महिलाओं से विवाह भी किया। नागा (नग्न नहीं इनकी पदवी होती है) नागा साधु भगवान शिव के पुजारी होते हैं। शिव के सबसे पहले शिष्य थे परशुराम, जिन्हें भोलेनाथ ने कलरी की 24 विधाओं में पारंगत किया था। परशुराम हमारे देश में भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण से भी पहले सतयुग में आए थे। परशुराम अपनी शिक्षा ब्राह्मणों को दिया करते थे। ब्राह्मण तीन भागों में बंटे पंडित, ब्राह्मण और साधु। साधुओं के 13 अखाड़ों में से 7 अखाड़े नागा साधुओं के हैं। इसमें जूना, महानिर्वाणी, निरंजन, अटल, अग्नि, आनंद और आह्वïान अखाड़ा नागा साधु को बनाते हैं। नागा साधु अपने आप में पूरी तरह से एक ट्रैन्ड रेजीमेंट की तरह रहते हैं। भाला, फरसा चिलम व चिमटा इनके हथियार होते हैं।
शाओलिन कुंग फू जो कि कितना मशहूर है वह कलरी की 24 विधाओं में से सिर्फ एक ही विधा अलाबु कलरी है। जबकि नागा 24 विधाओं में पारंगत होते हैं। 12 साल में यह पहले 6 साल महापुरुष ब्रह्मचर्य (महापुरुष) इसमें लंगोट धारण करते हैं फिर अवधूत महाकुंभ में दंडी संस्कार या पिंडदान के पश्चात लंगोट भी त्याग कर दिगंबर हो जाते हैं। फरसा जिसमें एक तरफ लकड़ी दूसरी तरफ गर्दन काटने के लिए फरसा यही हमारा सनातन है। आप हमें कुछ ना कहें हम बहुत उत्सव प्रिय हैं। खुश मस्त और व्यस्त रहते हैं लेकिन यदि हमें ललकारा जाएगा तो फिर फरसा।
इनका कहना है कि यह दुनिया में सनातन की रक्षा के लिए ही आए हैं। इतिहास में उदाहरण भी है अहमद शाह अब्दाली 40,000 की सेना लेकर भारत में आया था। मथुरा, वृंदावन जीतने के बाद जब वह गोकुल की ओर बढ़ा तो नागा साधुओं ने उसके साथ कठिन युद्ध किया और उसे भगा दिया। इनके अखाड़े का भी बाकायदा रजिस्ट्रेशन होता है। सिर्फ 16 से 20 वर्ष की आयु में ही नागा बनने की इच्छा बनने वाले साधु पुरुष या महिला साधु लेते हैं। कुंभ में आकर ये स्वयं अपना पिंडदान करते हैं। कुल मिलाकर 17 पिंडदान। 16 अपने परिजनों के और एक अपना उसके पिंडदान संस्कार को बृजवान भी कहते हैं। फिर ये स्वयं को मृत घोषित कर साधु बन जाते हैं। महिला नागा सिर्फ एक ही वस्त्र धारण करती है जिसमें कोई सिलाई नहीं होती। 12 वर्ष की कठिन तपस्या के पश्चात यह पूर्ण दिगंबर हो जाते हैं। कुल मिलाकर 24 घंटे में सिर्फ एक बार भोजन करते हैं वह भी सात लोगों से भिक्षा मांगते हैं। यदि मिल जाए तो सही नहीं तो उस दिन कोई भोजन नहीं। इनका भोजन फल, फूल, कंदमूल व पत्तियां भी हैं।

हिंदू युवा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष टीसी गौड के अनुसार नागा साधु हरिद्वार में अभी अग्नि स्नान कर रहे हैं उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ और कल शाम तक वे प्रयागराज महाकुंभ में पधार जाएंगे। यह पैदल चलते हैं और बड़े जोर से भागते हुए बहुत खुशी से गंगा मां के पास आते हैं। हमारे देश में आज लगभग 5 लाख नागा साधु हैं। कुछ भ्रांतियां हैं जैसे कि ये इंसानी मांस भी खा लेते हैं। नहीं ऐसा नहीं है बल्कि ये क्योंकि शिव के हर रूप की पूजा करते हैं। अत: शमशानों में भी रह लेते हैं चिताओं की राख (भस्म) पूरे शरीर पर लगाते हैं जो रोटी खाते हैं वे चिताओं पर सेंककर जो रोटी खाते हैं वे रोटी भी बना लेते हैं। क्योंकि मृत्यु का तो वरण अपना पिंडदान नागा पदवी मिलने पर कर ही चुके होते हैं। इसलिए ये ईश्वर के सबसे अधिक करीब होते हैं।
कैलाश पर्वत जो कि शिव का निवास है उस पर आज तक कोई भी नहीं जा सका लेकिन कलयुग में भी सिर्फ एक नागा गए हैं। जिनका कुछ पता नहीं वे कौन थे। नागा कहना जितना आसान है हकीकत उतनी ही कठिन है। जीते जी ईश्वर का हो जाना विदेशों से सैलानी पूरे महाकुंभ के समय में यहां महाकुंभ के स्थान पर आकर रहते हैं। नागा साधुओं के बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करने के लिए। क्योंकि ये कुंभ या महाकुंभ के अवसर पर ही कहीं-कहीं से आते हैं फिर वैसे ही गायब भी हो जाते हैं। Maha Kumbh 2025 :
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