महाशिवरात्रि पर इन चार पहर की पूजा से पूरी होगी हर मनोकामना 

Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja
Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja
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calendar02 Dec 2025 03:15 AM
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Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja : शुक्रवार को होगी भगवान शिव के लिए चार प्रहर की पूजा नोट कर लें पूजा का समय ओर साथ ही विधि, शुभ मुहूर्त सभी कुछ एक ही साथ. महा शिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का वर्णन शिवपुराण में प्राप्त होता है. इस पूजा को करने से भक्तों के समस्त कष्ट पल भर में हो जाते हैं दूर और मिलती है जीवन में हर काम में सफलता.

महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय

08 मार्च 2024 रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय संध्या 06:25 से 09:28 तक रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन पहले प्रहर की पूजा के समय स्वच्छ एवं शुद्ध चित्त से पूजा का आरंभ किया जाता है. पहली पूजा का आरंभ संध्या समय प्रदोष काल के समय पर होता है. इस प्रहर की पूजा में स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने के पश्चात पूजा को आरंभ करते हैं. भगवान शिव की पूजा सामग्री में उन सभी चीजों को रखना जरुरी होता है जो पूजा के लिए अनुवार्य होती हैं. पूजा में. गंगा जल, दूध, घी, कपूर, केसर, तिल, बेल पत्र, बेल का फल, धतुरा या धतुरे के बीज, जनेऊ, चंदन, लौंग, भांग, पंचामृत इत्यादि को पूजा स्थान पर रख देना चाहिए. पूजा में बैठने हेतु साफ आसन का उपयोग करना चाहिए. पूजा करते समय इशान दिशा का चयन उत्तम स्थान होता है. पूजा के दौरान भक्त का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना सबसे उत्तम माना गया है. पूजा स्थान पर पानी से भरा कलश आम्र पत्र इत्यादि अवश्य रखना चाहिए. श्रीफल पान के पत्ते इन सभी को पूजा हेतु उपयोग करना चाहिए. पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा अथवा शिवलिंग को रखना चाहिए तथा समस्त शिव परिवार को विराजमान करना शुभ होता है. इसके बाद अपनी पूजा आरंभ करनी चाहिए.

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 09:28 से 12:31

महाशिवरात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा का आरंभ उसी पश्चात होता है जब पहले प्रहर की पूजा समाप्त होती है. अब इस समय के दौरान भी पूजा की वह सभी सामग्री उपयोग में लाते हैं जिसे पहली बार उपयोग किया गया था. अब इस समय दूसरा जलाभिषेक होता है. इसी के साथ कलश के द्वारा पंचामृत से शिव अभिषेक किया जाता है. भगवान शिव का जल से अभिषेक करने के साथ साथ पुष्प, भांग, बेल पत्र, धतूरा, अक्षत, चंदन, इत्यादि को पुन: भगवान पर अर्पित करते हुए पूजन किया जाता है. Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 12:31 से 03:34

तीसरे प्रहर की पूजा में भी भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. माला जाप एवं मंत्र द्वारा पूजन किया जाता है. इसके साथ ही पूजन सामग्री चढ़ाते चले जाते हैं जैसे पहली दो पूजा की होती हैं वैसे ही आगे की पूजा भी होती है. इस समय समस्त शिव परिवार का पूजन एवं नंदी पूजन होता है. भगवान शिव को धूप, दीप, सुगंधित वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है.

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 03:34 से 06:37

महाशिवरात्रि के चौथे प्रहर की पूजा का समय अमृत काल का समय होता है. इस समय पर पुन: वही क्रम करते हुए पूजा होती है. इसके साथ साथ शिव चालीसा का पाठ किया जाता है. शिव स्त्रोत का पाठ करते हैं. कपूर घी से भरे दीपक को निर्मित करके भगवान की आरती की जाती है. शिवपुराण अनुसार इस समय के दौरान  यदि भक्त रात्रि जागरण करते हैं तथा चारों प्रहर की पूजा करते हैं तो उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आचार्या राजरानी 

महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें जलाभिषेक दूर होंगे ग्रह दोष  

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महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें जलाभिषेक दूर होंगे ग्रह दोष  

Mahashivratri Abhishek 2024
Mahashivratri Abhishek 2024
locationभारत
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calendar07 Mar 2024 04:23 PM
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Mahashivratri Abhishek 2024 : भगवान शिव पर किए जाना वाला अभिषेक कई मायनों में होता है विशेष. महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक किया जाता है तो यह सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को समाप्त कर देने वाला होता है. शिवरात्रि के दिन शिव का पूजन एवं अभिषेक नव ग्रहों की अशुभता को पल भर में समाप्त कर देता है. फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस शुभ दिन पर यदि भक्त अपनी राशि के अनुसार अभिषेक करना शुभता और सकारात्मकता को देने वाला होता है. Mahashivratri Abhishek 2024 मेष राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   मेष राशि का स्वामी मंगल है ऎसे में मेष राशि के भक्तों को इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दही और धतूरा भी चढ़ाना चाहिए. वृष राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है ऎसे में वृषभ राशि के जातकों को इस दिन घी में दही मिलाकर भगवान शिव को अभिषेक स्वरुप अर्पित करना चाहिए. मिथुन राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   मिथुन राशि का स्वामी बुध है ऎसे में मिथुन राशि के जातकों को महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक 108 बेल पतों से करना चाहिए. कर्क राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय  कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है ऎसे में कर्क राशि के के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का अभिषेक गुलाब जल से करना चाहिए. सिंह राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   सिंह राशि का स्वामी सूर्य देव हैं ऎसे में सिंह राशि वालों के लिए महाशिवरात्रि के दिन केसर के जल से शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ होता है. कन्या राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय  कन्या राशि का स्वामी बुध है ऎसे में कन्या राशि के जातकों को चाहिए की महाशिवरात्रि के दिन ईख के रस से शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए. तुला राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय  तुला राशि का स्वामी शुक्र है ऎसे में तुला राशि के जातकों को चाहिए की महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग को घी और दूध के मिश्रण से अभिषेक करना चाहिए. वृश्चिक राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय  वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है ऎसे में वृश्चिक राशि के जातकों के लिए महाशिवरात्रि के दिन लाल चंदन को दूध में मिलाकर अभिषेक करना चाहिए. धनु राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है ऎसे में धनु राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन पीला चंदन और जल मिलाकर अभिषेक करना चाहिए. मकर राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय  मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं ऎसे में मकर राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर काले तिल और जल मिला कर अभिषेक करना चाहिए. कुंभ राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं ऎसे में कुंभ राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए. मीन राशि के लिए महाशिवरात्रि के दिन ग्रह शांति उपाय   मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है ऎसे में मीन राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन तिल और केसर से अभिषेक करना चाहिए. आचार्या राजरानी 

महाशिवरात्रि पर पंचक का योग जानें इस दिन पूजा का लाभ 

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महाशिवरात्रि पर पंचक का योग जानें इस दिन पूजा का लाभ 

Mahashivratri Panchak Yoga
Mahashivratri Panchak Yoga
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:50 AM
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Mahashivratri Panchak Yoga : इस वर्ष 8 मार्च 2024 के दिन महाशिवरात्रि के पावन पर्व में होगा पंचक योग का निर्माण. शिवरात्रि के साथ पंचक का योग देगा बेहद विशेष प्रभाव. मान्यताओं के अनुसार पंचक को नकारात्मक रुप से अधिक देखा गया है किंतु शिव पूजन समय इस की स्थिति अपने अलग ही प्रभाव दिखाती है. महा शिवरात्रि पंचक योग के प्रभाव से पंचक के नकारात्मक प्रभाव भी दूर हो जाएंगे. इस समय पर पूजा का कई गुना शुभ फल भक्तों को प्राप्त होगा. चंद्र और नक्षत्रों के योग में निर्मित पंचक का प्रभाव शिव पूजन से क्षीण होता है.

पंचांग गणना अनुसार महाशिवरात्रि पंचक योग

पंचांग गणना के अनुसार पंचक का महत्व उन पांच दिनों से होता है जो किसी भी कार्य विशेष को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं. महीने में पांच दिन ऐसे होते हैं जिनका होना पंचक कहलाता है. जीवन में महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार पंचक काल के दौरान शिव पूजा मनोकामना पूर्ण करती है. पंचक को चंद्रमा से देखा जाता है. चंद्रमा जब कुछ विशेष राशि नक्षत्र में होता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है. जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना अनुकूल नहीं बताया गया है. महाशिवरात्रि के समय पर पंचक का योग होने से शिव पूजा बेहद विशेष बन जाती है. पंचक के कुल पांच प्रकार बताए गए हैं. इन में प्रत्येक माह के पंचक का अपना अलग-अलग महत्व मिलता है. जहां किसी माह के पंचक काल में शुभ कार्य करना वर्जित होता है वहीं किसी अन्य माह में शुभ कार्य किये जा सकते हैं.

पंचक क्या होता है ?

पंचक को तब माना गया है जब धनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चार चरणों में चंद्रमा का गोचर हो रहा होता है. चंद्रमा के भ्रमण का ये समय पंचक कहा जाता है. इसी प्रकार जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में भ्रमण करता है तो पंचक नामक योग का निर्धारण होता है. पंचक में आने वाले नक्षत्रों में धनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र और रेवती नक्षत्र विशेष रुप से आते हैं. इन सभी नक्षत्रों में चंद्रमा का होना पंचक योग को जन्म देने वाला होता है. Mahashivratri Panchak Yoga

महाशिवरात्रि पर पंचक का प्रभाव

शिवरात्रि के दिन इस बार पंचक का योग बनेगा. महाशिवरात्रि के शुभ दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत-उपवास किया जाता है. पूजा पाठ होता है तथा रुद्राभिषेक होता है. महा शिवरात्रि भगवान शिव के पूजन हेतु प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक विशेष दिन है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी को इसका आयोजन होता है. इस बार इस दिन पंचक का भी योग होगा. ऎसे में पूजा विशेष फल प्रदान करने वाली होगी. आचार्या राजरानी 

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