महाशिवरात्रि पर इन चार पहर की पूजा से पूरी होगी हर मनोकामना

महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय
08 मार्च 2024 रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय संध्या 06:25 से 09:28 तक रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन पहले प्रहर की पूजा के समय स्वच्छ एवं शुद्ध चित्त से पूजा का आरंभ किया जाता है. पहली पूजा का आरंभ संध्या समय प्रदोष काल के समय पर होता है. इस प्रहर की पूजा में स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने के पश्चात पूजा को आरंभ करते हैं. भगवान शिव की पूजा सामग्री में उन सभी चीजों को रखना जरुरी होता है जो पूजा के लिए अनुवार्य होती हैं. पूजा में. गंगा जल, दूध, घी, कपूर, केसर, तिल, बेल पत्र, बेल का फल, धतुरा या धतुरे के बीज, जनेऊ, चंदन, लौंग, भांग, पंचामृत इत्यादि को पूजा स्थान पर रख देना चाहिए. पूजा में बैठने हेतु साफ आसन का उपयोग करना चाहिए. पूजा करते समय इशान दिशा का चयन उत्तम स्थान होता है. पूजा के दौरान भक्त का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना सबसे उत्तम माना गया है. पूजा स्थान पर पानी से भरा कलश आम्र पत्र इत्यादि अवश्य रखना चाहिए. श्रीफल पान के पत्ते इन सभी को पूजा हेतु उपयोग करना चाहिए. पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा अथवा शिवलिंग को रखना चाहिए तथा समस्त शिव परिवार को विराजमान करना शुभ होता है. इसके बाद अपनी पूजा आरंभ करनी चाहिए.रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 09:28 से 12:31
महाशिवरात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा का आरंभ उसी पश्चात होता है जब पहले प्रहर की पूजा समाप्त होती है. अब इस समय के दौरान भी पूजा की वह सभी सामग्री उपयोग में लाते हैं जिसे पहली बार उपयोग किया गया था. अब इस समय दूसरा जलाभिषेक होता है. इसी के साथ कलश के द्वारा पंचामृत से शिव अभिषेक किया जाता है. भगवान शिव का जल से अभिषेक करने के साथ साथ पुष्प, भांग, बेल पत्र, धतूरा, अक्षत, चंदन, इत्यादि को पुन: भगवान पर अर्पित करते हुए पूजन किया जाता है. Mahashivratri 2024 Char Prahar Pujaरात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 12:31 से 03:34
तीसरे प्रहर की पूजा में भी भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. माला जाप एवं मंत्र द्वारा पूजन किया जाता है. इसके साथ ही पूजन सामग्री चढ़ाते चले जाते हैं जैसे पहली दो पूजा की होती हैं वैसे ही आगे की पूजा भी होती है. इस समय समस्त शिव परिवार का पूजन एवं नंदी पूजन होता है. भगवान शिव को धूप, दीप, सुगंधित वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है.रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 03:34 से 06:37
महाशिवरात्रि के चौथे प्रहर की पूजा का समय अमृत काल का समय होता है. इस समय पर पुन: वही क्रम करते हुए पूजा होती है. इसके साथ साथ शिव चालीसा का पाठ किया जाता है. शिव स्त्रोत का पाठ करते हैं. कपूर घी से भरे दीपक को निर्मित करके भगवान की आरती की जाती है. शिवपुराण अनुसार इस समय के दौरान यदि भक्त रात्रि जागरण करते हैं तथा चारों प्रहर की पूजा करते हैं तो उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आचार्या राजरानीमहाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें जलाभिषेक दूर होंगे ग्रह दोष
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महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय
08 मार्च 2024 रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय संध्या 06:25 से 09:28 तक रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन पहले प्रहर की पूजा के समय स्वच्छ एवं शुद्ध चित्त से पूजा का आरंभ किया जाता है. पहली पूजा का आरंभ संध्या समय प्रदोष काल के समय पर होता है. इस प्रहर की पूजा में स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने के पश्चात पूजा को आरंभ करते हैं. भगवान शिव की पूजा सामग्री में उन सभी चीजों को रखना जरुरी होता है जो पूजा के लिए अनुवार्य होती हैं. पूजा में. गंगा जल, दूध, घी, कपूर, केसर, तिल, बेल पत्र, बेल का फल, धतुरा या धतुरे के बीज, जनेऊ, चंदन, लौंग, भांग, पंचामृत इत्यादि को पूजा स्थान पर रख देना चाहिए. पूजा में बैठने हेतु साफ आसन का उपयोग करना चाहिए. पूजा करते समय इशान दिशा का चयन उत्तम स्थान होता है. पूजा के दौरान भक्त का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना सबसे उत्तम माना गया है. पूजा स्थान पर पानी से भरा कलश आम्र पत्र इत्यादि अवश्य रखना चाहिए. श्रीफल पान के पत्ते इन सभी को पूजा हेतु उपयोग करना चाहिए. पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा अथवा शिवलिंग को रखना चाहिए तथा समस्त शिव परिवार को विराजमान करना शुभ होता है. इसके बाद अपनी पूजा आरंभ करनी चाहिए.रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 09:28 से 12:31
महाशिवरात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा का आरंभ उसी पश्चात होता है जब पहले प्रहर की पूजा समाप्त होती है. अब इस समय के दौरान भी पूजा की वह सभी सामग्री उपयोग में लाते हैं जिसे पहली बार उपयोग किया गया था. अब इस समय दूसरा जलाभिषेक होता है. इसी के साथ कलश के द्वारा पंचामृत से शिव अभिषेक किया जाता है. भगवान शिव का जल से अभिषेक करने के साथ साथ पुष्प, भांग, बेल पत्र, धतूरा, अक्षत, चंदन, इत्यादि को पुन: भगवान पर अर्पित करते हुए पूजन किया जाता है. Mahashivratri 2024 Char Prahar Pujaरात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 12:31 से 03:34
तीसरे प्रहर की पूजा में भी भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. माला जाप एवं मंत्र द्वारा पूजन किया जाता है. इसके साथ ही पूजन सामग्री चढ़ाते चले जाते हैं जैसे पहली दो पूजा की होती हैं वैसे ही आगे की पूजा भी होती है. इस समय समस्त शिव परिवार का पूजन एवं नंदी पूजन होता है. भगवान शिव को धूप, दीप, सुगंधित वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है.रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 03:34 से 06:37
महाशिवरात्रि के चौथे प्रहर की पूजा का समय अमृत काल का समय होता है. इस समय पर पुन: वही क्रम करते हुए पूजा होती है. इसके साथ साथ शिव चालीसा का पाठ किया जाता है. शिव स्त्रोत का पाठ करते हैं. कपूर घी से भरे दीपक को निर्मित करके भगवान की आरती की जाती है. शिवपुराण अनुसार इस समय के दौरान यदि भक्त रात्रि जागरण करते हैं तथा चारों प्रहर की पूजा करते हैं तो उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आचार्या राजरानीमहाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें जलाभिषेक दूर होंगे ग्रह दोष
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