Rashifal 12 January 2023 – मेष से मीन राशि के जातक जाने क्या कहते हैं आज आपके सितारे




-अंजना भागी
प्रसिद्घ कहावत हैं कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) के शुभ पर्व पर महिलायें (Women) जब वान (दान की थाली) खरीदती हैं। तो उस थाली में चीन से आई खूबसूरत प्लास्टिक (Plastic) की डिब्बियां व बोतलें सजा देती हैं। जो पर्व को तो आकर्षक बनाती हैं लेकिन पर्यावरण (Environment) के लिए हानिकारक (Harmful) है।
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
पौष मास में सूर्य जब मकर राशि पर आता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोडक़र मकर राशि में प्रवेश करता है। जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही ऐसा होता है। इस वर्ष यह 14 जनवरी को होगा। इस शुभ दिन को हम एक पर्व के रूप में मनाते हैं जिसे हम मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) कहते हैं। यह भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) पूरे भारत के साथ-साथ नेपाल (Nepal) में भी किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल (Pongal) नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं। जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। 14 जनवरी के बाद से ही सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर होता है। इसीलिए, उत्तरायण, (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पृथ्वी का झुकाव हर 6, माह तक निरंतर उत्तर की ओर 6 माह दक्षिण की ओर बदलता रहता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। मकर संक्रांति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में खासकर गुजरात में पतंग उड़ाने (kite flying) का रिवाज है।
[caption id="attachment_57894" align="alignnone" width="300"]
Mkar sankrnti 1[/caption]
इस दिन गंगासागर में स्नान-दान के लिये लाखों लोगों की भीड़ जमा होती है। लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं। वर्ष में केवल एक दिन मकर संक्रांति के दिन ही यहाँ लोगों की अपार भीड़ होती है।
ये भी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
ये अवधारणाएं ऐसे ही नहीं बनी। केदारनाथ त्रासदी में बादल फटने पर शिव की मूर्ति का अपने स्थान पर ज्यों का त्यों बने रहना। मन्दिर का अपने स्थान पर ज्यों का त्यों बने रहना, हमारी आस्थाओं को और भी सुदृढ़ करता है। इसलिए मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य को अघ्र्य देकर ही दिन की शुरुआत करें।
महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो स्नान के पश्चात सूर्य को अघ्र्य दें। उसके बाद घर के पूजास्थल में भगवान की पूजा अर्चना करें। महिला परिवार की गर्दन स्वरुप होती हैं। उनका आचरण बच्चे करते हैं। पूजा में महिलाएं मकर संक्रांति पर काले तिल, गुड़ और खिचड़ी के अलावा 13 की संख्या में सुहाग की कोई वस्तु 13 सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से उन्हें सूर्य देव के आशीर्वाद से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सुहागिन महिलाएं यदि 13 महिलाओं को दान देने के अलावा अगर किसी एक गरीब महिला को भी सुहाग और श्रृंगार का सारा सामान उपहार स्वरूप देती हैं तो इससे उनके पति की दीर्घायु होती है। महिलाएं इस दिन लक्ष्मी माता के चरणों में लाल पुष्प अर्पित करें और माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। तो घर धन धान्य से भरा रहेगा।
10 जनवरी तिलकुट चतुर्थी से महिलाये संक्रांति के वान (दान की थाली) खरीदने की शुरुवात करती हैं। आजकल इस दान की थाली के लिए छोटी-छोटी प्लास्टिक और स्टील की डिब्बियों को खरीदने का फैशन बन गया है जो बाद में कचरा बन जाती है। लेकिन पहले के जमाने में संक्रांति पर सुहागन महिलाओं को घर पर बुलाकर हल्दी, कुमकुम लगाकर, तिल, गुड़ देकर उनकी गोदी में (गेहूं, बेर, हरा चना, गाजर) इत्यादि से भरी जाती थी, जो कि पूरी तरह से इस्तेमाल हो जाते थे।
इन दिनों बाजार में ऐसी सस्ती चीन में बनी वस्तुओं की बाढ़ सी ही आ जाती है और हजारों महिलाएं इन वस्तुओं को खरीदती भी हैं। फिर एक-दूसरे को इन वस्तुओं का आदान-प्रदान भी करती हैं, क्योंकि ये वस्तुऐं बहुत महँगी भी आती हैं। इसमें दिया जाने वाले सामान की मात्रा तो घटती ही जाती है। लेकिन लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक की कीमत बढ़ती जाती हैं। इन वस्तुओं का बाद में उपयोग भी ना के बराबर ही होता है। इतने महत्वपूर्ण त्यौहार पर यदि हम इसमें करोड़ों टन प्लास्टिक का कचरा एकत्र कर पर्यावरण में फैलायेंगे तो हम सभी जानते हैं कि इनका विघटन भी सालों-साल तक नहीं होगा। यानि कचरा वैसे ही बहुत है। उस पर फिर और कचरा।
इसलिए इस बार मकर संक्रांति पर हल्दी, कुमकुम और खाने की वस्तुएं कपड़े के थैले में देंगे तो आने वाली पीढिय़ों का भविष्य संवेरेगा। इसके अलावा जैसे घर में उपयोग में आने वाली वस्तुएं, मसाले, आंवला कैंडी, मुखवास, चाय मसाला (बेशक थोड़े-थोड़े) विविध प्रकार के साबुन, पाचक गोलियां, कपड़े की थैलियां इन वस्तुओं की वान (दान की थाली) के लिए खरीदारी करेंगे तो सब उपयोग कर सकेंगे।
चीनी सस्ती वस्तुओं के लोभ में और समृद्धता के दिखावे में ना पडक़र रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं को अब हमें स्वीकार करना ही पड़ेगा, हमें इतना बड़ा दिल तो करना ही चाहिए।
यदि ....ऐसा संकल्प दो लाख महिलाओं ने भी किया तो बहुत फर्क पड़ेगा.....वो कहावत भी है ना कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। यह भारतीय संस्कृति का त्यौहार हैं, जिसे महिलाएं ही आयोजित करती हैं और पूरा परिवार आत्मीयता से शामिल होता है। अत: इसे उत्साह के साथ इकोफेंडली रूप से मनायें।
-अंजना भागी
प्रसिद्घ कहावत हैं कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) के शुभ पर्व पर महिलायें (Women) जब वान (दान की थाली) खरीदती हैं। तो उस थाली में चीन से आई खूबसूरत प्लास्टिक (Plastic) की डिब्बियां व बोतलें सजा देती हैं। जो पर्व को तो आकर्षक बनाती हैं लेकिन पर्यावरण (Environment) के लिए हानिकारक (Harmful) है।
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
पौष मास में सूर्य जब मकर राशि पर आता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोडक़र मकर राशि में प्रवेश करता है। जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही ऐसा होता है। इस वर्ष यह 14 जनवरी को होगा। इस शुभ दिन को हम एक पर्व के रूप में मनाते हैं जिसे हम मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) कहते हैं। यह भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) पूरे भारत के साथ-साथ नेपाल (Nepal) में भी किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल (Pongal) नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं। जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। 14 जनवरी के बाद से ही सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर होता है। इसीलिए, उत्तरायण, (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पृथ्वी का झुकाव हर 6, माह तक निरंतर उत्तर की ओर 6 माह दक्षिण की ओर बदलता रहता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। मकर संक्रांति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में खासकर गुजरात में पतंग उड़ाने (kite flying) का रिवाज है।
[caption id="attachment_57894" align="alignnone" width="300"]
Mkar sankrnti 1[/caption]
इस दिन गंगासागर में स्नान-दान के लिये लाखों लोगों की भीड़ जमा होती है। लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं। वर्ष में केवल एक दिन मकर संक्रांति के दिन ही यहाँ लोगों की अपार भीड़ होती है।
ये भी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
ये अवधारणाएं ऐसे ही नहीं बनी। केदारनाथ त्रासदी में बादल फटने पर शिव की मूर्ति का अपने स्थान पर ज्यों का त्यों बने रहना। मन्दिर का अपने स्थान पर ज्यों का त्यों बने रहना, हमारी आस्थाओं को और भी सुदृढ़ करता है। इसलिए मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य को अघ्र्य देकर ही दिन की शुरुआत करें।
महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो स्नान के पश्चात सूर्य को अघ्र्य दें। उसके बाद घर के पूजास्थल में भगवान की पूजा अर्चना करें। महिला परिवार की गर्दन स्वरुप होती हैं। उनका आचरण बच्चे करते हैं। पूजा में महिलाएं मकर संक्रांति पर काले तिल, गुड़ और खिचड़ी के अलावा 13 की संख्या में सुहाग की कोई वस्तु 13 सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से उन्हें सूर्य देव के आशीर्वाद से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सुहागिन महिलाएं यदि 13 महिलाओं को दान देने के अलावा अगर किसी एक गरीब महिला को भी सुहाग और श्रृंगार का सारा सामान उपहार स्वरूप देती हैं तो इससे उनके पति की दीर्घायु होती है। महिलाएं इस दिन लक्ष्मी माता के चरणों में लाल पुष्प अर्पित करें और माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। तो घर धन धान्य से भरा रहेगा।
10 जनवरी तिलकुट चतुर्थी से महिलाये संक्रांति के वान (दान की थाली) खरीदने की शुरुवात करती हैं। आजकल इस दान की थाली के लिए छोटी-छोटी प्लास्टिक और स्टील की डिब्बियों को खरीदने का फैशन बन गया है जो बाद में कचरा बन जाती है। लेकिन पहले के जमाने में संक्रांति पर सुहागन महिलाओं को घर पर बुलाकर हल्दी, कुमकुम लगाकर, तिल, गुड़ देकर उनकी गोदी में (गेहूं, बेर, हरा चना, गाजर) इत्यादि से भरी जाती थी, जो कि पूरी तरह से इस्तेमाल हो जाते थे।
इन दिनों बाजार में ऐसी सस्ती चीन में बनी वस्तुओं की बाढ़ सी ही आ जाती है और हजारों महिलाएं इन वस्तुओं को खरीदती भी हैं। फिर एक-दूसरे को इन वस्तुओं का आदान-प्रदान भी करती हैं, क्योंकि ये वस्तुऐं बहुत महँगी भी आती हैं। इसमें दिया जाने वाले सामान की मात्रा तो घटती ही जाती है। लेकिन लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक की कीमत बढ़ती जाती हैं। इन वस्तुओं का बाद में उपयोग भी ना के बराबर ही होता है। इतने महत्वपूर्ण त्यौहार पर यदि हम इसमें करोड़ों टन प्लास्टिक का कचरा एकत्र कर पर्यावरण में फैलायेंगे तो हम सभी जानते हैं कि इनका विघटन भी सालों-साल तक नहीं होगा। यानि कचरा वैसे ही बहुत है। उस पर फिर और कचरा।
इसलिए इस बार मकर संक्रांति पर हल्दी, कुमकुम और खाने की वस्तुएं कपड़े के थैले में देंगे तो आने वाली पीढिय़ों का भविष्य संवेरेगा। इसके अलावा जैसे घर में उपयोग में आने वाली वस्तुएं, मसाले, आंवला कैंडी, मुखवास, चाय मसाला (बेशक थोड़े-थोड़े) विविध प्रकार के साबुन, पाचक गोलियां, कपड़े की थैलियां इन वस्तुओं की वान (दान की थाली) के लिए खरीदारी करेंगे तो सब उपयोग कर सकेंगे।
चीनी सस्ती वस्तुओं के लोभ में और समृद्धता के दिखावे में ना पडक़र रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं को अब हमें स्वीकार करना ही पड़ेगा, हमें इतना बड़ा दिल तो करना ही चाहिए।
यदि ....ऐसा संकल्प दो लाख महिलाओं ने भी किया तो बहुत फर्क पड़ेगा.....वो कहावत भी है ना कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। यह भारतीय संस्कृति का त्यौहार हैं, जिसे महिलाएं ही आयोजित करती हैं और पूरा परिवार आत्मीयता से शामिल होता है। अत: इसे उत्साह के साथ इकोफेंडली रूप से मनायें।
Mercury Uday : नवग्रहों में बुध ग्रह को अहम स्थान प्राप्त है। इन्हें नवग्रहों का युवराज भी कहा जाता है। इस ग्रह की जिस जातक पर शुभ दृष्टि पड़ती है, उस जातक की किस्मत ही पलट जाती है। मतलब कि वह बेहद ही बुद्धिमान होता है। अभी तक यह ग्रह अस्त चल रहा है, लेकिन कल यानि कि 12 जनवरी को बुध देव उदय होने जा रहे हैं। बुध देव के उदय होने से कई राशि के जातकों की किस्मत भी उदय होने जा रही है। आइए जानते हैं कि वो कौन सी राशि है, जिनके जातकों को बुध के उदय का लाभ मिलने वाला है।
सिंह राशि आप लोगों के लिए बुध ग्रह का उदय होना शुभ फलदायी साबित हो सकता है। क्योंकि बुध ग्रह आपकी राशि से पंचम भाव में उदित होने जा रहे हैं। जिसे संतान, उच्च शिक्षा और प्रेम- संबंध का स्थान माना जाता है। इसलिए इस समय आपको संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है। वहीं इस समय आपको काम- कारोबार के सिलसिले से विदेश जाने का मौका भी मिल सकता है। वहीं इस समय आपको प्रेम- संबंधों में सफलता मिल सकती है। वहीं इस समय प्रतियोगी छात्रों को किसी परीक्षा में सफलता मिलने के आसार हैं।
कन्या राशि बुध ग्रह का उदित होना कन्या राशि के जातकों को लाभकारी सिद्ध हो सकता है। क्योंकि बुध ग्रह आपकी राशि से चतुर्थ भाव में उदित होने जा रहे हैं। जिसे माता और सुख स्थान माना गया है। इसलिए इस समय आपको सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं कार्यक्षेत्र में आपके प्रभाव में वृद्धि होगी। बुध की चाल बदलने से माता के साथ आपके संबंध मधुर रहेंगे और उनका पूरा सहयोग भी मिलेगा। साथ ही इस समय आप कोई वाहन और प्रापर्टी खरीदने का मन भी बना सकते हैं। वहीं जो लोग जमीन- जायदाद और रियल स्टेट से जुड़ा बिजनेस करते हैं, उनके लिए समय शानदार साबित हो सकता है।
वृश्चिक राशि बुध ग्रह का उदित होना वृश्चिक राशि के लोगों को लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। क्योंकि बुध ग्रह आपकी गोचर कुंडली के धन स्थान में होने जा रहा है। इसलिए इस समय आपको व्यापार में धन की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े जातकों को इस अवधि में कई अवसरों की प्राप्ति होगी और लाभ कमाने के भी मार्ग मिल सकते हैं। वहीं जो छात्र विदेश में जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं, उनको लिए यह अवधि सुखद साबित हो सकती है। वहीं इस अवधि में धर्म-कर्म के कार्यों में मन लगेगा और दान-पुण्य पर खर्च भी करेंगे। साथ ही इस समय आपको उधार दिया हुआ धन मिल सकता है।
Mercury Uday : नवग्रहों में बुध ग्रह को अहम स्थान प्राप्त है। इन्हें नवग्रहों का युवराज भी कहा जाता है। इस ग्रह की जिस जातक पर शुभ दृष्टि पड़ती है, उस जातक की किस्मत ही पलट जाती है। मतलब कि वह बेहद ही बुद्धिमान होता है। अभी तक यह ग्रह अस्त चल रहा है, लेकिन कल यानि कि 12 जनवरी को बुध देव उदय होने जा रहे हैं। बुध देव के उदय होने से कई राशि के जातकों की किस्मत भी उदय होने जा रही है। आइए जानते हैं कि वो कौन सी राशि है, जिनके जातकों को बुध के उदय का लाभ मिलने वाला है।
सिंह राशि आप लोगों के लिए बुध ग्रह का उदय होना शुभ फलदायी साबित हो सकता है। क्योंकि बुध ग्रह आपकी राशि से पंचम भाव में उदित होने जा रहे हैं। जिसे संतान, उच्च शिक्षा और प्रेम- संबंध का स्थान माना जाता है। इसलिए इस समय आपको संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है। वहीं इस समय आपको काम- कारोबार के सिलसिले से विदेश जाने का मौका भी मिल सकता है। वहीं इस समय आपको प्रेम- संबंधों में सफलता मिल सकती है। वहीं इस समय प्रतियोगी छात्रों को किसी परीक्षा में सफलता मिलने के आसार हैं।
कन्या राशि बुध ग्रह का उदित होना कन्या राशि के जातकों को लाभकारी सिद्ध हो सकता है। क्योंकि बुध ग्रह आपकी राशि से चतुर्थ भाव में उदित होने जा रहे हैं। जिसे माता और सुख स्थान माना गया है। इसलिए इस समय आपको सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं कार्यक्षेत्र में आपके प्रभाव में वृद्धि होगी। बुध की चाल बदलने से माता के साथ आपके संबंध मधुर रहेंगे और उनका पूरा सहयोग भी मिलेगा। साथ ही इस समय आप कोई वाहन और प्रापर्टी खरीदने का मन भी बना सकते हैं। वहीं जो लोग जमीन- जायदाद और रियल स्टेट से जुड़ा बिजनेस करते हैं, उनके लिए समय शानदार साबित हो सकता है।
वृश्चिक राशि बुध ग्रह का उदित होना वृश्चिक राशि के लोगों को लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। क्योंकि बुध ग्रह आपकी गोचर कुंडली के धन स्थान में होने जा रहा है। इसलिए इस समय आपको व्यापार में धन की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े जातकों को इस अवधि में कई अवसरों की प्राप्ति होगी और लाभ कमाने के भी मार्ग मिल सकते हैं। वहीं जो छात्र विदेश में जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं, उनको लिए यह अवधि सुखद साबित हो सकती है। वहीं इस अवधि में धर्म-कर्म के कार्यों में मन लगेगा और दान-पुण्य पर खर्च भी करेंगे। साथ ही इस समय आपको उधार दिया हुआ धन मिल सकता है।