Rajya Sabha News : राज्यसभा में टीटी, आरएनटी, आरएएमएल, डीडीयू पर जतायी गयी चिंता, महापुरुषों का पूरा नाम हो इस्तेमाल

Rajya sabha
Rajya Sabha News: Concern expressed on TT, RNT, RAML, DDU in Rajya Sabha, full names of great men should be used
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:01 PM
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Rajya Sabha News :  राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की एक सदस्य ने महापुरुषों के नाम पर रखे गए भवनों, संस्थानों, सड़कों आदि के नामों को संक्षिप्त रूप में बोलने के चलन पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे वह उद्देश्य बाधित हो रहा है जिसके लिए भवनों, संस्थानों, सड़कों आदि के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे गए थे।

Rajya Sabha News :

शून्यकाल में भारतीय जनता पार्टी की कविता पाटीदार ने यह मुद्दा उठाया। कविता ने कहा कि आने वाली पीढ़ी महापुरुषों के कार्यों से प्रेरणा ले, इसके लिए कई भवनों, संस्थानों, सड़कों का नाम महापुरुषों के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन आज नामों को संक्षिप्त रूप में बोलने के चलन के कारण डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल को आरएमएल, देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय को डीएवीवी, रवींद्रनाथ टैगोर मार्ग को आरएनटी मार्ग, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग को डीडीयू मार्ग तथा तात्या टोपे नगर को टीटी नगर कहा जाता है।’’ उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि टैक्सी चालक को अगर जगह का पूर्ण नाम बताया जाए तो वह समझ ही नहीं पाता लेकिन संक्षिप्त नाम बताने पर वह उस जगह पर पहुंचा देता है। उन्होंने महापुरुषों के नाम को पूरा बोलने, पढ़ने और लिखने का अनुरोध किया ताकि इसके उद्देश्य को पूरा किया जा सके और युवा पीढ़ी इनसे प्रेरणा लेकर देश का बेहतर भविष्य बना सके। टीआरएस सदस्य के आर सुरेश रेड्डी ने शून्यकाल में कहा कि 2022-23 के अकादमिक वर्ष के मध्य में सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति बंद किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे इन छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ की बात कहती है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि अन्य पिछड़ा वर्ग भी समाज का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा ‘‘छात्रवृत्ति इस वर्ग के छात्रों को स्कूल लाने में, उन्हें पढ़ने तथा पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित करने में मददगार थी और इसे जारी रखना चाहिए।’’ भाजपा के डॉ सिकंदर कुमार ने हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की पांगी घाटी की सड़कों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 40 बरस पहले वहां सड़कें बनाई गई थीं और आज तक वह वैसी ही हैं। उन्हें न तो पक्का किया गया, न चौड़ा किया गया। उन्होंने कहा कि पांगी घाटी की सड़कों को पक्का और चौडा़ किया जाना चाहिए ताकि वहां के लोगों को आवागमन में दिक्कत न हो। भाजपा के समीर उरांव ने झारखंड में कथित धर्मांतरण को लेकर एक युवक की हत्या करने, उसके शव के टुकड़े टुकड़े किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां बांग्लादेशी घुसपैठिये भी रह रहे हैं। तमिल मनीला कांग्रेस के जी के वासन तथा माकपा सदस्य वी शिवदासन ने भी शून्यकाल के दौरान अपने अपने मुद्दे उठाए।

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Rajya Sabha News :  राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की एक सदस्य ने महापुरुषों के नाम पर रखे गए भवनों, संस्थानों, सड़कों आदि के नामों को संक्षिप्त रूप में बोलने के चलन पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे वह उद्देश्य बाधित हो रहा है जिसके लिए भवनों, संस्थानों, सड़कों आदि के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे गए थे।

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शून्यकाल में भारतीय जनता पार्टी की कविता पाटीदार ने यह मुद्दा उठाया। कविता ने कहा कि आने वाली पीढ़ी महापुरुषों के कार्यों से प्रेरणा ले, इसके लिए कई भवनों, संस्थानों, सड़कों का नाम महापुरुषों के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन आज नामों को संक्षिप्त रूप में बोलने के चलन के कारण डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल को आरएमएल, देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय को डीएवीवी, रवींद्रनाथ टैगोर मार्ग को आरएनटी मार्ग, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग को डीडीयू मार्ग तथा तात्या टोपे नगर को टीटी नगर कहा जाता है।’’ उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि टैक्सी चालक को अगर जगह का पूर्ण नाम बताया जाए तो वह समझ ही नहीं पाता लेकिन संक्षिप्त नाम बताने पर वह उस जगह पर पहुंचा देता है। उन्होंने महापुरुषों के नाम को पूरा बोलने, पढ़ने और लिखने का अनुरोध किया ताकि इसके उद्देश्य को पूरा किया जा सके और युवा पीढ़ी इनसे प्रेरणा लेकर देश का बेहतर भविष्य बना सके। टीआरएस सदस्य के आर सुरेश रेड्डी ने शून्यकाल में कहा कि 2022-23 के अकादमिक वर्ष के मध्य में सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति बंद किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे इन छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ की बात कहती है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि अन्य पिछड़ा वर्ग भी समाज का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा ‘‘छात्रवृत्ति इस वर्ग के छात्रों को स्कूल लाने में, उन्हें पढ़ने तथा पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित करने में मददगार थी और इसे जारी रखना चाहिए।’’ भाजपा के डॉ सिकंदर कुमार ने हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की पांगी घाटी की सड़कों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 40 बरस पहले वहां सड़कें बनाई गई थीं और आज तक वह वैसी ही हैं। उन्हें न तो पक्का किया गया, न चौड़ा किया गया। उन्होंने कहा कि पांगी घाटी की सड़कों को पक्का और चौडा़ किया जाना चाहिए ताकि वहां के लोगों को आवागमन में दिक्कत न हो। भाजपा के समीर उरांव ने झारखंड में कथित धर्मांतरण को लेकर एक युवक की हत्या करने, उसके शव के टुकड़े टुकड़े किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां बांग्लादेशी घुसपैठिये भी रह रहे हैं। तमिल मनीला कांग्रेस के जी के वासन तथा माकपा सदस्य वी शिवदासन ने भी शून्यकाल के दौरान अपने अपने मुद्दे उठाए।

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Delhi High Court : सिखों को विमान में ‘कृपाण’ ले जाने की अनुमति के खिलाफ जनहित याचिका खारिज

Delhi high court 1 final
Delhi High Court: PIL against allowing Sikhs to carry 'Kripan' dismissed
locationभारत
userचेतना मंच
calendar22 Dec 2022 06:33 PM
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Delhi High Court :  दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिखों को भारत में यात्री उड़ानों में सफर के दौरान ‘कृपाण’ साथ रखने की अनुमति के खिलाफ दायर जनहित याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “याचिका खारिज की जाती है।”

Delhi High Court :

अदालत ने हर्ष विभोर सिंघल की याचिका पर यह फैसला सुनाया, जिन्होंने दावा किया था कि उड़ान में कृपाण ले जाने की अनुमति देने के मुद्दे पर ‘विचार-विमर्श’ के लिए हितधारकों की एक समिति गठित की जानी चाहिए। सिंघल ने केंद्र सरकार द्वारा चार मार्च 2022 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि सिख यात्रियों को भारत में सभी घरेलू मार्गों पर संचालित होने वाली यात्री उड़ानों में अपने साथ कृपाण ले जाने की विशिष्ट नियामक मंजूरी होगी। इसमें कहा गया था कि यात्रियों द्वारा ले जाई जा रही कृपाण के ब्लेड की लंबाई छह इंच और कृपाण की कुल लंबाई नौ इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। पीठ ने इससे पहले मौखिक रूप से कहा था कि यह भारत सरकार की नीति है और अदालत इसमें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकती, जब तक कि यह मनमाना न हो। इस पर याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि वह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत किसी धर्म को मानने और उसका पालन करने के अधिकार पर ‘सवाल नहीं उठा रहा है’, बल्कि वह केवल इस मुद्दे पर गौर फरमाने के लिए हितधारकों की एक समिति का गठन चाहता है।