Death Risk- सावधान! अगर इतनी देर तक एक पैर पर नहीं हो सकते खड़े, तो मंडरा रहा है मौत का खतरा

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calendar30 Nov 2025 01:16 AM
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Death Risk- लंबी एवं निरोग ज़िंदगी के लिए व्यक्ति के शरीर का फिट एवं एक्टिव रहना अत्यंत आवश्यक है। हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक खानपान के साथ योग एवं व्यायाम की भी सलाह दी जाती है। व्यक्ति की लंबी आयु के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है। हाल ही में एक ऐसे शोध का परिणाम सामने आया है, जो किसी व्यक्ति के जिंदगी के बारे में भविष्यवाणी कर सकता है। दरअसल ब्राजील में हुए एक शोध के मुताबिक मध्यम आयु वर्ग के लोग, जो कम से कम 10 सेकंड के लिए एक पैर पर बैलेंस नहीं बना पाते हैं, उनके 10 सालों के भीतर मरने का खतरा (Death Risk) दोगुना बढ़ जाता है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में इस बात का जिक्र किया गया है। यहां के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग अगर एक पैर पर 10 सेकंड से ज्यादा खड़े नहीं हो पाते हैं, तो अगले 10 साल में उनकी मरने की संभावना (Death Risk) दोगुनी हो जाती।

10 सालों के अध्ययन के बाद पहुंचे हैं इस परिणाम पर -

ब्राजील (Brazil) के वैज्ञानिकों द्वारा इस तथ्य पर 10 सालों तक रिसर्च किया गया है। 10 सालों तक लगातार बैलेंस टेस्ट किए गए और जानने का प्रयास किया गया कि 10 सेकंड तक एक पैर पर खड़े होने के संतुलन के आधार पर, क्या लोगों के जीवन के दिनों के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। इस रिसर्च को करने के लिए 1700 लोगों पर इसका प्रयोग किया गया। 2009 से 2022 तक उनका रूटीन हेल्थ चेकअप किया गया। जिन लोगों पर यह टेस्ट किया गया उनकी उम्र 51 से 75 साल के बीच थी। इसमें 68% लोग पुरुष थे। जब इनकी औसत आयु निकाली गई तो वह 61 वर्ष निकली।

17 सौ लोगों पर किए गए परीक्षण की जो रिपोर्ट सामने आई है वह कुछ इस प्रकार है -

इस परीक्षण में 51 से 55 उम्र के 5% लोग टेस्ट को पास नहीं कर पाए। 56 से 60 साल की उम्र में 8% लोग इस टेस्ट को तो को पास नहीं कर पाए। 61 से 65 साल के लोगों में 18% लोग टेस्ट पास करने में सफल नहीं हुए। 66 से 70 साल कि लोगों में से 30% लोग बैलेंस टेस्ट में फेल हो गए, व 71 से 75 साल के लोगों में 54% लोग टेस्ट को पास नहीं कर पाए। शोधकर्ताओं ने 10 साल की अवधि में यह पाया कि बैलेंस टेस्ट में असफल रहने वाले 17.5% लोगों की मौत अगले 10 साल के अंदर हो गई, जबकि बैलेंस टेस्ट पास करने वाले लोगों में से 4.6% लोगों की ही मौत अगले 10 सालों में हुई। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने बैलेंस टेस्ट में फेल होने वाले लोगों का बीमारियों से भी गहरा कनेक्शन पाया। जो लोग बैलेंस टेस्ट में फेल हुए थे, उनमें मोटापा, हाइपरटेंशन, डिस्लिपिडेमिया, और कोरोनरी आर्टरी जैसी बीमारियां थी।
Health: चित्त एकाग्र और प्रसन्न रहता है ‘सेम की फली’ खाने से!

कैसे करें बैलेंस टेस्ट -

बैलेंस टेस्ट करने के लिए आपको किसी लैब या टेक्निकल जांच की आवश्यकता नहीं है। घर पर बहुत ही आसानी पूर्वक एक टेस्ट किया जा सकता। 1. इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले आप अपने दाएं अथवा बांए, किसी भी एक पैर पर एक 10 सेकंड के लिए खड़े हो जाएं। 2. ऊपर किए गए पैर को, जमीन पर रखे पैर के पीछे रखे। इस दौरान हाथ दोनों हाथों को साइड में रखें। नजरों के सामने रखें, व दूर तक देखने का प्रयास करें  
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corona virus यूपी में कोरोना की वापसी, 4 की हुई मौत, लगातार मिल रहे नए केस

Corona
Corona Virus 2023
locationभारत
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calendar23 Jun 2022 04:07 PM
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corona virus दिल्ली एनसीआर के बाद अब कोरोना की उत्तर प्रदेश में भी वापसी हो गई है। यूपी में पिछले 24 घंटे के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई है। पिछले एक पखवाड़े में कोरोना से मरने वालों की संख्या 12 हो गई है। इनमें गौतमबुद्धनगर, चंदौली, मुरादाबाद और हमीरपुर शामिल है। ये आंकड़े इसलिए भी चिंताजनक हैं।

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उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यूपी में 682 संक्रमित सामने आए हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। 24 घंटे की जांच में 191 नए मरीज मिले हैं, जबकि मंगलवार को 132 लोगों में वायरस की पुष्टि हुई थी।

लखनऊ में कोरोना के कारण हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। 744 एक्टिव केस हैं। अहम बात यह है कि इनमें करीब 60 प्रतिशत मरीज बिना लक्षण वाले हैं। 40 प्रतिशत मरीज सर्दी-जुकाम और बुखार के हल्के लक्षण वाले हैं। इस बीच लोहिया संस्थान में 18 संक्रमितों को भर्ती किया गया है।

लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने लोगों से एहतियात बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वायरस से बचाव के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन और मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए।

उधर, KGMU के सेंटर ऑफ एडवांस रिसर्च के प्रभारी डॉ. एके त्रिपाठी ने बताते हैं कि कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी में कमी होने के कारण संक्रमण में तेजी आई है। इस बीच सभी ने लापरवाही बरतना भी शुरू कर दिया था। इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। वह कहते हैं कि अब समय आ गया है कि वापस से मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करना होगा। यदि ऐसा नहीं होगा तो संक्रमण की रफ्तार में और तेजी आएगी।

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Health: चित्त एकाग्र और प्रसन्न रहता है 'सेम की फली' खाने से!

Sem Beans
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calendar01 Dec 2025 09:17 PM
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विनय संकोची Health : सेम (Beans) एक बेल है, जिस पर फलियां लगती हैं और इन फलियों की सब्जी बनाकर खाई जाती है। दुनिया के करीब सभी भागों में उगाई जाने वाली सेम की फलियां स्वादिष्ट और पुष्टिकारक होती हैं। आयुर्वेद में सेम की फली के औषधीय गुणों का उल्लेख है। आयुर्वेद ने सेम की फली को शीतल, मधुर, गरिष्ठ, बलकारी, वातकारक, दीपन, दाह जनक तथा पित्त-कफ का नाश करने वाली बताया है। सेम के बीज में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे पौष्टिक बनाते हैं। सेम की अनेक किस्में होती हैं, लेकिन सबसे अधिक महत्व 'किडनी सेम' (Kidney Beans) को दिया जाता है। सेम की फली में कॉपर(Copper), जिंक (Zinc), आयरन (Iron), मैग्नीशियम (Magnesium), सोडियम (Sodium), मैग्नीज(Manganese), सेलेनियम(Manganese), थायमीन(Thiamine), नियासिन(Niacin), फॉस्फोरस(Phosphorous), कैल्शियम(Calcium) और प्रोटीन (Protein) पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें 43% कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)और 100% प्रोटीन(Protein) होता है। लैबलैब परपूरियस वानस्पतिक नाम वाली सेम को अंग्रेजी में फ्लैट बीन, संस्कृत में निष्पाव, वल्लक व श्वेत शिवंबिका, हिंदी में सेम, गुजराती में ओलीया, तमिल में मोचै, तेलुगु में अनुमुलु, बंगला में मखानसिम, मराठी में पाओटे और मलयालम में अमारा कहते हैं। आइए जानते हैं हरी सेम लता की फलियों के गुण व उपयोग के बारे में- • शरीर में कॉपर की कमी होने से थकान, एकाग्रता में कमी, खराब मनोदशा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। सेम की फली के सेवन से शरीर में तांबे की कमी को दूर कर चुस्त-दुरुस्त, एकाग्र चित्त और प्रसन्न रहा जा सकता है। • सेम की फली दिल को स्वस्थ रखने में सहायता करती है। सेम की फली में मौजूद विटामिन बी1 एक न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करता है, जो तंत्रिकाओं से मांसपेशियों तक संदेश भेजने में सहायक है। दिल इन संदेशों-संकेतों पर निर्भर रहता है। सेम की फली के सेवन से हृदय को स्पष्ट संकेत मिलते हैं, जिससे उसे मजबूती मिलती है। • कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर सेम की फली के सेवन से दांतों की कठोर संरचना बनाने में सहायता मिल सकती है। इसमें मौजूद विटामिन-डी मसूड़ों की सूजन को कम करने में मददगार है। • सेम की फली के सेवन से मांसपेशियों की ऐंठन-अकड़न को कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम क्षतिग्रस्त मांसपेशियों की मरम्मत करने के साथ ही उर्जा भी प्रदान करता है। • सेम की फली में पाया जाने वाला अमीनो एसिड हार्मोन को संतुलित कर चिंता का उपचार करने में सहायता करता है। सेम की फली के सेवन से शांत रहने में मदद मिल सकती है। • आयरन की कमी से शरीर में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। आयरन की कमी से शरीर में रक्त की अल्पता भी हो सकती है। सेम की फली के सेवन से आयरन की कमी को पूरा करने में सहायता मिल सकती है। • सेम की फली के सेवन से अनिद्रा की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। सेम की फली में मौजूद मैग्नीशियम अनिद्रा के लक्षण को कम कर सकता है। • सेम की फली के सेवन से अपच, कब्ज और सूजन रोकने में मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता है। • सेम की फली में मौजूद सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक फेफड़ों को विकारों से दूर रखने में सहायता करते हैं। • सेम की फली के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे बार-बार होने वाले रोगों के हमलों से बचा जा सकता है। • सेम के बीजों का काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर काढ़े में 1 ग्राम सोंठ मिलाकर पीने से बुखार लाभ होता है। • सेम की फली के सेवन से श्वसन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।  जरूरी बात : सेम की फली का सेवन खूब अच्छी तरह पकाए बिना नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सेम का अधिक सेवन हानिकारक होता है। सेम पचने में भारी होती है, अतः इसका जरूरत से ज्यादा सेवन उचित नहीं है।  विशेष : यहां सेम की फली के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के सेम की फली को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य चिकित्सक/आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ से परामर्श अत्यंत आवश्यक है।