भारत की बेटी जाह्नवी डांगेती भरेंगी अंतरिक्ष की उड़ान, दुनिया देखेगी भारतीय जज्बा

Jahnavi Dangeti
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locationभारत
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calendar30 Nov 2025 11:29 PM
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Jahnavi Dangeti : भारत की 23 साल की युवा वैज्ञानिक जाह्नवी डांगेती आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने वाली हैं। आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के पलाकोल्लू शहर से ताल्लुक रखने वाली जाह्नवी को अमेरिका की प्राइवेट स्पेस एजेंसी टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज (Titan Space Industries - TSI) के 2029 मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुना गया है।

“मैं अंतरिक्ष में जा रही हूं…”

सोशल मीडिया पर जाह्नवी ने लिखा, "मैं अंतरिक्ष में जा रही हूं… यह बताते हुए बेहद गर्व और खुशी हो रही है कि मुझे 2025 की टाइटन स्पेस की उद्घाटन क्लास के लिए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में आधिकारिक रूप से चुना गया है।" 2026 से शुरू होकर, जाह्नवी अगले तीन सालों तक कठोर ट्रेनिंग लेंगी जिसमें उड़ान सिमुलेशन, अंतरिक्ष यान संचालन, मेडिकल और मानसिक फिटनेस से जुड़ी ट्रेनिंग शामिल होगी।

कितनी लंबी होगी उड़ान?

जाह्नवी ने जानकारी दी कि, 2029 में होने वाली ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट लगभग 5 घंटे की होगी। इस उड़ान का उद्देश्य वैज्ञानिक शोध और मानव अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में नई दिशा देना है। इस मिशन का नेतृत्व नासा के अनुभवी रिटायर्ड अंतरिक्ष यात्री कर्नल विलियम मैक आर्थर जूनियर करेंगे।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई

इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने जाह्नवी को बधाई दी और कहा, "आपकी इस उपलब्धि ने न सिर्फ आंध्र प्रदेश को, बल्कि पूरे भारत को गर्व महसूस कराया है।" बता दें कि, जाह्नवी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले से की। इसके बाद उन्होंने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU), पंजाब से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। उनके माता-पिता वर्तमान में कुवैत में रहते हैं।

जाह्नवी का सफर यहीं नहीं रुका

वर्ष 2022 में उन्होंने पोलैंड के एनालॉग एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (AATC) से प्रशिक्षण लिया और सबसे कम उम्र की विदेशी एनालॉग अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव प्राप्त किया। साथ ही वह भारत की पहली महिला हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। जाह्नवी ने नासा के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लिया और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कोलैबोरेशन (IASC) जैसे अंतरराष्ट्रीय शोध अभियानों में भी अहम भूमिका निभाई।

पुरस्कार और सम्मान

  • NASA Space Apps Challenge में People's Choice Award
  • ISRO द्वारा आयोजित विश्व अंतरिक्ष सप्ताह में Young Achiever Award

चीन का स्टील्थ वार: पाकिस्तान के जरिए भारत को घेरने की साजिश?

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चीन का स्टील्थ वार: पाकिस्तान के जरिए भारत को घेरने की साजिश?

J 35A Stealth Fighter
J-35A Stealth Fighter
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Jun 2025 03:01 PM
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J-35A Stealth Fighter : चीन ने अपनी अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी की स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट J-35A को वैश्विक बाजार में बेचने की तैयारी शुरू कर दी है। इसकी सबसे पहली डील पाकिस्तान से होने की खबर है जो भारत की सुरक्षा चिंताओं को और भी गहरा बना रही है। इस जेट की क्षमताएं और पाकिस्तान को इसकी संभावित आपूर्ति, भारत के लिए एक गंभीर सैन्य और रणनीतिक चुनौती बन सकती हैं।

J-35A: क्या है ये स्टील्थ फाइटर जेट?

J-35A को चीन की शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन ने विकसित किया है। यह पहले FC-31 प्रोटोटाइप पर आधारित है, जिसे खास तौर पर निर्यात के लिए डिजाइन किया गया था। J-35 के दो वैरिएंट हैं:
  • J-35A: जमीन से ऑपरेट होने वाला मॉडल, जो वायुसेना के लिए है।
  • J-35: विमानवाहक पोतों से उड़ान भरने वाला नौसेना संस्करण।

इसकी प्रमुख खूबियां

  • स्टील्थ डिजाइन: रडार से बचने के लिए खास इनलेट डिजाइन और आंतरिक हथियार ले जाने की व्यवस्था।
  • आधुनिक एवियोनिक्स: AESA रडार, IRST सेंसर और उन्नत डेटा फ्यूजन तकनीक।
  • हथियार क्षमता: 8,000 किलो तक हथियार, जिसमें 400 किमी रेंज वाली PL-17 मिसाइल भी शामिल है।
  • इंजन: WS-13E या WS-19 इंजन, जो सुपरसोनिक उड़ान बिना आफ्टरबर्नर के (सुपरक्रूज) देने में सक्षम हैं।

चीन की बिक्री रणनीति और पाकिस्तान का रोल

नवंबर 2024 के ज़ुहाई एयरशो में J-35A को पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाया गया। इसके बाद चीन ने इसे वैश्विक हथियार बाजार में उतारने की योजना बनाई है।
  • पाकिस्तान: पहला संभावित खरीदार। 40 J-35A जेट्स की डील लगभग तय है। डिलीवरी अगस्त 2025 से शुरू हो सकती है और पाकिस्तानी पायलट पहले ही प्रशिक्षण ले रहे हैं।
  • अन्य ग्राहक: मिस्र, मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
  • कम कीमत, ज्यादा आकर्षण: F-35 जैसे पश्चिमी स्टील्थ जेट्स की तुलना में J-35A की कीमत काफी कम होगी, जिससे विकासशील देश इसकी ओर आकर्षित हो सकते हैं।
  • चीन की रणनीति: पाकिस्तान के जरिए इस जेट को “युद्ध-प्रमाणित” साबित कर दूसरे देशों को लुभाना।

भारत के लिए क्यों है ये खतरा?

  1. पांचवीं पीढ़ी का अंतर

भारत के पास फिलहाल कोई पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट नहीं है। AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) परियोजना अभी विकास के चरण में है और इसका पहला फुल ऑपरेशनल मॉडल 2035 से पहले आने की संभावना नहीं है।
  1. पाकिस्तान की बढ़ती ताकत

JF-17 और F-16 जैसे पुराने जेट्स की तुलना में J-35A कहीं अधिक उन्नत है। इसकी स्टील्थ और लंबी दूरी की मिसाइलें भारतीय एयर डिफेंस, यहां तक कि S-400 सिस्टम को भी चुनौती दे सकती हैं।
  1. चीन-पाकिस्तान का गठजोड़

J-35A की आपूर्ति से चीन-पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी और गहरी होगी। भविष्य में चीन के J-20 और पाकिस्तान के J-35A साथ में ऑपरेट कर सकते हैं, जिससे भारत को दो मोर्चों पर दबाव झेलना पड़ेगा।
  1. हवाई संतुलन का बिगड़ना

IAF के पास सिर्फ 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि ज़रूरत 42 की है। अगर पाकिस्तान J-35A से लैस होता है, तो वह भारत के अंदर तक हमले और हवाई नाकेबंदी की क्षमता हासिल कर सकता है।
  1. क्षेत्रीय असर

अगर मिस्र और अन्य देश भी J-35A खरीदते हैं, तो चीन हथियार बाजार में और मज़बूत हो जाएगा। इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है।

भारत की मौजूदा चुनौतियां

  • AMCA में देरी: अभी डिजाइन और टेस्टिंग चरण में है। प्रोटोटाइप 2028-29 तक और फुल स्केल तैनाती 2035 तक संभव।
  • रडार और मिसाइल चुनौती: J-35A की स्टील्थ तकनीक और PL-17 जैसी मिसाइलें भारत की मौजूदा रडार पकड़ और एयर डिफेंस को मात दे सकती हैं।
  • तकनीकी निर्भरता: भारत को इंजन और अत्याधुनिक सेंसर में अभी विदेशी मदद की जरूरत है।

भारत की संभावित रणनीति

तत्काल कदम

  • मौजूदा जेट्स का उन्नयन: राफेल और Su-30MKI को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और मेटियोर जैसी मिसाइलों से लैस करना।
  • Su-57 जैसे विकल्पों पर विचार: रूस के Su-57 को अस्थायी समाधान के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह राजनीतिक और तकनीकी रूप से जटिल फैसला होगा।
  • रडार नेटवर्क को मजबूत बनाना: ओवर-द-होराइज़न रडार और इंटीग्रेटेड डेटा नेटवर्क पर निवेश बढ़ाना।

दीर्घकालिक रणनीति

  • AMCA कार्यक्रम को तेज करना: निजी कंपनियों और वैश्विक साझेदारों को जोड़कर इसे मिशन मोड में लाना।
  • स्वदेशी तकनीक में आत्मनिर्भरता: इंजन, रडार, एवियोनिक्स और स्टील्थ टेक्नोलॉजी में भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा।
  • IAF की स्क्वाड्रन संख्या बढ़ाना: तेजी से नए विमानों की खरीद और उत्पादन जरूरी है।

कूटनीतिक मोर्चा

  • अमेरिका, फ्रांस और इज़राइल जैसे रक्षा साझेदारों से तकनीकी सहयोग बढ़ाना।
  • क्षेत्रीय गठबंधन मजबूत करना ताकि चीन की सैन्य बिक्री और प्रभाव को संतुलित किया जा सके।

कतर की कूटनीति का कमाल, एक कॉल में थम गई ईरान इज़रायल के बीच जंग

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कतर की कूटनीति का कमाल, एक कॉल में थम गई ईरान इज़रायल के बीच जंग

Israel Iran War 28
Israel Iran War
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:44 AM
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Israel Iran War :  ईरान और इज़रायल के बीच 12 दिनों तक चले खूनी संघर्ष के बाद अचानक शांति की घोषणा हुई। इस अप्रत्याशित विराम के पीछे जिसने सबसे अहम भूमिका निभाई, वह था एक छोटा-सा खाड़ी देश — कतर। धनी, शांत और कूटनीति में माहिर कतर ने एक बार फिर अपनी 'सॉफ्ट पावर' का उपयोग कर वैश्विक मंच पर अपनी विश्वसनीयता का लोहा मनवाया है। जब दुनिया के तमाम बड़े राष्ट्र इस संकट को सुलझाने में चुप्पी साधे थे, तब कतर ने फिर से 'डिप्लोमैटिक फायरफाइटर' की भूमिका निभाई।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले इज़रायल को संघर्ष विराम के लिए मनाया और फिर कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से संपर्क कर ईरान पर दबाव बनाने को कहा। इसके बाद महज़ एक कॉल में शेख ने तेहरान को सीजफायर के लिए मना लिया।

क्यों कतर बनता जा रहा है भरोसेमंद चेहरा?

1. अमेरिका-तालिबान समझौता: दोहा की ऐतिहासिक मेज़बानी

2001 के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध शुरू किया, तब दो दशक तक युद्ध चलता रहा। लेकिन जब अमेरिका को बाहर निकलने का रास्ता चाहिए था, तब कतर ने दोहा में तालिबान को राजनीतिक दफ्तर खोलने की अनुमति दी। यहीं बैठकर महीनों तक बातचीत चली और 29 फरवरी 2020 को अमेरिका-तालिबान शांति समझौता हुआ।

2. रूस-यूक्रेन युद्ध में बच्चों की रिहाई

2023 में रूस और यूक्रेन के बीच चले युद्ध के दौरान जब कोई भी तीसरा पक्ष हस्तक्षेप करने को तैयार नहीं था, तब कतर की मध्यस्थता से बंदी बनाए गए 15 से अधिक बच्चों को रिहा कराया गया। यही नहीं, इन बच्चों को सुरक्षा और देखभाल भी कतर ने ही मुहैया कराई।

3. हमास-इज़रायल संघर्ष: कई बार बनी 'बातचीत की पुल'

कतर के लिए इज़रायल और हमास दोनों ही दरवाज़े खुले हैं। 2023 में जब हमास ने 250 से अधिक लोगों को बंधक बनाया, तो कतर ने कुछ बंदियों की रिहाई सुनिश्चित कराई। इससे पहले भी 2011 में गिलाद शालित की रिहाई में कतर ने इज़रायल और हमास के बीच समझौता कराने में मदद की थी।

4. 2008 लेबनान संकट: गृहयुद्ध खत्म कराने वाला 'दोहा समझौता'

जब हिज़्बुल्ला और लेबनानी सरकार के बीच गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए थे, तब कतर ने दोहा समझौते के ज़रिए शांति स्थापित की थी। यह इस बात का प्रमाण था कि कतर सिर्फ अरब देशों में ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व में 'संतुलनकारी' भूमिका निभा सकता है।

कतर पर भरोसा क्यों करता है विश्व समुदाय?

तटस्थता और संतुलन का उदाहरण

कतर की सबसे बड़ी ताकत है उसका तटस्थ रुख। उसने शिया और सुन्नी दोनों गुटों से संतुलित संबंध बनाए हैं। साथ ही, अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों और ईरान जैसे पश्चिम-विरोधी राष्ट्रों से भी संवाद की खुली खिड़की रखी है।

सॉफ्ट पावर और रणनीतिक निवेश

कतर की आर्थिक शक्ति—तेल और गैस भंडार—उसे दुनिया की सबसे अमीर अर्थव्यवस्थाओं में शुमार करती है। वह जिस देश में मध्यस्थता करता है, वहाँ अक्सर उसके भारी-भरकम निवेश भी होते हैं। यही निवेश उसकी कूटनीति को प्रभावशाली बनाते हैं।

राजनयिक प्रभाव का प्रसार

कतर ने उन पक्षों से भी रिश्ते बनाए हैं जिनसे अन्य देश कतराते हैं। तालिबान, ईरान, हमास—सभी से उसके सक्रिय संपर्क हैं। यही संपर्क कतर को बातचीत का मंच उपलब्ध कराते हैं, जहाँ अन्य देश केवल बाहरी दर्शक रह जाते हैं।  Israel Iran War

क्या थम गया ईरान का एटमी संकट ? जंग में इजरायल-अमेरिका ने क्या खोया ?

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