Chaitra Navratri : हर इंसान में होता है एक कलाकार नवरात्रि में देखें

अंजना भागी
या देवी सर्वभूतेषु, गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ Chaitra Navratri : नवरात्रि के आठवें दिन, शक्ति स्वरूपा महागौरी (Mahagauri) का दिन होता है। सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण ही दुर्गा माँ के इस आठवें स्वरूप को महागौरी (Mahagauri) कहा जाता है। महागौरी (Mahagauri) की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दिल से मांगे तथा कर्म करें तो हर मनोकामना भी पूर्ण होती है।
[video width="320" height="176" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2023/03/VID-20230329-WA0489.mp4"][/video]हजारों किलोमीटर दूर बैठे, इंसान को तो आज हम देख और सुन सकते हैी। पर कहीं पतन भी इतना हुआ है कि पास बैठे इंसान की तकलीफ और दर्द भी हमें दिखाई नही देता है। पड़ोस में ही अंदर पड़े-पड़े कोई बीमार है यहाँ तक की मर भी जाता है और बराबर रहने वालों को पता तक नहीं चलता। इसलिए दिये को जलाने में और वक्त न लगाइएी। कौन -2 हमें पसंद नहीं करता है। कौन हमें नीचा दिखाने की फिराक में रहता है। इनमें व्यर्थ समय न गंवाकर। ऊंचा उठाने में वक्त लगाइए। आपके रहने के स्थान के आस-पास कोई भी धार्मिक अनुष्ठान होता है या कोई हादसा या मृत्यु हो जाती है। आप उसमें जरूर शामिल हों। ये ऐसे अनुष्ठान हैं जिनमें आप बिना बुलाये भी शामिल हो सकते हैं। आपको फिर पता भी नहीं चलेगा कि आप कब उस समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गये। जहां आप अकेले थे वहीं वक्त पडऩे पर 10 लोग आपका हाल-चाल भी जरुर पूछेंगे।
Chaitra Navratri :
जीवन की वास्तविकता कभी नहीं बदल सकती क्योंकि समय सभी को वहाँ ले जाता है। जहाँ हम जाने वाले होते हैं। आज के समय में हमारी संतानें जहां उनको रोजगार मिले वहाँ जाने को मज़बूर हैं। हम जहाँ घर संसार जीते आए हैं उनको छोड़ कहाँ-कहाँ जाएँ? हर किसी का अपना प्रारब्ध है। सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत के युद्ध में यदि पहले सेनापति हो जाते। तो शायद महाभारत के युद्ध की सूरत ही कुछ और होती। पर क्योंकि कर्ण, दिल से जानते थे कि वे पांडवों के ज्येष्ठ भाई हैं। कर्ण माता से भी वचनबद्ध थे कि वे पांचों भाइयों में से किसी का अनिष्ट नहीं करेंगे। मां कुंती के पांचों पांडव सलामत रहेंगे। कर्ण ये भी जानते थे की पांडव धर्म के साथ हैं।
Chaitra Navratri :
लेकिन यह भी सत्य है कि इतना भी आसान नहीं होता है, कि अपनों के रहते बात-बात में जीवन को गतिमान रखने के लिए रिश्ते बनाते जाना। इतना ही नहीं फिर उन्हें निभाना, क्योंकि ऐसी समझ रखने वाले भी पूरी जिन्दगी एक मुक्कमल रिश्ते के लिये कहीं न कहीं तरसते ही रह जाते हैं और अंत में कर्ण ने भी वही किया। उनको सम्मान देने वाले रिश्तों को सम्पूर्ण निभाया लेकिन अंत में जब कुंती उनका सर गोद में ले तड़प-तड़प कर रोती हैं। उनके पांचों वीर भाई भी नतमस्तक हो अपने वीर ज्येष्ठ द्वारा उनको बार-बार जीवित छोड़ देने को याद करते हैं। तब कर्ण भी मुकम्मल रिश्ते को प्राप्त करते हैं। कहते हैं न जीवन की वास्तविकता कभी नहीं बदल सकती। क्योंकि समय हमें वहीं ले जाता है जहाँ हम जाने वाले होते हैं। अत: यदि हम अपनों से दूर हैं। या अपने अपनी उड़ान में दूर चले गये हैं तो-‘जरा आ शरण मेरे राम की, मेरा राम करुणा निधान है ।’
जरूरी नहीं कि हर कोई हमें पसंद करे, नकारात्मक सोच वाले इंसान के बारे में ज्यादा सोचने की आवश्यकता ही नहीं है। कभी-कभी ऐसा कहने वालों में हमारी अपनी संतान ही सबसे आगे होती है कि आपने हमारे लिए किया ही क्या है? वाणी से ही विष बहता है, वाणी से ही मधुर रस बहता है। इसलिए, इस विष को आप अनदेखा करें और ‘लाल-लाल चुनरी किनारी वाली’ आपके पड़ोस में रहने वालों से प्रेम करें। सामाजिक उत्सवों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। नवरात्रि के नौ दिन हर रोज कीर्तन या उत्सव इनमें बढ़- चढ़ कर हिस्सा लें। आप भी गाएं, नाचें आनंद लें। आप देखेंगे कि आपका पड़ोस ही आपका परिवार है और ये ही जीवन का सार भी है। बस जिंदगी को ऐसे जियो कि भगवान को चाहने वाले हमें पसंद करें हम उनको।
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अंजना भागी
या देवी सर्वभूतेषु, गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ Chaitra Navratri : नवरात्रि के आठवें दिन, शक्ति स्वरूपा महागौरी (Mahagauri) का दिन होता है। सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण ही दुर्गा माँ के इस आठवें स्वरूप को महागौरी (Mahagauri) कहा जाता है। महागौरी (Mahagauri) की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दिल से मांगे तथा कर्म करें तो हर मनोकामना भी पूर्ण होती है।
[video width="320" height="176" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2023/03/VID-20230329-WA0489.mp4"][/video]हजारों किलोमीटर दूर बैठे, इंसान को तो आज हम देख और सुन सकते हैी। पर कहीं पतन भी इतना हुआ है कि पास बैठे इंसान की तकलीफ और दर्द भी हमें दिखाई नही देता है। पड़ोस में ही अंदर पड़े-पड़े कोई बीमार है यहाँ तक की मर भी जाता है और बराबर रहने वालों को पता तक नहीं चलता। इसलिए दिये को जलाने में और वक्त न लगाइएी। कौन -2 हमें पसंद नहीं करता है। कौन हमें नीचा दिखाने की फिराक में रहता है। इनमें व्यर्थ समय न गंवाकर। ऊंचा उठाने में वक्त लगाइए। आपके रहने के स्थान के आस-पास कोई भी धार्मिक अनुष्ठान होता है या कोई हादसा या मृत्यु हो जाती है। आप उसमें जरूर शामिल हों। ये ऐसे अनुष्ठान हैं जिनमें आप बिना बुलाये भी शामिल हो सकते हैं। आपको फिर पता भी नहीं चलेगा कि आप कब उस समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गये। जहां आप अकेले थे वहीं वक्त पडऩे पर 10 लोग आपका हाल-चाल भी जरुर पूछेंगे।
Chaitra Navratri :
जीवन की वास्तविकता कभी नहीं बदल सकती क्योंकि समय सभी को वहाँ ले जाता है। जहाँ हम जाने वाले होते हैं। आज के समय में हमारी संतानें जहां उनको रोजगार मिले वहाँ जाने को मज़बूर हैं। हम जहाँ घर संसार जीते आए हैं उनको छोड़ कहाँ-कहाँ जाएँ? हर किसी का अपना प्रारब्ध है। सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत के युद्ध में यदि पहले सेनापति हो जाते। तो शायद महाभारत के युद्ध की सूरत ही कुछ और होती। पर क्योंकि कर्ण, दिल से जानते थे कि वे पांडवों के ज्येष्ठ भाई हैं। कर्ण माता से भी वचनबद्ध थे कि वे पांचों भाइयों में से किसी का अनिष्ट नहीं करेंगे। मां कुंती के पांचों पांडव सलामत रहेंगे। कर्ण ये भी जानते थे की पांडव धर्म के साथ हैं।
Chaitra Navratri :
लेकिन यह भी सत्य है कि इतना भी आसान नहीं होता है, कि अपनों के रहते बात-बात में जीवन को गतिमान रखने के लिए रिश्ते बनाते जाना। इतना ही नहीं फिर उन्हें निभाना, क्योंकि ऐसी समझ रखने वाले भी पूरी जिन्दगी एक मुक्कमल रिश्ते के लिये कहीं न कहीं तरसते ही रह जाते हैं और अंत में कर्ण ने भी वही किया। उनको सम्मान देने वाले रिश्तों को सम्पूर्ण निभाया लेकिन अंत में जब कुंती उनका सर गोद में ले तड़प-तड़प कर रोती हैं। उनके पांचों वीर भाई भी नतमस्तक हो अपने वीर ज्येष्ठ द्वारा उनको बार-बार जीवित छोड़ देने को याद करते हैं। तब कर्ण भी मुकम्मल रिश्ते को प्राप्त करते हैं। कहते हैं न जीवन की वास्तविकता कभी नहीं बदल सकती। क्योंकि समय हमें वहीं ले जाता है जहाँ हम जाने वाले होते हैं। अत: यदि हम अपनों से दूर हैं। या अपने अपनी उड़ान में दूर चले गये हैं तो-‘जरा आ शरण मेरे राम की, मेरा राम करुणा निधान है ।’
जरूरी नहीं कि हर कोई हमें पसंद करे, नकारात्मक सोच वाले इंसान के बारे में ज्यादा सोचने की आवश्यकता ही नहीं है। कभी-कभी ऐसा कहने वालों में हमारी अपनी संतान ही सबसे आगे होती है कि आपने हमारे लिए किया ही क्या है? वाणी से ही विष बहता है, वाणी से ही मधुर रस बहता है। इसलिए, इस विष को आप अनदेखा करें और ‘लाल-लाल चुनरी किनारी वाली’ आपके पड़ोस में रहने वालों से प्रेम करें। सामाजिक उत्सवों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। नवरात्रि के नौ दिन हर रोज कीर्तन या उत्सव इनमें बढ़- चढ़ कर हिस्सा लें। आप भी गाएं, नाचें आनंद लें। आप देखेंगे कि आपका पड़ोस ही आपका परिवार है और ये ही जीवन का सार भी है। बस जिंदगी को ऐसे जियो कि भगवान को चाहने वाले हमें पसंद करें हम उनको।





Chaitra Navratri 2023: चैत्र मास के इन्हीं नवरात्रि में भगवान राम जी अयोध्या में राजा दशरथ के घर अवतरित हुए थे। भगवान राम का सम्पूर्ण जीवन ही सभी को शिक्षा देता है। भगवान राम का मां सीता से विवाह आगे सीता का हरण और एक सिंगल मां की तरह अपने पुत्र - लव कुश को पालना। यह आज की महिला के लिए एक सशक्त उदाहरण है। भगवान राम के काल में जब एक एक राजा अनेकों राजकुमारियों से पानी ग्रहण करता था। कारण बहुत से होते थे अपने राज्य के विस्तार के लिए राज्य की शक्ति को बनाए रखने के लिए, दूर – दराज तक अपनी पताका फहराने के लिए या जो भी हों। लेकिन भगवान राम ने जब अपनी मां को सौतिया डाह झेलते हुए देखा तो उन्होंने बचपन में ही प्रण कर लिया था। वे जब भी विवाह करेंगे एक ही राजकुमारी से और सारी उम्र मर्यादित जीवन जिएंगे । एक ही पत्नी के स्वामी होकर। जब राजा दशरथ को भगवान राम की इस मंशा का पता चला कि राम अपने राज्य की ताकत स्वय बनेंगे। तब से ही राजा दशरथ ने राम की इस इच्छा का सम्मान करते हुए मन में उनको ही अयोध्या का उत्तराधिकारी बनाना तय भी कर लिया था।
हुआ भी वही सीता से स्वयंबर के बाद मिलन के पहले ही अभिवादन पर जब राम ने सीता से कहा था। अयोध्या में राम का अभिवादन राजकुमारी सीता को स्वीकार हो? तब ही सीता ने कहा था कि आर्य पुत्र आप तो इतने बहादुर राजा हैं। आज मैं अच्छी लगी हूं आप मुझ से विवाह कर मेरे स्वामी हैं । कल मुझसे अच्छी सुंदर राजकुमारी मिलेगी तो आप जरा भी विचार ना करेंगे और मेरे लिए मेरे ही सर पर दूसरी राजकुमारी भी ले आएंगे। तब राम ने अपने मुंह से यह कहा था कि ऐसा कभी भी नहीं होगा। सीते ! मैंने बचपन से ही एक ही विवाह का व्रत धारण किया है। और सारी उम्र उन्होंने इस व्रत को निभाया भी। शायद यही कारण है कि नवरात्रि का एक-एक दिन मर्यादा पुरुषोताम राम तथा माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा – अर्चना करते देश में उत्सव की तरह मनाया जाता है।
Chaitra Navratri 2023: हर शहर, हर मोहल्ले, हर ब्लॉक सेक्टरों में विभिन्न कीर्तन मंडलियां महिलाओं की या पुरुषों की या दोनों की जो भी बनी होती हैं । लगभग 9 ही दिन संकीर्तन भजन नृत्य उत्सव कर भंडारों का आयोजन करती हैं। यह समय बहुत अच्छे समाजवाद को भी बार-बार जन्म देता है। आस पड़ोस के लोग आपस में मिलते जुलते हैं। बैठते हैं । इस उत्सव में महिलाएं अपनी डायरियों से चुन – चुन कर एक से एक भजन गाती हैं। डांस करती हैं बच्चे इन कार्यक्रमों को सफल बनाने में अपने परिवार की भाभियों का माताओं का बहनों का सहयोग करते हैं यूं परिवार से तथा पड़ोस से जुड़ते हैं । इस उत्सव में महिलाएं अपनी डायरियों से चुन – चुन कर एक से एक भजन ढोलक मंजीरे की थाप पर गाती हैं। सास- बहु मिल- जुल कर घर के काम जल्दी 2 निपटाती हैं क्योंकि कीर्तन में जाना होता है। डांस करती हैं महिलाएं नवरात्रि के लिए ही मुख्यता पूरे साल भजनों का संग्रह तैयार करती हैं। उनकी डायरी में जो उनके भजन होते हैं उनके साथ – साथ नए और भजन शामिल करती हैं। और यह भी सच है कि यदि किसी महिला की डायरी खो जाए तो वो बहुत विचलित भी होती हैं। अपने अपने घर से प्रसाद में भी कुछ न कुछ लाती हैं । बच्चों की आपस में दोसतियाँ बढ़ती हैं। भंडारों के लिए सहयोग मांगना। फिर मिलकर बरताना सबको खिलाना। यह दुख, अकेलापन अवसाद को दूर भागा कर ले जाता है। आप सभी को मां कालरात्रि का सातवां नवरात्र बहुत-बहुत मुबारक हो आप कितने भी पढे – लिखे हैं ज्ञानी हैं फिर भी इन सामाजिक उत्सवों के प्रतिभागी अवश्य बनें और अकेले रहने से होने वाले तनाव से भी बचें।
अंजना भागी