आजादी के बाद का सबसे बड़ा बदलाव, आसान भाषा में समझें नया कानून

Noida News 5
CRPC, BNSS, BNS Law
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Jul 2024 08:08 PM
bookmark
BNSS, BNS, BSA Law : भारत की आजादी के बाद देश में सबसे बड़ा बदलाव हुआ है। 77 साल बाद अंग्रेजों की बनाई गई CRPC तथा IPC को बदल दिया गया है। 1 जुलाई से देश में CRPC के स्थान पर BNSS लागू हुआ है। IPC की जगह BNS ने ले ली है। साथ ही नया भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA लागू किया गया है। यहां आसान भाषा में समझाया जा रहा है कि भारत में बना-- व्यवस्था BNSS तथा BSA क्या है। यह पूरे देश के लिए बेहद जरूरी जानकारी है।

क्या है भारतीय कानून में नया बदलाव ?

भारत में आजादी के 77 साल बाद कानून में सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड CRPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू की गई है। इंडियन पीनल कोड (IPC) 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 लागू हई है. इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA 2023 के मुताबिक फैसले लिए जाएंगे। किसी ने कोई क्राइम किया है, तो उसे कैसे गिरफ्तार किया जाएगा? पुलिस कैसे उसे हिरासत में रखेगी? अदालत क्या करेगी? आरोपी के क्या अधिकार होंगे? किसी कैदी के क्या अधिकार होंगे? ये सबकुछ सीआरपीसी से तय होता था। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) से तय होगा। क्राइम के बाद किसी आरोपी के क्राइम को साबित करने के लिए क्या सबूत पेश किए जाएंगे? केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा? ये सबकुछ इंडियन एविडेंस एक्ट में था. अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में होगा। क्राइम के बाद आरोपी को क्या सजा होगी? उसके कौन-कौन से कृत्य को अपराध माना जाएगा? उस अपराध के लिए क्या सजा होगी? ये सबकुछ आईपीसी में था। अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में है।

BNSS, BNS, BSA Law

BNSS यानि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहित

सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) दंड प्रक्रिया संहिता ने 1973 (CRPC) की जगह ली है. सीआरपीसी में गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत जैसी प्रक्रियाओें के लिए हुआ करता था. अब BNSS लाकर इस कानून में और भी कई प्रावधान जोड़ दिए गए हैं। BNSS में कुल 531 धाराएं हैं। इसके 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है. जबकि 14 धाराओं को हटा दिया गया है। 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं। इसमें CrPC की 14 धाराओं को न्यायिक प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी। लेकिन अब 60 या 90 दिन तक की पुलिस रिमांड दी जा सकती है।

BNS यानि भारतीय न्याय संहिता

BNS ने IPC को रिप्लेस किया है. IPC में कुल 511 धाराएं थीं BNS में अब 358 हैं. आईपीसी के तमाम प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में कॉम्पैक्ट कर दिया गया है। आईपीसी के मुकाबले बीएनएस में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराध ऐसे हैं जिसमें जेल का समय बढ़ाया गया है। 82 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ी है. 25 अपराध ऐसे हैं जिनमें न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। छह तरह के अपराध पर कम्युनिटी सर्विस करनी होगी। 19 धाराएं हटाई गई है। बीएनएस के अंदर, जाति, भाषा या पर्सनल बिलीफ के आधार पर अगर कोई लोग समूह बनाकर मर्डर करते हैं तो उन्हें सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है। अपराधिक जिम्मेदारी की आयु सात वर्ष ही रखी गई है। आरोपी की परिपक्वता के आधार पर इसे 12 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। BNS में महिलाओं व बच्चों से जुड़े क्राइम, मर्डर, मेंटल हेल्थ, मेरिटल रेप, संगठित अपराध, चुनावी अपराध की धारा शामिल है।

BSA यानि भारतीय साक्ष्य अधिनियम

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 धाराए हैं, जिसमें 24 को संशोधित किया गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की 167 धाराओं में से छह को निरस्त कर दिया गया है. इसमें 2 नई धाराएं और 6 उप धाराओं को जोड़ा गया है। इसमें गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है. इसमें इलैक्ट्रोनिक सबूत को कोर्ट में मान्यता दी गई है। गौरतलब है कि आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी। कई सारी धाराओं को हटाया गया है, वहीं, कइयों में बदलाव किया गया है और कई धाराएं नई जोड़ी गई हैं। कई कानून व‍ि‍शेषज्ञ मान रहे हैं कि भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बड़ा बदलाव हो जाएगा। कानूनी प्रक्र‍िया में लेट जस्ट‍िस के चलन को हटाने में भी इससे मदद मिलेगी।

गृहमंत्री अमित शाह ने समझाए नए कानून

भारत में आजादी के बाद कानून में सबसे बड़ा बदलाव हमने आपको आसान भाषा में समझाया है। इस बीच भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके नए BNS,BNSS तथा BSA को अपने ढंग से परिभाषित किया है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पत्रकारों को बताया कि इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) आ चुकी है। सबसे पहले हमने इसमें संविधान की आत्म के तहत धाराओं तथा चैप्टर की प्रायोरिटी तय की है। महिलाओं बच्चों को प्राथमिकता दी गई है, जो करने की जरूरत थी।' गृहमंत्री शाह ने कहा कि 'मॉब लिचिंग के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था। नए कानून में मॉब लिचिंग को समझाया गया. राजद्रोह ऐसा कानून था, जो अंग्रेजों ने अपनी सुरक्षा के लिए बनाया था। इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध लगाया गया था। राजद्रोह को हमनें खत्म कर दिया है।' अमित शाह ने आगे कहा कि 'अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) होगी. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) होगी. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) होगा।' गृहमंत्री ने कहा,'मेरा मानना है कि यह बहुत पहले किया जाना चाहिए था. 35 धाराओं और 13 प्रावधानों वाला एक पूरा अध्याय जोड़ा गया है। अब सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कैद या आजीवन कारावास होगा। नाबालिग से बलात्कार पर मृत्युदंड होगा, पहचान छिपाकर या झूठे वादे करके यौन शोषण के लिए एक अलग अपराध परिभाषित किया गया है। पीड़िता का बयान उसके घर पर महिला अधिकारियों और उसके अपने परिवार की मौजूदगी में दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा भी दी गई है। हमारा मानना है कि इस तरह से बहुत सी महिलाओं को शर्मिंदगी से बचाया जा सकता है।' BNSS, BNS, BSA Law

लुहारली टोल प्लाजा विवाद, टोल मैनेजर पर दर्ज हुई FIR

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

देशभर में लागू हुए 3 नए क्रिमिनल कानून, जानें क्या हुआ बदलाव?

New Criminal Law 1
New Criminal Law
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:43 AM
bookmark
New Criminal Law : देशभर में आज यानी 1 जुलाई से तीन नए क्रिमिनल कानून लागू कर दिए गए हैं, जिससे कानून और न्याय प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। अब हत्या करने पर धारा 302 की जगह धारा 101 लागू होगी। धोखाधड़ी की फेमस धारा 420 को बदलकर 318 कर दी गई है, जबकि रेप के मामलों के लिए अब धारा 375 की बजाय धारा 63 का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही, शादीशुदा महिला को बहला- फुसलाना अब अपराध की श्रेणी में आ गया है, लेकिन जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध अब अपराध नहीं माना जाएगा।

महिलाओं, बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानून सख्त

नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं, बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानूनों को सख्त कर दिया गया है। इसके अलावा कई प्रोसीजरल बदलाव भी हुए हैं, जैसे अब घर बैठे e-FIR दर्ज कराना संभव होगा। हालांकि 30 जून से पहले दर्ज सभी मामलों का ट्रायल, अपील पुराने कानून के मुताबिक ही किया जाएगा। देश की अदालतों में लगभग 5.13 करोड़ मुकदमे पेंडिंग हैं, जिनमें से 3.59 करोड़ क्रिमिनल मैटर्स हैं। इन मामलों का निपटारा पुराने कानून के मुताबिक ही किया जाएगा। नए कानूनों में मुकदमों के जल्द ट्रायल, अपील और फैसले पर जोर दिया गया है, जिससे जजों के सामने नई चुनौती आ सकती है। उन्हें एक ही विषय पर दो तरह के कानूनों में महारत हासिल करनी पड़ेगी, जिससे कन्फ्यूजन और जटिलता बढ़ सकती है।

New Criminal Law

पुलिस पर दोहरा दबाव

नए कानून से सबसे ज्यादा बोझ पुलिस पर पड़ेगा। पुराने केस में अदालतों में पैरवी के लिए उन्हें पुराने कानून की जानकारी चाहिए होगी, जबकि नए मुकदमों की जांच नए कानून के अनुसार होगी। नए कानूनों में तीन चौथाई से ज्यादा हिस्सा पुराने कानून का ही है, लेकिन धाराओं का क्रम बदलने से पुलिस में भ्रम की स्थिति बढ़ेगी।

वकीलों की जिम्मेदारी और कन्फ्यूजन

अधिवक्ता दीपक सिंह ने कहा कि अब वकीलों को दोनों तरह के कानूनों की जानकारी रखनी होगी। नए कानून में मुकदमों के जल्द फैसले के प्रावधान हैं, लेकिन पुराने मुकदमों के निपटारे के बगैर नए मुकदमों पर जल्द फैसला मुश्किल होगा। इससे वकीलों और जजों पर दबाव बढ़ेगा। वहीं नए कानूनों में पुलिस की हिरासत की अवधि में बढ़ोतरी जैसे नियमों से पुलिस उत्पीड़न के मामले और आम लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जिला अदालतों में जजों की कमी की वजह से नए कानूनों की सफलता राज्यों के सहयोग पर निर्भर रहेगी। New Criminal Law

ग्रेटर नोएडा की सोसाइटी में बड़ा हादसा, टावर की शटरिंग गिरने से सुरक्षाकर्मी की मौत

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

PM मोदी ने चुनाव के बाद की पहली 'मन की बात', जानें देशहित में क्या कहा?

Capture2 6
PM Modi Mann Ki Baat
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 05:34 AM
bookmark
PM Modi Mann Ki Baat : जब पूरे देश में कोरोना जैसी भंयकर बिमारी से हाहाकार मचा हुआ था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो शो  'मन की बात' (Mann Ki Baat) से पूरे देश को बांधे रखा। ऐसे में तीसरी बार भी भारत के प्रधानमंत्री का कमान संभालने के कुछ दिनों बाद रविवार (30 जून) को PM ने अपना मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' की शुरूआत फिर से की और देशहित के बारे में तमाम बातें की। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रेडियो कार्यक्रम मन की बात की शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को हुई थी और पीएम मोदी की आखिरी 'मन की बात' लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले 25 फरवरी को प्रसारित हुई थी।

PM Modi Mann Ki Baat

पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात'  के 111वें एपिसोड में कहा, मैंने कहा था चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा, उम्‍मीद करता हूं कि आप सब अच्‍छे होंगे। मैंने विदा लिया था, फिर मिलने के लिए। इस बीच मुझे आप लोगों के लाखों संदेश मिले। चुनाव के दौरान मन को छू लेने वाली कई खबरें आई। करोड़ लोगों ने चुनाव में वोट डाला। इसके आलावा पीएम ने देशवासियों से अपने नाम का एक पेड़ लगाने की अपील की है।

देशवासियों का किया धन्यवाद

प्रधानमंत्री मोदी ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को लेकर भी बातें की। देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर पीएम ने कहा,  'मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 2024 का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।'

मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है-PM

PM Modi ने 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों से बातें करते हुए मां के रिश्‍ते और पर्यावरण को भी लेकर कहा कि, 'मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे, माँ। हम सबके जीवन में माँ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। माँ हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर माँ अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री माँ का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता। हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- 'एक पेड़ माँ के नाम' मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है।'

प्रोग्राम में किया 'हूल दिवस' का जिक्र

रेडियो प्रोग्राम Mann Ki Baat में पीएम मोदी ने 'हूल दिवस' का जिक्र करते हुए कहते हैं, 'आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये 1855 में हुआ था। यानि ये 1857 में भारत कें प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम से भी 2 साल पहले हुआ था। तब झारखंड के संथाल परगना में हारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।'

'कार्थुम्बी छाते' के बारे में बताया

पीएम मोदी अपनी बातचीत जारी रखते हुए कहते हैं,  'Mann Ki Baat में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में. वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं 'कार्थुम्बी छाते' और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में। इन रंग-बिरंगे छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है। इन छातों को 'वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी' की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है।'

रिलायंस कंपनी का बड़ा फैसला, कैम्पा कोला से देंगे पेप्सी तथा कोक को टक्कर

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।