एक ऐसी चिता जिसके ऊपर मौजूद हैं मां काली

Temple
Rameshwari Shyama Mai Temple
locationभारत
userचेतना मंच
calendar22 Jul 2024 07:03 PM
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Rameshwari Shyama Mai Temple : आपको यकीन नहीं होगा किन्तु यह सत्य है। बिहार के मिथिलांचल में एक ऐसी चिता जलाई गई है जिस चिता के ऊपर भगवती मां काली मौजूद हैं। जी हां बिहार के मिथिलांचल में यह करिश्मा रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर में देखने को मिलता है। रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर का निर्माण वर्ष-1933 में एक चिता के ऊपर किया गया था। रामेश्वरी श्यामा माई का मंदिर दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है जो श्मशान घाट के अंदर बना हुआ है।

श्मशान घाट पर नहीं जाते नव दंपत्ति

हिन्दु धर्म ग्रंथों में यह मान्यता है कि विवाह के एक साल तक नव दंपत्ति को श्मशान घाट पर नहीं जाना चाहिए। बिहार के मिथिलांचल में बने रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर के मामले में यह नियम लागू नहीं होता है। श्मशान घाट में एक चिता के ऊपर बनाए गए रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर में सारे मांगलिक कार्य किए जाते हैं। यहां तक कि इस मंदिर में शादी-विवाह भी सम्पन्न किए जाते हैं। रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर का इतिहास भी बहुत ही रोचक है।

राजा की चिता पर बना है मंदिर

रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर के पुजारी कहते हैं कि यह मंदिर दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह के निधन पर, जहां उनकी चिता जलाई, उसी स्थान पर 1933 में बनवाया गया था। जिस जगह मंदिर बना है, वहां दरभंगा राज परिवार का श्मशान स्थल था। महाराज के बेटे कामेश्वर सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर मां काली को समर्पित है। इसे बनाने की बड़ी वजह महाराज रामेश्वर सिंह की मां काली के प्रति अगाध निष्ठा होना था। उनके पुत्र ने पिता को श्रद्धाजंलि के स्वरूप यह मंदिर बनवाया और नाम पिता से जोडक़र रामेश्वरी श्यामा माई मंदिर रखा। मंदिर के गर्भगृह में मां काली की दस फुट ऊंची भव्य प्रतिमा है। बताते हैं कि महाराज ने इसे पेरिस में बनवाया था। देवी के गले में हिंदी वर्णमाला के अक्षरों जितने मुंडों की माला है। कारण यह कि वर्णमाला सृष्टि का प्रतीक है। यहां महाकाल और गणपति की मूर्तियां भी हैं। मिथिलांचल में एक मान्यता है कि शादी के एक साल बाद तक नव दंपती श्मशान घाट नहीं जा सकते, लेकिन इस मंदिर में सारे मांगलिक कार्यों के साथ ही शादियां भी होती हैं। पुजारी बताते हैं कि श्यामा माई मां सीता का ही रूप हैं। इस बात की व्याख्या महाराज रामेश्वर सिंह के सेवक लालदास ने रामेश्वर चरित मिथिला रामायण में की है। इसको आधार वाल्मीकि रचित रामायण है। इसमें लिखा है कि रावण का वध होने के बाद सीता ने राम से कहा कि जो भी सहस्त्रानंद का वध करेगा, वही असली वीर होगा। यह सुनकर राम युद्ध के लिए निकल गए। युद्ध के दौरान सहस्त्रानंद का एक तीर राम को लगा। इस पर माता सीता को क्रोध आया और उनका रंग काला पड़ गया। सहस्त्रानंद का वध करने के बाद भी,जब उनका क्रोध शांत नहीं हुआ, तो भगवान शिव को आना पड़ा। भगवान के सीने पर पैर पडऩे से माता बेहद लज्जित हुईं और उनकी जिह्वा बाहर आ गई। यही वजह है कि उन्हें यहां काली नहीं, श्यामा के नाम से जाना जाता है। नवरात्र में यहां मेला लगता है और भक्तों का तांता लगा रहता है। Rameshwari Shyama Mai Temple

कांवड़ यात्रा मार्ग पर नाम लिखने पर सुप्रीम रोक

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कांवड़ यात्रा मार्ग पर नाम लिखने पर सुप्रीम रोक

RSS 2
Kanwar Yatra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:53 PM
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Kanwar Yatra 2024: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश वह उत्तराखंड में कावड़ यात्रा के दौरान दुकानों व ठेलियों पर लिखने में कावड़ यात्रा के मामले में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दुकानदार सिर्फ खानों का नाम लिखें दुकानदार को नाम बताने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए 26 जुलाई तक जवाब मांगा है। दरअसल सोमवार से कावड़ यात्रा शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर पुलिस ने सबसे पहले एक फरमान जारी किया था। जिसमें कहा गया था की कमर यात्रा के रूट पर पड़ने वाले सभी होटल वटेलियों के संचालकों को अपना नाम लिखना होगा।

Kanwar Yatra 2024

इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले होटल और ढाबों पर नाम लिखने का फरमान जारी किया था। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा इस आदेश के जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भी इसी तरह के आदेश जारी किए गए थे। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतिम रोक लगा दी है और कहां है कि दुकानदारों को नाम लिखने की जरूरत नहीं है केवल खानों का नाम लिखना काफी होगा।  Kanwar Yatra 2024

भारत सरकार का बहुत बड़ा फैसला, 58 साल बाद हटा RSS से प्रतिबंध

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भारत सरकार का बहुत बड़ा फैसला, 58 साल बाद हटा RSS से प्रतिबंध

RSS 1
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:10 PM
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RSS Activities by Govt Employees : भारत सरकार ने बहुत बड़ा फैसला किया है। भारत सरकार का बड़ा फैसला यह है कि अब सरकारी कर्मचारी तथा सरकारी अधिकारी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे। RSS के ऊपर 58 साल पहले लगाया प्रतिबंध भारत सरकार ने हटा दिया है। RSS के मुददे पर भारत सरकार के फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने RSS पर किए गए फैसले का विरोध किया है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती ने भी भारत सरकार के फैसले का विरोध किया है।

वर्ष-1966 में लगा था RSS पर प्रतिबंध

आपको बता दें कि भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने एक बहुत बड़ा आदेश जारी किया है। भारत सरकार के इस आदेश के तहत केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों-गतिविधियों में भाग लेने पर लगा 58 साल पुराना प्रतिबंध हटा दिया है। 7 नवंबर, 1966 को गोवध रोकने के लिए संसद के सामने प्रदर्शन के बाद सरकार ने 30 नवंबर, 1966 को यह प्रतिबंध लगाया था। इस दौरान पुलिस फायरिंग में कई कार्यकर्ता मारे गए थे। कार्मिक मंत्रालय ने यह आदेश 9 जुलाई को जारी किया। कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 4 जून के बाद, पीएम मोदी और संघ के संबंधों में गिरावट देखी जा रही है। मुझे लगता है कि अब नौकरशाही भी दबाव में आ सकती है। भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने लिखा, मोदी सरकार ने असंवैधानिक आदेश हटा दिया है।

कांग्रेस ने जताया विरोध

उधर, केंद्र सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने पुरजोर विरोध किया है. कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार की ओर से जारी इस फैसले की तीखी आलोचना की है, जिसमें आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 6 दशक पुरानी पाबंदी को हटा दिया गया है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने पर एक पोस्ट में लिखा कि, 'फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया. 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था - और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। वहीं, कांग्रेस के एक अन्य नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन खेड़ा ने भी केंद्र पर हमला बोला. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निराशा जाहिर करते हुए कहा, "58 साल पहले, केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने को लेकर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अब मोदी सरकार ने उस आदेश को पलट दिया है। बसपा प्रमुख मायावती ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय देशहित से परे और राजनीति से प्रेरित है। यह निर्णय संघ के लोगों का तुष्टिकरण करने वाला है। जिसका मकसद भाजपा सरकार व संघ के बीच लोकसभा चुनाव के बाद बनी दूरी को कम करना है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो। सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियाँ काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं। ऐसे में यह निर्णय अनुचित, तुरन्त वापस हो।

मानसून सत्र में NEET पेपर लीक पर हंगामा, शिक्षा मंत्री बोले पेपर लीक के सबूत नहीं

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