सामना के संपादकीय पर सियासी संग्राम : राम कदम का तीखा हमला, बोले- उद्धव नाक रगड़ कर माफी मांगे




एसीएलयू और अन्य आप्रवासी अधिकार संगठनों ने अपने तर्कों में कहा कि संघीय एजेंट रंग के आधार पर लोगों को निशाना बना रहे हैं, बिना वारंट छापेमारी कर रहे हैं और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को कानूनी सलाह का अधिकार भी नहीं दे रहे। वकील मोहम्मद ताजसर ने बयान में कहा, “चाहे किसी की भाषा, नस्ल या नौकरी कुछ भी हो — हर किसी को संविधान ने गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है।”
मुकदमे के दौरान ट्रंप प्रशासन के वकीलों ने आरोपों का विरोध किया और इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। वहीं, अमेरिकी न्याय विभाग ने फिलहाल इस फैसले के खिलाफ अपील को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है। अमेरिकी अटॉर्नी बिल एसेली ने फैसले के बाद एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “हम अदालत के निर्णय से असहमत हैं। हमारे एजेंट हमेशा संविधान और कानून के अनुरूप ही कार्य करते हैं । गवर्नर गेविन न्यूसम ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह फैसला एक स्पष्ट संदेश है कि नस्लीय भेदभाव और अधिकारों के उल्लंघन की किसी भी सरकारी कोशिश को कानून बर्दाश्त नहीं करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि जज फ्रिम्पोंग की नियुक्ति राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में हुई थी। उन्होंने अपने निर्णय में कहा, “बिना संदेह के सड़कों पर निगरानी दलों की मौजूदगी चौथे संशोधन और वकीलों तक पहुंच न देना पांचवें संशोधन का उल्लंघन है।” उन्होंने दो अस्थायी निषेधाज्ञाएं भी जारी की हैं, जिससे आईसीई की छापेमारी तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है।
इस पूरे मामले का केंद्र बिंदु मोंटेबेलो निवासी ब्रायन गाविडिया हैं, जिन्हें आव्रजन एजेंटों ने बीते महीने हिरासत में लिया था। गुरुवार को अदालत के बाहर उन्होंने मीडिया से कहा, “मैंने अमेरिकी नागरिक होने का प्रमाण देने की कोशिश की, लेकिन एजेंटों ने मेरा फोन जब्त कर लिया और मेरी बात नहीं सुनी। यह मेरे अधिकारों का सीधा हनन था। Donald Trump
एसीएलयू और अन्य आप्रवासी अधिकार संगठनों ने अपने तर्कों में कहा कि संघीय एजेंट रंग के आधार पर लोगों को निशाना बना रहे हैं, बिना वारंट छापेमारी कर रहे हैं और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को कानूनी सलाह का अधिकार भी नहीं दे रहे। वकील मोहम्मद ताजसर ने बयान में कहा, “चाहे किसी की भाषा, नस्ल या नौकरी कुछ भी हो — हर किसी को संविधान ने गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है।”
मुकदमे के दौरान ट्रंप प्रशासन के वकीलों ने आरोपों का विरोध किया और इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। वहीं, अमेरिकी न्याय विभाग ने फिलहाल इस फैसले के खिलाफ अपील को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है। अमेरिकी अटॉर्नी बिल एसेली ने फैसले के बाद एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “हम अदालत के निर्णय से असहमत हैं। हमारे एजेंट हमेशा संविधान और कानून के अनुरूप ही कार्य करते हैं । गवर्नर गेविन न्यूसम ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह फैसला एक स्पष्ट संदेश है कि नस्लीय भेदभाव और अधिकारों के उल्लंघन की किसी भी सरकारी कोशिश को कानून बर्दाश्त नहीं करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि जज फ्रिम्पोंग की नियुक्ति राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में हुई थी। उन्होंने अपने निर्णय में कहा, “बिना संदेह के सड़कों पर निगरानी दलों की मौजूदगी चौथे संशोधन और वकीलों तक पहुंच न देना पांचवें संशोधन का उल्लंघन है।” उन्होंने दो अस्थायी निषेधाज्ञाएं भी जारी की हैं, जिससे आईसीई की छापेमारी तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है।
इस पूरे मामले का केंद्र बिंदु मोंटेबेलो निवासी ब्रायन गाविडिया हैं, जिन्हें आव्रजन एजेंटों ने बीते महीने हिरासत में लिया था। गुरुवार को अदालत के बाहर उन्होंने मीडिया से कहा, “मैंने अमेरिकी नागरिक होने का प्रमाण देने की कोशिश की, लेकिन एजेंटों ने मेरा फोन जब्त कर लिया और मेरी बात नहीं सुनी। यह मेरे अधिकारों का सीधा हनन था। Donald Trump
