यूपी के चकबंदी विभाग में बड़ी कार्रवाई, कई अधिकारी किए गए निलंबित

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calendar29 Nov 2025 12:03 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामलों को लेकर बड़ी कार्रवाई की गई है। चकबंदी आयुक्त जी. एस. नवीन कुमार ने बताया कि फतेहपुर जिले के ग्राम पाई निवासी रवीकरन सिंह के मामले में जांच के बाद कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। बता दें कि इस घटना के बाद चकबंदी विभाग में व्यापक कार्रवाई की गई है, जिससे विभाग में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित हो सके।

किसान ने की थी आत्महत्या

दरअसल, फतेहपुर जिले के पाई गांव के किसान रवीकरन सिंह उर्फ मक्खन सिंह (68) ने आत्महत्या कर ली थी। राजस्व कर्मियों द्वारा उनके खेत से चकरोड निकालने पर उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। चकबंदी न्यायालय में वाद भी उनके पक्ष में नहीं आया। समाधान दिवस में एसडीएम द्वारा डांटे जाने से आहत होकर किसान ने आत्महत्या कर ली थी। एसडीएम खागा अतुल कुमार ने आरोपों को निराधार बताया था।

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प्रमुख कार्रवाई

बीएन उपाध्याय: तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी, फतेहपुर (वर्तमान में जौनपुर) को निलंबित किया गया और उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। संदीप कुमार: चकबंदी लेखपाल को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है। अनिल कुमार: सहायक चकबंदी अधिकारी, फतेहपुर और रवीन्द्रनाथ पाण्डेय, चकबंदी अधिकारी, फतेहपुर को भी निलंबित कर दिया गया है।

अन्य अधिकारी भी निलंबित:

प्रतापगढ़ जिले के ग्राम दिवैनी में चकबंदी प्रक्रिया में लापरवाही के लिए कई अधिकारियों पर भी अनुशासनिक कार्रवाई की गई है। इनमें राजेश त्रिपाठी, लाल बहादुर, राधेश्याम गुप्ता, नन्दलाल पटेल, शम्भू प्रसाद, और यादवेन्द्र कुमार पटेल शामिल हैं। UP News

उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने दिए दो बड़े फैसले, बदलेगा जांच का तरीका

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उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने दिए दो बड़े फैसले, बदलेगा जांच का तरीका

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:02 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने दो बड़े फैसले सुनाए हैं। उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के इन दोनों बड़े फसलों की पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा हो रही है। कानून के जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के इन दो फैसलों के बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस को अपनी जांच पड़ताल करने का तरीका बदलना पड़ेगा। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के फैसलों का असर पूरे देश की कानून व्यवस्था पर पढ़ने की संभावना जताई जा रही है। उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के दोनों ही फसलों की खूब चर्चा हो रही है।

उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट) ने कहा है कि किसी आरोपी के फरार होने के आधार पर उसे आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। यह फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने 25 साल पुराने हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे व्यक्ति को बरी कर दिया है। हमारे प्रयागराज संवाददाता आरपी दुबे की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के आगरा में रहने वाले राजवीर की याचिका पर उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता तथा जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। इस फैसले के विवरण में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के आगरा के डौकी थाना क्षेत्र में राजवीर सिंह पर पांच अगस्त 1999 में अपने सगे भाई नेम सिंह की हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने पहले अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया था। बाद में संदेह के आधार पर राजवीर को आरोपी बनाया। 16 अगस्त, 1999 को अपीलकर्ता को गिरफ्तार किया गया और उसका बयान दर्ज किया गया। उसकी निशानदेही पर एक कुल्हाड़ी, उसके कमरे से खून से सना हुआ पायजामा और शर्ट भी बरामद किया गया। ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आदेश से व्यथित होकर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में अपील दायर की गई है। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपी के घर से कुल्हाड़ी और कपड़ों की कथित बरामदगी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत साबित नहीं हुआ है। उसे बरी किया जाना चाहिए। वहीं, अपर शासकीय अधिवक्ता ने दलील दी कि अपीलकर्ता घटनास्थल से फरार हो गया था, जो इस मामले में उसकी संलिप्तता का संकेत है। उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद ने एक राय होकर कहा कि आरोपी के फरार हो जाने का यह अर्थ नहीं है कि वह अपराधी है। किसी आरोपी के फरार होने मात्र से ही उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह टिप्पणी करते हुए उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने राजवीर को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है।

चश्मदीद की गवाही पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकते

एक दूसरे फैसले में उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। अपने फैसले में उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल किसी चश्मदीद की गवाही पर किसी आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने मेरठ के 46 साल पुराने हत्या के मामले में दोषी ठहराए एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि बिना वैज्ञानिक साक्ष्य के एक चश्मदीद की गवाही पर किसी को दोषी ठहराना बेहद खतरनाक है। चाहे दस्तावेजी साक्ष्य हो या प्रत्यक्षदर्शी, उसकी भी पुष्टि की जरूरत होती है। मेरठ के जानी थाना में 31 मई 1978 में करमवीर की हत्या में पिता चमेल सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि अपीलकर्ता इंद्रपाल, सोहनवीर दीवार फांदकर घर में घुस आए वे और करमवीर की गोली मारकर हत्या करने के बाद भाग निकले। तहरीर के अनुसार सोहनवीर की चमेल सिंह की चचेरी बहन से अवैध संबंध थे। करमवीर ने अवैध संबंधों को रोकने का प्रयास किया था। इसीलिए अपीलकर्ताओं ने उसकी हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने 26 नवंबर 1980 के आदेश से आरोपी अपीलकर्ता इंद्र पाल, सह- आरोपी सोहनवीर को दोषी ठहरा उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह सजा घटना के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी की गवाही पर सुनाई गई थी। ट्रायल कोर्ट का मानना था कि गवाह मृतक का सगा भाई है और वह घटना के समय मौजूद था। ऐसे में उसकी गवाही पर अविश्वास करने का कोई औचित्य नहीं है। ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। अपील के लंबित रहने के दौरान सह-अभियुक्त सोहनवीर की मृत्यु हो गई। इस प्रकार उसकी अपील खारिज कर दी गई। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी मृतक का भाई विजेंद्र सिंह की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अपराध में प्रयोग किए गए हथियार को न बरामद किया गया और न ही अदालत में पेश किया गया। यह फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे इन्द्रपाल को बरी कर दिया। UP News

उत्तर प्रदेश में घर बैठे-बैठे बनवा सकते हैं आय प्रमाण-पत्र

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उत्तर प्रदेश में घर बैठे-बैठे बनवा सकते हैं आय प्रमाण-पत्र

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calendar22 Jun 2024 07:22 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आय प्रमाण-पत्र ( Income Certificate ) तथा जाति प्रमाण-पत्र बनाने के ककाम को और अधिक आसान बनाने के निर्देश जारी किए हैं। उत्तर प्रदेश में घर बैठे-बैठे आय प्रमाण-पत्र Income Certificate बनाए जाने की व्यवस्था पहले से ही लागू है। आय प्रमाण-पत्र तथा जाति प्रमाण-पत्र केवल सात दिनों में बन जाना अनिवार्य किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश के CM योगी ने उत्तर प्रदेश के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आय प्रमाण-पत्र Income Certificate तथा जाति प्रमाण पत्र बनाने के काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

क्या होता है आय प्रमाण पत्र

उत्तर प्रदेश सरकार ने आय प्रमाण पत्र बनाने के काम को आसान बनाने के काम को आसान बना दिया है। आय प्रमाण-पत्र Income Certificate आसानी से कैसे बनता है? यह जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि आय प्रमाण-पत्र Income Certificate क्या होता है? दरअसल आय प्रमाण पत्र एक ऐसा सरकारी दस्तावेज है जिसमे किसी नागरिक की मासिक व वार्षिक आय का विवरण होता है जिससे किसी नागरिक की आय का पता लगता है इसका ज्यादातर उपयोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किया जाता है जिससे यह साबित हो सके आर्थिक रूप से पिछड़े नागरिक किसी सरकारी लाभ के लिए पात्र हैं या नही जिससे सरकार उनकी मदद कर सके। जैसे: स्कालरशिप फॉर्म, सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाओ में आवेदन करने के लिए। साथ ही सरकारी टेंडर लेने के लिए भी आय प्रमाण पत्र की अवशयकता होती है। उत्तर प्रदेश में बिना आय प्रमाण पत्र के कोई सरकारी टेंडर नहीं मिलता है।

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कैसे बनता है आय प्रमाण पत्र

उत्तर प्रदेश में आय प्रमाण पत्र वर्तमान में दो तरह से बनता है एक तो स्वयं ऑनलाइन आवेदन कर बना सकते हैं दूसरा अपने नजदीकी CSC से बनवा सकते हैं इन दोनों तरीकों में जैसे भी आप आय प्रमाण पत्र बनायें आपको कुछ जरुरी जानकारी होनी चाहिए तभी आप इसे सही तरीके से बना सकते हैं जैसे स्वयं से Income Certificate बनाने के लिए अपने राज्य के आय जाति मूल निवास बनाने की वेबसाइट पर जाये और सिटीजन अकाउंट Create करें जैसे उत्तर प्रदेश में वेबसाइट https://edistrict.up.gov.in/ है इस पर जाएँ सिटिजन लॉगिन (ई-साथी) विकल्प पर क्लिक करें अपना अकाउंट बनायें और Income Certificate आवेदन ऑनलाइन करें अंत में आपको कुछ दस्तावेज अपलोड करने होते हैं जो आगे इस पोस्ट में बताये गए हैं।

आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज होना जरुरी है जिससे आपका आय प्रमाण पत्र आसानी से बन जाता है।

आधार कार्ड पासपोर्ट साइज़ फोटो घोषणा पत्र (घोषणा पत्र डाउनलोड करने का लिंक इसी पोस्ट में दिया गया है) मोबाइल नम्बर (मोबाइल नम्बर एक्टिव होना चाहिए) आधार में फ़ोन नम्बर लिंक हो फैमिली आई डी कार्ड राशन कार्ड (यदि हो तो) पहचान पत्र ( यदि हो तो) सैलरी स्लिप (सरकारी नौकरी होने पर) यदि उपर्युक्त दस्तावेज आपके पास हैं तो आप आय प्रमाण पत्र को बड़े ही आसान तरीके से ऑनलाइन बना सकते हैं यदि ऑनलाइन नही बनाना चाहें तो CSC से बनवा सकते हैं दस्तावेज यही लगेंगे दोनों जगह। उपर्युक्त सभी दस्तावेज तैयार कर स्कैन कर लेना चाहिए और इन सभी दस्तावेजो की साइज़ 100 KB से कम होना चाहिए तथा इन्हे JPEG Format में बना लेना चाहिए सभी Document Clear और साफ दिखने चाहिए जिससे आपका आवेदन रिजेक्ट न हो और अपलोड करने में किसी प्रकार की समस्या न हो।

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उत्तर प्रदेश में आय जाति और निवास प्रमाण पत्र इनमे से कोई भी प्रमाण पत्र बनवाएं आपको एक घोषण पत्र भरना होता है। इस घोषण पत्र में सबसे पहले प्रमाण पत्र बनवाने का कारण पूछा जाता है जिसमे आप लिख सकते है आवश्यक कार्य हेतु और राशन कार्ड नम्बर यदि हो तो लिखें और यदि न हो तो उसे छोड़ दें आधार कार्ड नम्बर से राशन कार्ड नम्बर कैसे निकाला जाता है जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़ें आय/जाति/निवास प्रमाण पत्र जो भी बनवाना चाहते हैं उस पर टिक करें मैं जिसके नाम से आय बनवाना चाहते हैं उसका नाम लिखें पिता का नाम लिखें माता का नाम लिखें सभी डिटेल भरकर अंत में वार्षिक आय आपकी कुछ हो तो लिख दें अन्यथा छोड़ दें और फिर हस्ताक्षर करें दोनों जगह फिर इस फॉर्म को स्कैन कर लीजिये ऑनलाइन करने के लिए और इसकी साइज़ बना लीजिये इस पोस्ट में बताये अनुसार। यूपी में आय प्रमाण पत्र यदि आप स्वयं से सिटीजन आई डी से ऑनलाइन आय प्रमाण पत्र बनाते हैं तो 15 रूपये की सरकारी फीस कटती है जो आप किसी भी माध्यम से ऑनलाइन पे कर सकते है अगर CSC से Income Certificate बनवाते हैं तो ई डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर CSC VLE के वॉलेट से 30 रूपये की फीस कटती है जिसमे उनका कमीशन भी शामिल होता है हालाँकि वह लोग कुछ ज्यादा रूपये ले लेते हैं आप चाहें तो स्वयं से बना सकते हैं दोनों आय में अंतर कुछ नही होता है एक ही जैसी होती हैं।

उत्तर प्रदेश में कब तक चलता है आय प्रमाण पत्र

उत्तर प्रदेश में आय जाति निवास प्रमाण पत्र निस्तारित करने का समय 7 दिन का होता है जिसमे छुट्टी के दिन शामिल नही होते हैं परन्तु कभी-कभी 7 से 15 दिन भी लग जाते हैं वह आपके लेखपाल तहसीलदार पर निर्भर करता है वह चाहें तो एक दिन में भी बन जाता है यदि आपको किसी कारणवश जल्दी Income Certificate बनवाना हो तो तहसील में लेखपाल और कंप्यूटर आपरेटर से बात करें। आय प्रमाण पत्र परिवार में मुखिया के नाम से जारी किया जाता है यदि किसी बच्चे के काम के लिए Income Certificate बनवाना है तो पिता के नाम से Aay Praman ऑनलाइन करें और यदि किसी के पिता नही हो तो ऐसी स्थति में विधवा माता के नाम से Income Certificate बनता है और यदि किसी के माता पिता दोनों ही नही है तो अभिवाक जो बच्चे का पालन पोषण करते हैं उनके नाम से Income Certificate बनता है वैसे Income Certificate कोई भी 18 साल का व्यक्ति बनवा सकता है जो अपनी स्वयं की आमदनी करता हो और जो किसी पर आश्रित न हो। यदि किसी परिवार में महिला कमाने वाली हों तो वह अपने नाम से आय बनवा सकती हैं सरकारी नौकरी होने की स्थति में भी महिला अपने नाम आय बना सकती हैं। UP News

उत्तर प्रदेश सरकार ने लिया बहुत बड़ा फैसला, सभी परिवारों की बनेगी आईडी

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