Saturday, 20 April 2024

CM Kerala संवैधानिक मूल्य देश में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं:सीएम

CM Kerala तिरुवनंतपुरम। धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और संघवाद जैसे संवैधानिक मूल्य देश में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह…

CM Kerala संवैधानिक मूल्य देश में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं:सीएम

CM Kerala तिरुवनंतपुरम। धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और संघवाद जैसे संवैधानिक मूल्य देश में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह बात केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कही।

संविधान दिवस पर अपने संदेश में उन्होंने कहा, इस मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत को भुलाया जा रहा है। संबंधित राज्यों के लोगों द्वारा चुनी गई राज्य सरकारों को देश के विकास में केंद्र सरकार के साथ समान भूमिका निभानी चाहिए।

संविधान सभा द्वारा 1949 में भारत के संविधान को अंगीकार करने के उपलक्ष्य में 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।

विजयन ने ट्वीट किया, भारत का संविधान, जिसमें हमारे साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के आदर्श शामिल हैं को अपनाने की इस 73वीं वर्षगांठ पर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमारे संविधान दिवस पर इस तरह के खतरों से लड़ने और इसकी भावना तथा मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ाई में शामिल होने का समय आ गया है।

परोक्ष रूप से अपनी सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच गतिरोध का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का इस्तेमाल निर्वाचित सरकारों पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है, यह इस संवैधानिक दिवस पर एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, आज हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और संघवाद के मूल्य गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे संविधान को अपनाने की 73वीं वर्षगांठ पर जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे मामूली नहीं हैं।

केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि किसी के धर्म के अनुसार नागरिकता देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और देश में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को एक-एक करके बेचा जा रहा है। मार्क्सवादी नेता ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों के अधिकार छीन लिए जा रहे हैं और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांतों को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन सभी को कानूनी रूप से और जनता के विरोध के माध्यम से चुनौती दी जा रही है और यह आपत्ति संविधान की रक्षा के लिए आवाज है।

Related Post