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फडणवीस सरकार में शिंदे का कद घटा, क्या होगी आगे की राजनीति

Mharashtra Politics

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Mharashtra Politics : वाकई राजनीति और राजनीतिज्ञों का भरोसा करना बड़ा मुश्किल है। खासकर भारत की राजनीति गजब की चीज है और उसमें भी महाराष्ट्र की राजनीति के तो क्या ही कहने। पिछले दिनों जब महाराष्ट्र चुनाव का परिणाम आया, तो शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने कह दिया था कि एकनाथ शिंदे का युग खत्म हो गया है। वैसे तो ये संजय राउत की भड़ास भी थी और एक हद तक बात सही भी थी क्योंकि बीजेपी के नंबर्स अप्रत्याशित रूप से अच्छे थे। जैसा कि उम्मीद थी कि शिंदे अब सीएम नहीं रहेंगे। सच में जितनी उम्मीद थी, शिंदे को उससे बहुत कम पर समझौता करना पड़ा है। महाराष्ट्र सरकार में शिंदे की अब वो पहले वाली बात नहीं रही। बीजेपी को जो उनसे फायदा उठाना था उठा चुकी है।

सरकार में एकनाथ शिंदे अब प्रभावहीन

यह बात तो तभी समझ में आ गई थी जब सरकार के गठन के समय शिंदे गृह विभाग के लिए जोर आजमाइश कर रहे थे, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गृह विभाग समेत कई महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखे, जबकि एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और लोक निर्माण जैसे विभागों से ही संतोष करना पड़ा। शनिवार को जब फडणवीस सरकार ने अपने मंत्रिमंडल को विभागों का आवंटन किया, तो यह और भी स्पष्ट हो गई कि एकनाथ शिंदे का पर काटा जा चुका है। अब गठबंधन में उनका वो कद नहीं है। साथ नये समीकरण भी साधे जा रहे हैं।

महाराष्ट्र राजनीति में भूचाल ले आए थे

2022 में महाराष्ट्र की राजनीति में एक भूचाल ला दिया था, और उद्धव आर्मी को पस्त करके पासा पलट दिया था। बाद में बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री भी बन गए थे। इतना ही नहीं सरकार में भी रहते हुए उनकी कार्यशैली चर्चा में रही. उनकी योजनाओं की भी चर्चा रही। उनके बढ़ते कद को धीरे धीरे बीजेपी ने अपने ग्रिप में लेना शुरू किया और जब इस चुनाव बाद उन्होंने गृह विभाग को लेकर एक तरह से मांग कर डाली थी तो उन्हें वह न देकर उनकी औकात बता दी। आज हालत ये है कि अब वे जरा भी इधर उधर करेंगे तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में बीजेपी देर नहीं करेगी।

शिंदे की बगावत का फायदा अब बीजेपी कैश कर रही

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे से बगावत के बाद 2022 में शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महायुति सरकार बनाई थी। इस बार की बदली चुनावी परिस्थितियों ने शिंदे के राजनीतिक कद को सीमित कर दिया।132 सीटों पर जीत दर्ज कर बहुमत के करीब पहुंचते हुए बीजेपी ने अपनी धमक दिखा दी थी, उसका सीएम बनना तो निश्चित था ही, शिंदे की शिवसेना की 57 सीटें और अजित पवार की एनसीपी की 41 सीटें मिली थीं, लेकिन अब इस नये बने हालात में शिंदे की मांगों को खास तवज्जो नहीं दी गई। पिछली बार शिंदे सीएम थे तो गृह विभाग फडणवीस के पास था, इस बार शिंदे ने इसी तरह की गणित में गृह विभाग सोचा था। लेकिन अब समय पलट चुका था, उन्हें गृह विभाग न देकर फडणवीस ने उसे अपने ही पास रख लिया। उनसे बेहतर विभाग तो अजीत को दिया गया। आगे अगर स्थितियां शिंदे के पक्ष में नहीं आई तो उनकी पार्टी पर भी असर पड़ सकता है।

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