– एसएन वर्मा
National News : दशकों से आतंकवाद से मुकाबला कर रहे भारत के दर्द को विश्व समझ चुका है। लेकिन, भारत को अपने इस संकट को अमेरिका और यूरोप को बताने समझाने में वर्षों लग गए। इन देशों को इसका अहसास तब हुआ, जब खुद पर आतंकवादी हमले होने शुरू हुए। आतंकवादियों ने न सिर्फ अमेरिका पर हमले किए, बल्कि उसके समर्थक यूरोप के देशों में खून खराबा और बम फोड़े। देर सबेर अब पूरी दुनिया इस हकीकत को जान चुकी है कि अगर आतंकवादियों की फंडिग पर रोक नहीं लगाई गयी तो यह सिलसिला कभी थमने वाला नहीं है। निर्दोष लोग मरते रहेंगे।
आतंकवादियों की फंडिग पर रोक के प्रयास किए गए, लेकिन वे सफल नहीं हुए। वित्त पोषण के नए नए तरीके इजाद होते रहे। इस फंडिग को रोकने लिए नए सिरे विचार विमर्श के लिए तीसरा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ‘नो मनी फॉर टेरर’ का आयोजन 18 और 19 नवंबर को नई दिल्ली में होने जा रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे को महत्व देने के साथ-साथ इस खतरे के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है।
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इस प्रकार का सम्मेलन का पेरिस (2018) और मेलबर्न (2019) में आयोजित किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आयोजित पिछले दो सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने से संबंधित चर्चाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। सम्मेलन मंे आतंकवाद के वित्तपोषण के सभी आयामों के तकनीकी, कानूनी, विनियामक और सहयोग के पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। वैश्विक स्तर पर, विभिन्न देश कई वर्षों से आतंकवाद और उग्रवाद से प्रभावित हैं। अधिकतर मामलों में हिंसा का पैटर्न भिन्न होता है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर लंबे समय तक सशस्त्र सांप्रदायिक संघर्षों के साथ-साथ एक अशांत भू-राजनीतिक वातावरण से उत्पन्न होता है। इस तरह के संघर्षों का नतीजा अक्सर कुशासन, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक अभाव और बड़े अनियंत्रित क्षेत्र के रूप में सामने आता है। एक आज्ञाकारी राज्य की भागीदारी अक्सर आतंकवाद, विशेष रूप से इसके वित्तपोषण को बढ़ावा देती है।
भारत ने तीन दशकों से अधिक अवधि में कई प्रकार के आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का सामना किया है। इसलिए वह इस तरह से प्रभावित राष्ट्रों के दर्द और आघात को समझता है। शांतिप्रिय राष्ट्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के मामले में निरंतर सहयोग के लिए एक पुल बनाने में मदद करने के लिए भारत ने अक्टूबर में दो वैश्विक कार्यक्रमों – दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा और मुंबई एवं दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र की मेजबानी भी की है। ‘नो मनी फॉर टेरर’ (एनएमएफटी) सम्मेलन विभिन्न राष्ट्रों के बीच समझ और सहयोग विकसित करने के भारत के प्रयासों को आगे बढ़ाएगा। इस सम्मेलन में विचार-विमर्श के लिए 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय निकायों के प्रतिनिधियों को एक साथ बैठाया जा रहा है।
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