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लोकलुभावने वादों पर PM मोदी ने जताई निराशा, बोली बड़ी बात PM Modi Interview

PM Modi Interview

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PM Modi Interview / नई दिल्ली। आगामी 9 व 10 सितंबर को देश की राजधानी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन से कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी ने एक समाचार एजेंसी को इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने लोकलुभावने वादों को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि लोकलुभावने वादों की नीतियों से किसी को कोई फायदा नहीं होने वाला है।

PM Modi Interview

समाचार एजेंसी भाषा को दिए साक्षात्कार के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा कि गैर-जिम्मेदाराना वित्तीय नीतियों और लोकलुभावनवाद की वजह से अल्पकालिक राजनीतिक परिणाम भले ही हासिल हो जाएं, लेकिन लंबी अवधि में इसकी बड़ी सामाजिक और आर्थिक कीमत हर किसी को चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-जिम्मेदाराना तरीकों से लाई गई वित्तीय नीतियों और लोकलुभावनवाद का सबसे ज्यादा असर, सबसे गरीब समाज पर ही पड़ता है।

वित्तीय अनुशासन में रहने की सलाह

पीएम मोदी ने वैश्विक ऋण संकट (global debt crisis) के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, “दुनिया के लिए, खासकर (विकासशील देशों के लिए) यह बहुत ही चिंता का विषय है।”

पीएम नरेंद्र मोदी ने वित्तीय अनुशासन पर जोर देते कहा कि जो देश इस समय कर्ज के संकट से जूझ रहे हैं या इस संकट से उबर चुके हैं, उन्होंने अपने यहां वित्तीय अनुशासन को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है।

पीएम मोदी ने आगे यह भी बताया कि उन्होंने राज्य सरकारों से वित्तीय अनुशासन के प्रति सावधान रहने की सलाह दी है। पीएम ने कहा, “चाहे मुख्य सचिवों का राष्ट्रीय सम्मेलन हो या ऐसा कोई और मंच हो, मैंने हमेशा कहा है कि गैर-जिम्मेदार वित्तीय नीतियां और लोकलुभावनवाद कुछ समय के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि के तौर पर देखा जाए तो इसकी बड़ी सामाजिक और आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी।”

9 सालों में कई तरह के बदलाव आएः PM मोदी

लोकलुभावन वादों के दुष्परिणाम का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “इस तरह की चीजों का सबसे ज्यादा असर जिस पर पड़ता है वो ज्यादातर आर्थिक रूप से बेहद कमजोर लोग होते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 9 सालों में देश में आई राजनीतिक स्थिरता की वजह से अर्थव्यवस्था, शिक्षा, बैंकिंग के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्रों में कई तरह के सुधारों को जन्म दिया है।

उन्होंने यह भी कहा, वैश्विक इतिहास में देखा जाए तो लंबे समय तक, भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक देश था, लेकिन बाद में परिस्थितियां बदलीं और कई तरह के उपनिवेशवाद की वजह से हमारी वैश्विक उपस्थिति कम होती चली गई। उन्होंने आगे कहा, “लेकिन भारत अब फिर से आगे बढ़ रहा है। जिस गति से हमने एक दशक से भी कम समय में 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक की छलांग लगाई है, उसने इसे सही करार दिया है कि भारत का मतलब बिजनेस है!” PM Modi Interview

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