Politics Of The South : दक्षिण भारत की राजनीति में भाजपा और उसके गठबंधन एनडीए को एक बड़ा झटका लगा है। क्यों कि भाजपा नेतृत्व में एनडीए गठबंधन में शामिल और केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए में सहयोगी पीएमके पार्टी एक अलग राह पकड़ती दिख रही है। क्यों कि एनडीए में शामिल होने के बाद भी पीएमके ने स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके जो केंद्र के स्तर पर विपक्षी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है, उसे खुला आॅफर देकर न केवल सबको चौंका दिया बल्कि दक्षिण की राजनीति की दिशा ही मोड़ दी है। पीएमके उत्तरी तमिलनाडु के वन्नियार समुदाय में खासा प्रभाव रखती है। पीएमके ने प्रस्ताव दिया है कि यदि वन्नियार समुदाय को अति पिछड़े वर्ग (एमबीसी) कोटा में से 15 प्रतिशत इंटरनल आरक्षण दे दिया जाए तो वो तमिलनाडु में डीएमके सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार है।
तमिलनाडु की सियासत में बड़ा बदलाव
आरक्षण के मुद्दे के बहाने तमिलनाडु की सियासत में बड़ा बदलाव होने के संकेत मिल रहे हैं। वन्नियार समुदाय में खासा प्रभाव रखने वाली पार्टी पीएमके के अध्यक्ष अंबुमणि रामदास ने कहा कि यदि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ये आरक्षण वन्नियार समुदाय को दे दिया जाए तो उनकी पार्टी डीएमके को चुनावों में बिना शर्त समर्थन देगी। यदि ऐसा होता है तो तमिलनाडु की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अध्यक्ष रामदास ने तो यहां तक कहा कि समर्थन के बदले वह किसी सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा तक जाहिर नहीं करेगी। अब आगे देखना है कि अगर ये समझौता हो जाता है तो दो ध्रुवों के एक साथ इकट्ठा होने से दक्षिण की राजनीति में इंडिया गठबंधन की बल्ले बल्ले हो जाएगी। भाजपा और उसकी एनडीए गठबंधन के लिए यह बड़ा झटका और नुकसान साबित होगा।
तमिलनाडु में आरक्षण का प्रतिशत
तमिलनाडु में इस वक्त आरक्षण का प्रतिशत कुछ इस प्रकार है। वहां अभी 69 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। इनमें से 30 प्रतिशत पिछड़े वर्गों (ओबीसी), 20 प्रतिशत अति पिछड़े वर्गों (एमबीसी), 18 प्रतिशत एससी और 1 प्रतिशत एसटी समुदाय को आरक्षण का लाभ मिलता है। अब पीएमके चाहती है कि अगर एमबीसी कोटे के अंतर्गत आने वाले कुल 20 प्रतिशत में से 15 फीसद आरक्षण वन्नियार समुदाय को दे दी जाए तो वह इंडिया गठबंधन में शामिल डीएमके को बिना शर्त समर्थन दे देगी। अपनी बात के समर्थन में पीएमके ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एससी कैटेगरी के अंतर्गत 3 प्रतिशत अरुंधतीयार समुदाय को सब कोटा देने के फैसले को जिस तरह उचित ठहराया है, उसी तरह की व्यवस्था एमबीसी में वन्नियार समुदाय के लिए करने की बात की है। पीएमके का मानना है कि यह इंटरनल रिजर्वेशन का सवाल है कोई जातिगत मसला नहीं है। क्यों कि वन्नियार समुदाय के लोगों की हालत खराब है और दिहाड़ी, मजदूरी का काम करने के लिए विवश हैं। इस ये सामाजिक न्याय के तहत यदि इनको आरक्षण का लाभ मिलेगा तो इनकी शैक्षणिक और पेशेगत उन्नति हो सकेगी, जो न्यायसम्मत होगा।
स्टालिन की राह होगी आसान
अगर वर्तमान स्टालिन की सरकार ने पीएमके के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो यह दक्षिण की राजनीति में मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल दक्षिण की राजनीति में बदलाव लाएगा बल्कि वर्तमान स्टालिन सरकार की आगे होने वाले चुनाव में भी उसका राह आसान करेगी। फिर इंडिया गठबंधन के सदस्य डीएमके को तमिलनाडु में हिलाना भी मुश्किल हो जाएगा।
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