Bird Lover : पक्षी प्रेमी ने बसा रखी है देशी-विदेशी परिंदों की दुनिया

Birds
Bird lover has settled the world of indigenous and foreign birds
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 02:19 PM
bookmark
शाहजहांपुर। शाहजहांपुर के पक्षी प्रेमी पंकज बाथम ने देशी-विदेशी पक्षियों का एक अभयारण्य बनाया है, जो लोगों को आकर्षित करता है। बाथम को यह प्रेरणा अपनी दादी से मिली, जिनका पक्षियों से विशेष नाता था। वह पक्षियों को पालती थीं और अक्सर उनसे बातें भी करती थीं।

Bird Lover

शाहजहांपुर शहर के निवासी पंकज बाथम ने बताया कि जब हम छोटे थे, तब हमारी दादी सुमति देवी बाथम चिड़ियों को पालती थीं, उनसे बातें करती थीं। दादी के निधन के बाद अब उनके इस शौक को मैंने आगे बढ़ाया। मोहम्मदपुर में अपने चार एकड़ के फार्म हाउस में 28 प्रजाति की विदेशी तथा अन्य सैकड़ों देसी चिड़ियों का संसार बसा रखा है।

Old car scrap : 2000 करोड़ के ख़र्च से कारों का बनेगा कबाड़ा

उन्होंने बताया कि उनके फार्म हाउस पर पक्षियों की कुछ विदेशी नस्लों में लेडी अमरांता (मलेशिया), रिंगनेट (पोलैंड), योकोहामा (वियतनाम), सिल्की (अमेरिका) और व्हाइट कैप (हॉलैंड) शामिल हैं। इसके अलावा कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे और मसकली किस्म के कबूतर भी हैं। बाथम ने बताया कि इन पक्षियों के लिए घोंसले बनाए गए हैं, ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में हवा मिल सके। समय-समय पर पक्षियों को विटामिन और एंटीबायोटिक पाउडर दिया जाता है, ताकि वे स्वस्थ रहें। उन्होंने बताया कि मैं भोजन करने से पहले खुद अपने फार्म हाउस में घूमता हूं, देखता हूं कि कोई चिड़िया अस्वस्थ तो नहीं है। इस काम के लिए दो कर्मचारी तैनात हैं, जो चिड़ियों को भोजन पानी की व्यवस्था करते हैं और उनकी पहरेदारी भी करते हैं।

Bird Lover

पंकज बाथम ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन माध्यम से विदेशी नस्ल के पक्षी मिलते हैं। ये पक्षी विदेशों से प्रवास के लिए केरल आते हैं और फिर इन्हें ट्रेन से लखनऊ पहुंचाया जाता हैं, जहां से वह इन पक्षियों को लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि एक विदेशी नस्ल के पक्षी की कीमत लगभग 25,000 रुपये है।

Nepal Plane Crash : नेपाल में बड़ा विमान हादसा, पोखरा के पास पहाड़ी से टकराकर यात्री विमान क्रैश, क्रू मेंबर समेत 72 लोग थे सवार

बाथम के फार्म हाउस में फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में नजर आ चुके मसकली कबूतर मौजूद दिखे, जो मोर की तरह नाचते हैं। इसकी लंबाई छह इंच है। इसके अलावा तीन इंच लंबा ऑस्ट्रेलियाई तोता भी यहां मौजूद है। बाथम ने बताया कि उनके इस आशियाने में रोजाना सुबह करीब नौ बजे सैकड़ों पक्षी आते हैं, जिन्हें वह दाना डालते हैं। उन्होंने दावा किया कि खेत के कुछ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पक्षियों का कोई शिकार नहीं होता है। पंकज ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कई पक्षियों को इन्हें बेचने वालों से मुक्त कराया है। स्वामी सुखदेवानंद कॉलेज में जंतु विज्ञान के आचार्य डॉ. रमेश चंद्र ने बताया कि विदेशी नस्ल के पक्षियों का व्यवहार अलग होता है। वे जिस तरह की जलवायु होती है, उसी वातावरण में खुद को ढाल लेते हैं। एक निजी कॉलेज की प्राचार्य शैल सक्सेना ने कहा कि हमारे कॉलेज के करीब 100 छात्र अपने शिक्षकों के साथ विदेशी नस्ल के पक्षियों को देखने के लिए बाथम के फार्म हाउस गए थे। पक्षियों के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली, वह उत्साहजनक थी। पशु-पक्षियों पर काम करने वाली संस्था (पृथ्वी) के धीरज रस्तोगी ने बताया कि 1993 तक साइबेरियाई पक्षी शाहजहांपुर के बहादुरपुर इलाके में पड़ाव डालते थे। हालांकि, वहां निर्माण होने से ऐसे पक्षियों का आना बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि जिले में तालाबों और झीलों के सूखने के कारण भी साइबेरियाई पक्षी जिले में नहीं आ रहे हैं।
अगली खबर पढ़ें

Musical Police Station : क्राइम मामलों का खुलासा करने पर इस थाने में होता है नाच गाना

04 11
Musical Police Station
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:42 AM
bookmark

Musical Police Station : क्या आपने कभी सुना है कि किसी थाना पुलिस द्वारा अपराधिक मामलों का खुलासा करने के बाद थाने में नाच गाना होता हो। यदि नहीं सुना तो हम आपको बताते हैं कि भारत में एक थाना ऐसा भी है, जहां पर अपराधिक मामलों का राजफाश करने के बाद पुलिस वाले नाच गाने का मजा लेते हैं। हैरत की बात यह है कि इस पर किसी भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को कोई एतराज नहीं होता है।

Musical Police Station

लगातार दबाव एवं तनाव के माहौल में काम करने के बाद महाराष्ट्र के पुणे के लश्कर थाने में तैनात पुलिसकर्मी स्वयं को तनावमुक्त करने के लिए संगीत का सहारा लेते हैं। पुणे शहर के छावनी क्षेत्र में स्थित यह थाना शायद महाराष्ट्र का पहला ऐसा थाना है, जिसमें ‘संगीत कक्ष’ है। यह संगीत कक्ष केरीओके (संगीत की धुन पर गीत गाना) सिस्टम, स्पीकर और साउंड मिक्सर से सुसज्जित है।

दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद पुलिसकर्मी इस कमरे में आराम करते हैं, लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी और अन्य गायकों के पुराने लोकप्रिय गाने गाते हैं। कुछ पुलिस कर्मी अपनी पसंद के गानों पर नृत्य भी कर लेते हैं।

वरिष्ठ निरीक्षक अशोक कदम ने कहा कि कोविड-19 का कहर कम होने के बाद अपने कर्मियों को तनावमुक्त करने के लिए हमने संगीत की मदद से उपचार करने वाले डॉ. संतोष बोराडे की सहायता से एक संगीत चिकित्सा सत्र आयोजित किया।

डॉ. बोराडे के सुझाव पर थाने में एक छोटा स्पीकर और माइक लगाया गया है। वरिष्ठ निरीक्षक अशोक कदम ने कहा कि चूंकि हमारा थाना हमेशा ‘बंदोबस्त ड्यूटी’ के दबाव में रहता है और कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है, इसलिए कर्मचारियों को इस तरह की (मानसिक) राहत की जरूरत थी।

माइक और स्पीकर मिलने के बाद थाने के कई पुलिसकर्मी गायन का आनंद लेने लगे। अधिकारियों ने तब सोचा कि उन्हें केरीओके सिस्टम, मिक्सर और सिंगिंग माइक जैसे कुछ उच्च-स्तरीय उपकरण खरीदने चाहिए। एक स्थानीय गुरुद्वारे ने उन्हें उपकरण दिलाने में मदद की।

कदम ने कहा कि आज हमारे पास पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबल सहित लगभग 15 पुलिसकर्मी हैं, जो संगीत कक्ष में नियमित रूप से गाना गाते हैं।

इस पहल के बारे में पता चलने पर पुलिस आयुक्त और संयुक्त पुलिस आयुक्त सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने थाने के कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया।

उपनिरीक्षक विनायक गुर्जर को गाना हमेशा से पसंद था, लेकिन नौकरी की वजह से यह शौक पीछे छूट गया। अब वह हर दिन ड्यूटी के बाद अपने पसंदीदा संगीत का अभ्यास करते हैं। उन्होंने कहा कि हम में से करीब पंद्रह कर्मी शाम सात बजे के बाद संगीत कक्ष में इकट्ठा होते हैं और गाते हैं।

उन्होंने कहा कि कभी-कभी स्थानीय संगीत प्रेमी भी उनके साथ संगीत सत्र में शामिल हो जाते हैं।

पुलिस हेड कांस्टेबल रहीशा शेख दिन का काम खत्म करने के बाद कुछ देर गाने का अभ्यास करती हैं। उन्होंने कहा कि मेरा विश्वास कीजिए, यह बहुत सुकून और राहत देने वाला होता है।

निरीक्षक कदम के अनुसार, तनाव का स्तर कम होने से काम की उत्पादकता भी बढ़ गई है और अगर कर्मियों को कोई अतिरिक्त आधिकारिक काम सौंपा जाता है तो वे शिकायत नहीं करते हैं।

कदम ने कहा कि इस पहल से महत्वपूर्ण लाभ यह हुआ है कि आम तौर पर अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को साझा नहीं करने वाले कर्मियों ने अब वरिष्ठ अधिकारियों के साथ खुलकर बात करना शुरू कर दिया है।

Surya Rashi Rarivartan : चमकने वाली है इन राशि वालों की किस्मत !

देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें। News uploaded from Noida
अगली खबर पढ़ें

Johatsu Tradition: यहां भाप बन गायब हो रहे हैं लोग, चौंकाने वाली है वजह

10 9
Johatsu Tradition
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 Jan 2023 08:57 PM
bookmark

Johatsu Tradition: विश्व में एक जगह ऐसी है, जहां पर लोग भाप की तरह गायब हो रहे हैं। वजह हैरान कर देने वाली है। दरअसल ये जगह जापान में है और यहां के लोग घर छोड़कर जा रहे हैं। जापान में इस तरह के लोगों को जोहात्सु कहा जाता है। आपको बता दें कि जिस प्रकार भारत में शांति की तलाश में लोग हिमालय या अन्य पर्वतीय स्थल पर चले जाते हैं। भारत की इस परंपरा का निर्वहन इन दिनों जापान में किया जा रहा है।

Johatsu Tradition

आपको बता दें कि जापानी भाषा में जोहात्सु का मतलब होता है, भाप बनकर उड़ जाना है। यहां के लोग परिवार या नौकरी से तंग आकर अचानक गायब हो जाते हैं। हालांकि ये लोग अपनी जिंदगी खत्म नहीं करते यानी वो अपने जीवन को नुकसान पहुंचाने के बजाए एक नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं। इस काम के लिए अब कुछ प्राइवेट कंपनियां मददगार बनती हैं जो एक निर्धारित फीस लेकर लोगों को भाप की तरह गायब होने में मदद करती हैं।

जोहात्सु यानी वो लोग जो रोजमर्रा की तरह घर से नौकरी या अपनी दुकान के लिए निकले और फिर वापस नहीं लौटे। इन्ही गायब होने वाले लोगों को जोहात्सु कहते हैं। अधिकतर मामलों में ऐसा देखने को मिला है, जब परिवार वालों के काफी ढूंढने पर भी कोई सुराग नहीं मिल पाता। लोगों के अचानक गायब होने के पीछे का कारण परिवार के लोग, नौकरी का तनाव या फिर भारी कर्ज होता है। ऐसी स्थितियों में लोग गायब होने का फैसला कर लेते हैं।

इस काम को प्रोफेशन बनाने वाले लोगों का कहना है कि गायब होने की वजह हमेशा नकारात्मक नहीं होती। कई बार लोग नई नौकरी शुरू करने या नई शादी करने के लिए भी ऐसा करते हैं। एक जापानी वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, जोहात्सु पर कई दशक तक रिसर्च करने वाले समाजशास्त्री हिरोकी नाकामोरिक का कहना है कि इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले गायब होने वाले लोगों के लिए 1960 के दशक में किया जाता था।

जापानी एक्सपर्ट्स का कहना है कि उनके देश में तलाक के मामलों में कमी की वजह भी जोहात्सु है, क्योंकि बहुत से लोग यहां तलाक लेने की कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने की जगह जोहात्सु होना ज्यादा बेहतर समझते हैं। इस कॉन्सेप्ट के कामयाब होने की एक वजह ये भी है कि जापान में प्राइवेसी को लेकर बेहद सख्त कानून हैं। यहां पुलिस लापता शख्स को तब तक नहीं तलाशती, जब तक उसे किसी अपराध या दुर्घटना में फंसने की आशंका न हो। ऐसे में लापता व्यक्ति अपने एटीएम से पैसे निकाल सकता है। अपनी जिंदगी के अधूरे सारे काम कर सकता है। हालांकि जब कानून मदद नहीं करता को लापता व्यक्ति के परिवार प्राइवेट जासूसों की मदद लेते हैं। इसलिए यहां निजी डिडेक्टिव एजेंसियों की संख्या भी आस-पड़ोस के देशों से ज्यादा है।

Google : सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गूगल, एनसीएलएटी के आदेश को दी चुनौती