Political: तीन दशकों के वनवास का मिथक तोड़ पाएगी कांग्रेस !

Congress
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:18 AM
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अरूण सिन्हा

नोएडा। आज रामनवमी है। प्रभु श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आ रहे हैं, लेकिन नोएडा में कांग्रेस पार्टी पिछले तीन दशक से झेल रहे वनवास का मिथक क्या वर्ष-2022 के विधानसभा चुनाव में तोड़ पाएगी।यह एक यक्ष प्रश्न है। जिसका जवाब न तो पार्टी कार्यकर्ताओं के पास है और न ही शीर्ष नेतृत्व के पास।

सर्वविदित है कि नोएडा विधानसभा क्षेत्र (पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र) में 1985 में कांग्रेस के विजयपाल चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद से कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी यहां से जीत हासिल नहीं कर सका। यदि पिछले 20 वर्षों के चुनाव पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस का प्रत्याशी अमूमन तीसरे या चौथे पायदान पर ही रहा। हालांकि इस बार प्रियंका गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद कार्यकर्ताओं में जोश तो बढ़ा है, लेकिन यह जोश इस मिथक को तोड़ पाएगा, कहना मुश्किल है। वर्ष-2017 में हुए नोएडा विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की साइकिल पर कांग्रेस सवार हुई थी इसके बाद भी भाजपा ने संयुक्त प्रत्याशी सुनील चौधरी को 104066 मतों से शिकस्त दी थी। सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सुनील चौधरी को 58401 वोट मिले थे। वहीं भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह को 162417 वोट मिले थे। वर्ष-2014 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र अवाना को 17212 वोट मिले थे। तथा वे तीसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2012 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा. वी.एस. चौहान को 25482 वोट हासिल करके चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। बता दें कि नोएडा विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2012 में हुआ था इसके पहले दादरी विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था।

वर्ष 2007 के चुनाव में दादरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रघुराज सिंह को 23875 वोट हासिल हुए थे तथा वे चौथे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2002 में हुए चुनाव में अलबत्ता कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ सिंह को 39019 वोट मिले थे तथा वे दूसरे स्थान पर रहे थे। कुल मिलाकर 1985 के बाद से कांग्रेस की स्थिति यहां पर बद से बदतर होती चली गयी। कार्यकर्ता इसका प्रमुख कारण शीर्ष नेतृत्व की गलत नीतियां एवं निर्णय के अलावा संगठन की कमजोरी को मानते हैं। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए हालांकि पार्टी में 19 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। लेकिन क्या इस बार पार्टी का प्रत्याशी तीन दशकों के वनवास के मिथक को तोड़ पाएगा, यह चर्चा का विषय है।

नोएडा विधानसभा (पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र ) वर्ष 2017 2014 2012 2007 2002 प्रत्याशी

सुनील चौधरी (सपा-कांग्रेस संयुक्त प्रत्याशी) राजेन्द्र अवाना डा. वी.एस. चौहान रघुराज सिंह रघुराज सिंह

वोट 58401 17212 25482 23875 39019

स्थिति

दूसरे स्थान पर तीसरे स्थान पर चौथे स्थान पर चौथे स्थान पर दूसरे स्थान पर वोट का प्रतिशत

10.45 12.15 10.29 20.38
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राजनीति : संघ का नया दांव?

संघ प्रमुख मोहन भागवत
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 12:08 AM
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 विनय संकोची

जब भी कोई चुनाव भारतीय जनता पार्टी की प्रतिष्ठा को प्रभावित करने वाला प्रतीत होता है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई विवादित मुद्दा लेकर आ खड़ा होता है और वही मुद्दा भाजपा का तारणहार बन जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे से उत्तेजित होता है और उसके उत्तेजना का लाभ संघ के माध्यम से भाजपा को मिल जाता है।...और यह सब तब होता है, जब कि संघ स्वयं को गैर राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संगठन बताते नहीं थकता है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत एक नए विवादित बयान के साथ सामने आए हैं। उन्होंने अपने ताजा बयान में कहा है कि वीर सावरकर को बदनाम करने वाले अभी और आगे बढ़ेंगे, अभी कुछ और महान विभूतियों को बदनाम करने की साजिश की जाएगी। इस संदर्भ में भागवत ने तीन नाम बताए - स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद।

उल्लेखनीय है कि इन तीन महान विभूतियों को सावरकर से जोड़कर संघ प्रमुख ने पेश किया है। सावरकर को स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद के समकक्ष खड़ा करने का यह एक ऐसा प्रयास है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

सावरकर को राष्ट्रवादी और दूरदर्शी बताते हुए संघ प्रमुख ने यहां तक कह डाला कि यह सावरकर युग है, यह युग देशभक्ति का है, यह कर्तव्य और भागीदारी को सिखाने वाला युग है। संघ प्रमुख ने यह नहीं बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ कथित रूप से अपने कर्तव्य के प्रति विमुख क्यों था?

मोहन भागवत ने कहा कि चूंकि सावरकर स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद से प्रभावित थे इसलिए इन तीनों विभूतियों को बदनाम करने की साजिश रची जाएगी। यह तर्क नहीं विशुद्ध कुतर्क है। यदि कोई शिष्य अथवा अनुयायी अपने शिक्षक अथवा गुरु की शिक्षा व विचारों के अनुसार व्यवहार ना करें, तो निंदा आलोचना तो शिष्य की ही होती है न कि गुरु अथवा शिक्षक की। जिन तीन महान विभूतियों के नाम संघ प्रमुख ने लिए उनके विचारों से देश-विदेश के करोड़ों करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। इन महान आत्माओं की शिक्षाओं को आत्मसात करने वाले असंख्य लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए हैं। प्रश्न उठता है कि निंदा और आलोचना सावरकर की ही क्यों होती है बाकी लोगों की क्यों नहीं? एक व्यक्ति की आलोचना से तीन-तीन महान आध्यात्मिक विभूतियों को टारगेट किए जाने की आशंका जताने के पीछे संघ प्रमुख का कोई तो आज एजेंडा जरूर है। भागवत या संघ के अन्य विचारकों, प्रचारकों के मन में यह विचार आज तक क्यों नहीं आया कि सावरकर की आलोचना तो देश की आजादी से पहले और आजादी के बाद से लगातार होती रही है, सावरकर स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद के विचारों से प्रभावित तो यह रहस्योद्घाटन आज से पहले संघ या सावरकर समर्थकों ने क्यों नहीं किया?

संघ, भाजपा के लिए सावरकर को एक महामानव और देश रक्षक के रूप में खड़ा करना चाहता है। सावरकर को उन महान विभूतियों से जोड़कर पेश करना चाहता है जो हिंदुत्व के पैरोकार थे। लेकिन उनका हिंदुत्व सावरकर के हिंदू वाद से बिल्कुल मेल नहीं खाता है। तीनों महान विभूतियों के साथ सावरकर का नाम जोड़कर सावरकर के हिंदुत्व को उनके हिंदू वाद से प्रभावित बता कर संघ एक नया खेल रचना चाहता है ताकि उसका लाभ निकट भविष्य में भाजपा को मिले। अब जल्द यह भी देखने को मिल सकता है कि कुछ लोग स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद की निंदा आलोचना करते मिलें। यह भी संघ का ही एक गेम प्लान होगा। ये निंदक संघ की विचारधारा के प्रचारक, विस्तारक और पोषक भी हो सकते हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर संघ का काम करते हैं। रही सही कसर सोशल मीडिया पर बैठे भाजपा समर्थक पूरी कर देंगे। सावरकर महान विभूतियों के विचारों से प्रभावित होंगे, लेकिन इस बात के लिए उन महान विभूतियों को कोई बदनाम करेगा, यह दलील खोखली है, निराधार है।

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Dharam Karma : वेद वाणी

Rigveda
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:52 AM
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Sanskrit : वयं मित्रस्यावसि स्याम सप्रथस्तमे। अनेहसस्त्वोतयः सत्रा वरुणशेषसः॥ ऋग्वेद ५-६५-५॥

Hindi : हम स्नेह के देवता के संरक्षण में रहें। हम अहिंसक और सत्यवादी हों। हम अच्छे मित्र के साथ रहे। हम पाप रहित रहे और स्नेह करें। (ऋग्वेद ५-६५-५) #vedgsawana

English: May we be under the protection of the Devta of affection. Let us be non-violent and truthful. May we stay with good friends. May we be free from sin and have love for everyone. (Rig Veda 5-65-5) #vedgsawana