Political: तीन दशकों के वनवास का मिथक तोड़ पाएगी कांग्रेस !

अरूण सिन्हा
नोएडा। आज रामनवमी है। प्रभु श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आ रहे हैं, लेकिन नोएडा में कांग्रेस पार्टी पिछले तीन दशक से झेल रहे वनवास का मिथक क्या वर्ष-2022 के विधानसभा चुनाव में तोड़ पाएगी।यह एक यक्ष प्रश्न है। जिसका जवाब न तो पार्टी कार्यकर्ताओं के पास है और न ही शीर्ष नेतृत्व के पास।
सर्वविदित है कि नोएडा विधानसभा क्षेत्र (पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र) में 1985 में कांग्रेस के विजयपाल चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद से कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी यहां से जीत हासिल नहीं कर सका। यदि पिछले 20 वर्षों के चुनाव पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस का प्रत्याशी अमूमन तीसरे या चौथे पायदान पर ही रहा। हालांकि इस बार प्रियंका गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद कार्यकर्ताओं में जोश तो बढ़ा है, लेकिन यह जोश इस मिथक को तोड़ पाएगा, कहना मुश्किल है। वर्ष-2017 में हुए नोएडा विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की साइकिल पर कांग्रेस सवार हुई थी इसके बाद भी भाजपा ने संयुक्त प्रत्याशी सुनील चौधरी को 104066 मतों से शिकस्त दी थी। सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सुनील चौधरी को 58401 वोट मिले थे। वहीं भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह को 162417 वोट मिले थे। वर्ष-2014 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र अवाना को 17212 वोट मिले थे। तथा वे तीसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2012 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा. वी.एस. चौहान को 25482 वोट हासिल करके चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। बता दें कि नोएडा विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2012 में हुआ था इसके पहले दादरी विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था।
वर्ष 2007 के चुनाव में दादरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रघुराज सिंह को 23875 वोट हासिल हुए थे तथा वे चौथे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2002 में हुए चुनाव में अलबत्ता कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ सिंह को 39019 वोट मिले थे तथा वे दूसरे स्थान पर रहे थे। कुल मिलाकर 1985 के बाद से कांग्रेस की स्थिति यहां पर बद से बदतर होती चली गयी। कार्यकर्ता इसका प्रमुख कारण शीर्ष नेतृत्व की गलत नीतियां एवं निर्णय के अलावा संगठन की कमजोरी को मानते हैं। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए हालांकि पार्टी में 19 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। लेकिन क्या इस बार पार्टी का प्रत्याशी तीन दशकों के वनवास के मिथक को तोड़ पाएगा, यह चर्चा का विषय है।
नोएडा विधानसभा (पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र ) वर्ष 2017 2014 2012 2007 2002 प्रत्याशीसुनील चौधरी (सपा-कांग्रेस संयुक्त प्रत्याशी) राजेन्द्र अवाना डा. वी.एस. चौहान रघुराज सिंह रघुराज सिंह
वोट 58401 17212 25482 23875 39019स्थिति
दूसरे स्थान पर तीसरे स्थान पर चौथे स्थान पर चौथे स्थान पर दूसरे स्थान पर वोट का प्रतिशत
10.45 12.15 10.29 20.38अगली खबर पढ़ें
अरूण सिन्हा
नोएडा। आज रामनवमी है। प्रभु श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आ रहे हैं, लेकिन नोएडा में कांग्रेस पार्टी पिछले तीन दशक से झेल रहे वनवास का मिथक क्या वर्ष-2022 के विधानसभा चुनाव में तोड़ पाएगी।यह एक यक्ष प्रश्न है। जिसका जवाब न तो पार्टी कार्यकर्ताओं के पास है और न ही शीर्ष नेतृत्व के पास।
सर्वविदित है कि नोएडा विधानसभा क्षेत्र (पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र) में 1985 में कांग्रेस के विजयपाल चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद से कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी यहां से जीत हासिल नहीं कर सका। यदि पिछले 20 वर्षों के चुनाव पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस का प्रत्याशी अमूमन तीसरे या चौथे पायदान पर ही रहा। हालांकि इस बार प्रियंका गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद कार्यकर्ताओं में जोश तो बढ़ा है, लेकिन यह जोश इस मिथक को तोड़ पाएगा, कहना मुश्किल है। वर्ष-2017 में हुए नोएडा विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की साइकिल पर कांग्रेस सवार हुई थी इसके बाद भी भाजपा ने संयुक्त प्रत्याशी सुनील चौधरी को 104066 मतों से शिकस्त दी थी। सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सुनील चौधरी को 58401 वोट मिले थे। वहीं भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह को 162417 वोट मिले थे। वर्ष-2014 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र अवाना को 17212 वोट मिले थे। तथा वे तीसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2012 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा. वी.एस. चौहान को 25482 वोट हासिल करके चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। बता दें कि नोएडा विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2012 में हुआ था इसके पहले दादरी विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था।
वर्ष 2007 के चुनाव में दादरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रघुराज सिंह को 23875 वोट हासिल हुए थे तथा वे चौथे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2002 में हुए चुनाव में अलबत्ता कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ सिंह को 39019 वोट मिले थे तथा वे दूसरे स्थान पर रहे थे। कुल मिलाकर 1985 के बाद से कांग्रेस की स्थिति यहां पर बद से बदतर होती चली गयी। कार्यकर्ता इसका प्रमुख कारण शीर्ष नेतृत्व की गलत नीतियां एवं निर्णय के अलावा संगठन की कमजोरी को मानते हैं। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए हालांकि पार्टी में 19 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। लेकिन क्या इस बार पार्टी का प्रत्याशी तीन दशकों के वनवास के मिथक को तोड़ पाएगा, यह चर्चा का विषय है।
नोएडा विधानसभा (पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र ) वर्ष 2017 2014 2012 2007 2002 प्रत्याशीसुनील चौधरी (सपा-कांग्रेस संयुक्त प्रत्याशी) राजेन्द्र अवाना डा. वी.एस. चौहान रघुराज सिंह रघुराज सिंह
वोट 58401 17212 25482 23875 39019स्थिति
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