ISIS के खिलाफ ऐलान-ए-जंग?

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Aug 2021 06:37 PM
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बीते दिन काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले में अमेरिका के 13 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 18 से अधिक सैनिक घायल हो गए हैं। इस हादसे के बाद जो बाइडेन ने देश को संबोधित करते हुए आतंकियों को चुनौती दे दी है। उन्होंने कहा कि हमला करने वालों को ढूंढ-ढंढकर मारेंगे, छोड़ेंगे नहीं। मालूम हो, एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले ही ऐलान किया था कि 31 अगस्त तक वे अपनी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुला लेंगे। लेकिन दूसरी तरफ बाइडन का यह बयान अपने आप में बहुत सवाल खड़े कर रहा है। खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला त्याग दिया है, क्या अमेरिका अब अफगान की धरती को तालिबान के कब्जे से एक बार फिर मुक्त कराएगा। हालांकि अमेरिकियों की ओर से अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है। बता दें कि बीते दिन काबुल एयरपोर्ट पर हुए बम विस्फोट को एक आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि हमलावर फायरिंग करते हुए आया और उसने खुद को बम से उड़ा लिया। अधिकारियों के मुताबिक एयरपोर्ट के जिस गदे पर यह हादसा हुआ उसका नाम एबी गेट है। वहां पर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के सैनिक तैनात रहते हैं जिनको निशाना बनाया गया। वहीं, दूसरा आत्मघाती हमला एयरपोर्ट के सामने मौजूद बैरन होटल के बाहर हुआ, जो कि ऐबी गेट से कुछ ही दूरी पर है। इस हमले में करीब 60 से अधिक लोगों की जान गई है जबकि 140 से अधिक लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, इस घटना की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन आईएसआईएस-के ने ली है। माना जा रहा है ये संगठन तालिबान से भी अधिक कट्टरपंथी है। इस हमले की निंदा करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में मंत्रालय ने हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। साथ ही भारत ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये धमाका बताता है कि हमें आतंकवाद और इसे पोषित करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर काबुल में हुए नरसंहार पर संवेदना जाहिर की है। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की जड़ आईएस-के जैसा आतंकी संगठन ही है। तालिबान भले ही आईएस से गठजोड़ पर इंकार करता रहे, लेकिन हमारे पास इसके सारे सबूत हैं। तालिबान ठीक वैसे ही आईएसआईएस से संबंध होने का इंकार कर रहा है, जैसे पाकिस्तान क्वेटा शूरा पर करता रहा है।

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अफगानिस्तान की सत्ता संभालेंगे 5 खुंखार

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:36 AM
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अफगानिस्तान को तालिबान ने इस्मालिक अमीरात बना दिया। अफगानिस्तानी सत्ता संभालने में 5 खुंखार नाम सामने आए है। हमले के दौरान राष्ट्रपति भवन, संसद भवन समेत सभी सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया गया है। तालिबान के हमले से दुनिया में अफरा-तफरी मच गई। सत्ता की मुख्य जिममेदारी हिब्तुल्लाह अखुंदजादा के हाथों में होगी। इसके साथ मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, मुल्ला मोहम्मद याकूब, सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला अब्दुल हकीम के हाथों में सत्ता की कमान सौंपी जाएगी। 1996 से 2001 तक सत्ता पक्ष में शामिल रहे है। बता दें कि अखुंदजादा हत्या और चोरी करने वालों के हाथ कटवा दिए थे। इनका जन्म 1961 में अफगानिस्तान के कंधार में हुआ था। इसने तालिबान फाउंडर मुल्ला उमर को चलाया जिसमें 1 लाख से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ते थे। 25 मई 2016 को हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान की कमान सौंपी गई। अब्दुल गनी तालिबान का चीफ है, 2001 में अमेरिकी हमले के दौरान वो रक्षामंत्री रह चुका है। 2010 में अमेरिका ने इसे गिरफ्तार किया था, जिसके बाद 2013 में रिहा हो गया था। 2018 में स्वंय का राजनीतिक दफ्तर खोला था। बरादर का जन्म उरूज्गान प्रांत के देहरावुड जिले के वीटमाक गांव में 1968 में हुआ था। याकूब तालिबान संगठन के संस्थापक थे। तालिबान की रहबरी शूरा ने मोहम्मद याकूब को मिलिट्री विंग का कमांडर नियुक्त किया था। हक्कानी नेटवर्क का एमडी सिराजुद्दीन आगे प्रोपर्टी फाइनेंशियल का काम किया। विगत साल पहले अफगान राष्ट्रपति की हत्या करने की साजिश रची थी। इसने भारतीय दूतावास की हत्या करने का प्रयास किया था। अब्दुल हकीम तालिबान के शासन काल में मुख्य न्यायाधीश रहे है। इसका सबसे करीबी अखुंदजादा था।