CNG Rate : सीएनजी के जीएसटी में आने तक उत्पाद शुल्क घटाए सरकारः पारिख समिति

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Dec 2022 10:40 PM
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CNG Rate : नयी दिल्ली। किरीट पारिख समिति ने सीएनजी को जीएसटी के दायरे में लाए जाने तक इस पर लगाए जाने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है। प्राकृतिक गैस की कीमत समीक्षा के लिए गठित पारिख समिति ने पिछले हफ्ते पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। समिति ने रिपोर्ट में कहा है, हमारा मत है कि इस मसले पर राज्यों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है। इस मकसद को हासिल करने के लिए राज्यों को राजस्व में किसी भी तरह की क्षति के एवज में पांच साल तक मुआवजे का प्रावधान किया जा सकता है। सहमति बनाने की प्रक्रिया अब शुरू की जानी चाहिए। प्राकृतिक गैस के साथ कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन एटीएफ को जुलाई, 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के समय से ही इस एकीकृत कर प्रणाली से बाहर रखा गया है। हालांकि, सीएनजी पर पहले से लागू केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य वैट कर और केंद्रीय बिक्री कर अब भी बरकरार हैं। केंद्र सरकार सीएनजी पर 14 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क वसूलती है जबकि राज्यों में इस पर 24.5 प्रतिशत तक मूल्यवर्द्धित कर (वैट) लगा हुआ है।

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पारिख समिति सीएनजी को भी जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में है लेकिन इसके लिए राज्यों की सहमति लेनी जरूरी होगी। गुजरात जैसे गैस-उत्पादक राज्यों को यह डर सता रहा है कि वैट एवं अन्य शुल्कों को जीएसटी में समाहित कर दिए जाने पर उन्हें राजस्व का बड़ा नुकसान हो सकता है। इस आशंका को दूर करने के लिए समिति ने सुझाव दिया है कि जीएसटी में सीएनजी को लाए जाने तक सरकार केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दर में कटौती कर सकती है ताकि उपभोक्ताओं पर प्राकृतिक गैस की ऊंची कीमतों के बोझ को कम किया जा सके। दरअसल, सीएनजी को जीएसटी के दायरे में नहीं रखने से प्राकृतिक गैस कीमतों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि कीमतों का निर्धारण गैस उत्पादक एवं आपूर्तिकर्ता ही करते हैं। किरीट पारीख समिति ने सीएनजी की कीमतों में कमी लाने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस के लिए एक न्यूनतम एवं अधिकतम मूल्य तय करने का सुझाव भी सरकार को दिया है।

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Business अप्रत्याशित लाभ कर 2023 में धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा: फिच

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Dec 2022 10:29 PM
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Business: रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को कहा कि पेट्रोलियम कंपनियों पर लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर 2023 में कच्चे तेल के दामों में नरमी के बाद चरणबद्ध तरीके से खत्म कर दिया जाएगा।

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यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ऊर्जा के दामों में वैश्विक स्तर पर हुई बढ़ोतरी से पेट्रोलियम कंपनियों को जो अप्रत्याशित लाभ हुआ है, उसपर सरकार ने एक जुलाई से नया कर लगा दिया था। यह कर घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के साथ-साथ पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन एटीएफ के निर्यात पर भी लगाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से कर की दरों में हर पखवाड़े संशोधन किया जाता है। हालांकि, पेट्रोल के निर्यात पर लगने वाला कर खत्म कर दिया गया है।

फिच ने ‘एपीएसी तेल एवं गैस परिदृश्य 2023’ में कहा, ‘‘हमारा ऐसा मानना है कि सरकार ने 2022 में घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर जो अप्रत्याशित कर लगाया है, वह कीमतों में नरमी आने के साथ ही 2023 में धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाएगा।’’

फिच ने अनुमान जताया कि ब्रेंट कच्चे तेल के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल हो जाएंगे जो 2022 में 100 डॉलर प्रति बैरल थे। उसने आगे कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के मार्जिन में सुधार आएगा और 2022 में हुए घाटे की कुछ भरपाई हो सकेगी।’’

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड को चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किए जाने के कारण तिमाही-दर तिमाही घाटा उठाना पड़ा है।

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National : पीएम एमएसपी की कानूनी गारंटी दें, अजय को बर्खास्त करें: खैरा

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calendar01 Dec 2025 01:49 PM
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National : नयी दिल्ली। कांग्रेस की किसान इकाई के प्रमुख सुखपाल सिंह खैरा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मंगलवार को आग्रह किया कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित किया जाए और एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए। अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के अध्यक्ष खैरा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह भी कहा कि लखमीपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को बर्खास्त किया जाए तथा विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को उचित मुआवजा, नौकरी दी जाए। उन्होंने कर्जमाफी की मांग समेत किसानों से जुड़े कई अन्य विषय भी इस पत्र में उठाए।

National :

खैरा ने संवाददाताओं से कहा, देश के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों की विकट समस्याओं के प्रति केंद्र सरकार की उदासीनता और अनदेखी के मद्देनजर अखिल भारतीय किसान कांग्रेस द्वारा आगामी नौ दिसंबर को जंतर मंतर पर रैली का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा, देश भर के किसानों द्वारा चलाए गए आंदोलन को खत्म हुए लगभग एक वर्ष हो चुका है। केंद्र सरकार ने उस वक्त देश के किसानों को तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने सहित किसानों की अन्य समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन इस बारे में केंद्र सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में खैरा ने कहा, किसान अपने उत्पाद की कानूनन न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी चाहता है। यह गारंटी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर होनी चाहिए। इससे जुड़ी केंद्र सरकार की समिति को किसान पहले ही नकार चुका है। उनका कहना है, ‘‘किसानों की मांग है कि पुरानी समिति भंग की जाए और एमएसपी को कानूनन अधिकार देने के लिये नई समिति गठित की जाए जिसमें किसानों, किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।’’ खैरा ने आग्रह किया, ‘‘हमारी मांग है कि देश के किसानों और खेतिहर मजदूरों के कर्ज माफ किए जाएं ताकि किसानों को राहत प्राप्त हो सके। अगर केंद्र सरकार कारपोरेट क्षेत्र को 10 लाख करोड़ के ऋण माफ़ करके राहत दे सकती है तो देश के अन्नदाता को भी ऐसी राहत का अधिकार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लेने का लिखित वादा किया गया था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने वही विधेयक संसद में पेश कर दिया है। यह वापस लिया जाए।’’ किसान कांग्रेस के प्रमुख ने प्रधानमंत्री से मांग की, ‘‘लखीमपुर खीरी मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए और कानून सम्मत कार्यवाही कर कठोर दंड दिया जाए। गिरफ्तार किए गए बेकसूर किसानों को रिहा किया जाए, किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमे खारिज किए जाएं। केंद्र सरकार ने पीड़ित किसानों को मुआवज़ा देने का वादा किया था, उस वादे को पूरा किया जाए।’’ National : उन्होंने कहा कि किसानों की फसल को सूखा, बाढ़, तूफान, अधिक बारिश आदि प्राकृतिक आपदाओं से राहत देने के लिए सभी तरह की फसलों की कारगर बीमा योजना शुरू की जाए। उन्होंने मांग की कि सभी छोटे, लघु, मध्यम किसानों, खेतिहर मजदूरों के लिए 5000 रुपये प्रतिमाह की किसान पेंशन योजना आरंभ की जाए। खैरा ने आग्रह किया, सभी राज्यों में किसान आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे रद्द किए जाएं। किसान आंदोलनों में शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवजे के साथ-साथ नौकरी का प्रावधान सुनिश्चित बनाया जाए। सिंधु मोर्चा स्थल पर शहीद किसानों के सम्मान के लिए किसान शहीद स्मारक स्थापित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के खेत में काम कर रहे मजदूरों को भी मनरेगा के अंतर्गत लाया जाए, इससे न केवल अधिक मजदूरों को रोजगार की गारंटी प्राप्त होगी बल्कि किसानों को भी कम लागत पर खेती करने का लाभ मिलेगा।

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