Operation Kaveri : सूडान से 365 लोगों का एक और जत्था स्वदेश लौटा




Wrestlers Protest: नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यहां जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों से शनिवार को मुलाकात की और कहा कि जो भारतीय अपने देश को प्यार करते उन्हें पहलवानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
कई महिला खिलाड़ियों ने सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवान यहां करीब एक हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं। सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद हैं और दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को उनके खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं।
पहलवानों को अपना समर्थन देते हुए केजरीवाल ने कहा जो महिलाओं के साथ ऐसा गलत काम करते हैं, उन्हें “ फांसी दे दी चाहिए।”
केजरीवाल ने बाद में ट्विटर पर कहा कि पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली ये सभी महिला खिलाड़ी हमारी बेटियां हैं, इन्हें इंसाफ़ मिलना ही चाहिए। आरोपी चाहे जितना भी शक्तिशाली हो, उसे सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए।
धरना स्थल पर अपने संबोधन में केजरीवाल ने देश भर के लोगों से छुट्टी लेकर जंतर-मंतर आकर पहलवानों का समर्थन करने को भी कहा।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि प्रदर्शन स्थल पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी गई है तथा भोजन की आपूर्ति नहीं होने दी जा रही है तथा गद्दों को लाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने अपनी ओर से पहलवानों की मदद करने का वादा किया।
केजरीवाल ने कहा कि पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों समेत प्रदर्शनकारी पहलवानों ने देश का नाम रोशन किया है, इसके बावजूद उन्हें प्रदर्शन करना पड़ा और सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा।
किसी का नाम लिए बिना केजरीवाल ने कहा कि ‘एक पार्टी’ के नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ता है, भले ही वे कुछ भी गलत कर लें और यहां यही हो रहा है।
केजरीवाल ने पहलवानों को उनके संघर्ष के लिए सलाम किया और कहा कि जो लोग अपने देश से प्यार करते हैं उन्हें उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की उच्चतम न्यायालय की पीठ को बताया कि प्राथमिकी शुक्रवार को दर्ज की जाएगी जिसके घंटों के बाद पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की।
पहली प्राथमिकी एक नाबालिग द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिसके तहत यौन अपराधों से बाल संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
Wrestlers Protest: नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यहां जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों से शनिवार को मुलाकात की और कहा कि जो भारतीय अपने देश को प्यार करते उन्हें पहलवानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
कई महिला खिलाड़ियों ने सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवान यहां करीब एक हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं। सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद हैं और दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को उनके खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं।
पहलवानों को अपना समर्थन देते हुए केजरीवाल ने कहा जो महिलाओं के साथ ऐसा गलत काम करते हैं, उन्हें “ फांसी दे दी चाहिए।”
केजरीवाल ने बाद में ट्विटर पर कहा कि पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली ये सभी महिला खिलाड़ी हमारी बेटियां हैं, इन्हें इंसाफ़ मिलना ही चाहिए। आरोपी चाहे जितना भी शक्तिशाली हो, उसे सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए।
धरना स्थल पर अपने संबोधन में केजरीवाल ने देश भर के लोगों से छुट्टी लेकर जंतर-मंतर आकर पहलवानों का समर्थन करने को भी कहा।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि प्रदर्शन स्थल पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी गई है तथा भोजन की आपूर्ति नहीं होने दी जा रही है तथा गद्दों को लाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने अपनी ओर से पहलवानों की मदद करने का वादा किया।
केजरीवाल ने कहा कि पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों समेत प्रदर्शनकारी पहलवानों ने देश का नाम रोशन किया है, इसके बावजूद उन्हें प्रदर्शन करना पड़ा और सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा।
किसी का नाम लिए बिना केजरीवाल ने कहा कि ‘एक पार्टी’ के नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ता है, भले ही वे कुछ भी गलत कर लें और यहां यही हो रहा है।
केजरीवाल ने पहलवानों को उनके संघर्ष के लिए सलाम किया और कहा कि जो लोग अपने देश से प्यार करते हैं उन्हें उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की उच्चतम न्यायालय की पीठ को बताया कि प्राथमिकी शुक्रवार को दर्ज की जाएगी जिसके घंटों के बाद पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की।
पहली प्राथमिकी एक नाबालिग द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिसके तहत यौन अपराधों से बाल संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

Latest News : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट तलाक के लिए सहमत दंपति को विवाह विच्छेद के लिए परिवार अदालतों में भेजे बगैर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत बड़ी अदालत को प्रदत्त असीम शक्तियों का उपयोग करने के लिए व्यापक मानदंडों पर एक मई को फैसला सुना सकता है। न्यायमूर्ति एस.के. कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए.एस.ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे.के.माहेश्वरी की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 29 सितंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि सामाजिक बदलाव होने में ‘थोड़ा वक्त’ लगता है और कभी-कभी कानून लाना आसान होता है, लेकिन इसके साथ बदलने के लिए समाज को मनाना मुश्किल होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में विवाह में परिवार के बड़ी भूमिका निभाने की बात स्वीकार की थी।
संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित किसी विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए शीर्ष न्यायालय के आदेशों को लागू किये जाने से संबद्ध है।
शीर्ष न्यायालय इस विषय पर भी विचार कर रहा है कि अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त उसकी असीम शक्तियां क्या किसी भी तरह से एक ऐसी परिस्थिति में बाधित होती हैं, जब अदालत के अनुसार विवाह विच्छेद तो हो जाता है लेकिन एक पक्ष तलाक का प्रतिरोध करता है।
यहां दो सवाल उठते हैं जो पूर्व में संविधान पीठ के पास भेजे गये थे, इसमें यह शामिल है कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय द्वारा इस तरह के अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, या इस तरह के कार्य को प्रत्येक मामले में तथ्यों के आधार पर निर्धारित करने के लिए छोड़ देना चाहिए।
Latest News : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट तलाक के लिए सहमत दंपति को विवाह विच्छेद के लिए परिवार अदालतों में भेजे बगैर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत बड़ी अदालत को प्रदत्त असीम शक्तियों का उपयोग करने के लिए व्यापक मानदंडों पर एक मई को फैसला सुना सकता है। न्यायमूर्ति एस.के. कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए.एस.ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे.के.माहेश्वरी की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 29 सितंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि सामाजिक बदलाव होने में ‘थोड़ा वक्त’ लगता है और कभी-कभी कानून लाना आसान होता है, लेकिन इसके साथ बदलने के लिए समाज को मनाना मुश्किल होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में विवाह में परिवार के बड़ी भूमिका निभाने की बात स्वीकार की थी।
संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित किसी विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए शीर्ष न्यायालय के आदेशों को लागू किये जाने से संबद्ध है।
शीर्ष न्यायालय इस विषय पर भी विचार कर रहा है कि अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त उसकी असीम शक्तियां क्या किसी भी तरह से एक ऐसी परिस्थिति में बाधित होती हैं, जब अदालत के अनुसार विवाह विच्छेद तो हो जाता है लेकिन एक पक्ष तलाक का प्रतिरोध करता है।
यहां दो सवाल उठते हैं जो पूर्व में संविधान पीठ के पास भेजे गये थे, इसमें यह शामिल है कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय द्वारा इस तरह के अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, या इस तरह के कार्य को प्रत्येक मामले में तथ्यों के आधार पर निर्धारित करने के लिए छोड़ देना चाहिए।